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ज्ञानवापी में पूजा की इजाजत देने वाले जज को बड़ी जिम्मेदारी, लखनऊ की इस यूनिवर्सिटी के बने नए लोकपाल
Gyanvapi Mosque के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा-पाठ की अनुमति देने वाले रिटायर्ड जज डॉ. अजय कुमार विश्वेश को डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का लोकपाल बनाया गया।
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास जी तहखाने में तीन दशक बाद पूजा-पाठ की इजाजत देने वाले जज डॉ. अजय कुमार विश्वेश 31 जनवरी को रिटायर हो गए। अदालत में अपने फैसलों की वजह से सुर्ख़ियों में रहने वाले रिटायर्ड जज अब एक बार सुर्ख़ियों में हैं। दरअसल, रिटायर्ड जज डॉ. विश्वेश को यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राजधानी लखनऊ के डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का लोकपाल नियुक्त किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार के संस्थान में डॉ. अजय कुमार विश्वेश की नियुक्ति 3 साल के लिए हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उनकी नियुक्ति 27 फरवरी हुई, लेकिन खबर अब बहार आई।
डॉ. विश्वेश ने जाते-जाते सुनाया ऐतिहासिक फैसला
डॉ. अजय कुमार विश्वेश (Dr. Ajay Kumar Vishwesh) वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के एक ऐसे जज रहे जिन्होंने देश के सबसे चर्चित मामलों में से एक पर फैसला सुनाया। अपने रिटायरमेंट से पूर्व जनवरी के आखिरी दिनों में उनका सुनाया फैसला एक नजीर बन गया। जाते-जाते उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वो फैसला सुनाया जिसके बाद मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में तीन दशक के बाद पूजा-पाठ की इजाजत मिली। ये आदेश डॉ विश्वेश ने मस्जिद की विवादित तहखाने में पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनाई थी।
UGC नियमों के तहत हुई नियुक्ति
रिटायर्ड जज डॉ. विश्वेश की नियुक्ति यूजीसी के नियमों (UGC Rules) के तहत हुई है। दरअसल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के प्रावधानों की बात करें तो यह यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स के मुद्दों को सुलझाने के लिए एक लोकपाल (Lokpal) नियुक्त करने की बात करती है। जिसके लिए रिटायर्ड कुलपति, प्रोफेसर या जिला जज में से कोई भी हो सकता है। डॉ. विश्वेश की नियुक्ति बतौर रिटायर्ड जज हुई है।
जानिए कौन हैं रिटायर्ड जज अजय कुमार विश्वेश?
रिटायर्ड जज अजय कुमार विश्वेश उत्तराखंड के हरिद्वार निवासी हैं। डॉ. विश्वेश का जन्म 1964 में हुआ था। विज्ञान से स्नातक (ग्रेजुएशन) के बाद 1984 में एलएलबी और फिर 1986 में लॉ में मास्टर्स की पढ़ाई की। डॉ. विश्वेश की न्यायिक यात्रा यहीं से शुरू हुई। मास्टर्स के तकरीबन 4 साल बाद उत्तराखंड के ही कोटद्वार के मुंसिफ कोर्ट से उनका करियर शुरू हुआ। बाद में वह बुलंदशहर, सहारनपुर और इलाहाबाद के जिला जज रहे। वाराणसी कोर्ट में जिला जज की नियुक्ति तक उन्होंने करीब साढ़े तीन दशक तक काम किया।