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Lucknow University में रिसर्च को मिलेगा बढ़ावा, केन्द्र सरकार ने मदद के लिए बढ़ाया हांथ, जाने क्या है खास

Lucknow University: विभिन्न विभागों में शामिल हुए नए संकाय सदस्यों को 30-30 के लाख के सात प्रोजेक्ट मिले। सबसे अधिक प्रोजेक्ट रसायन विज्ञान विभाग (चार) को, दो प्रोजेक्ट जूलॉजी विभाग को और एक प्रोजेक्ट सांख्यिक को दिया गया है।

Anant Shukla
Published on: 9 May 2023 9:37 PM IST (Updated on: 9 May 2023 10:05 PM IST)
Lucknow University में रिसर्च को मिलेगा बढ़ावा, केन्द्र सरकार ने मदद के लिए बढ़ाया हांथ, जाने क्या है खास
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Lucknow University Researchers (Photo-Social Media)

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय को विज्ञान तथा तकनीकी मंत्रालय, भारत सरकार, से दो करोड़ दस लाख का अनुदान मिला है। यह अनुदान मेडिसिन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सामाजिक लाभ जैसे कई अन्य क्षेत्रों में नवीन शोधों के लिए स्टेट यूनिवर्सिटी रिसर्च एक्सीलेंस (SURE) योजना के तहत साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (SERB) की तरफ से प्रदान किया गया।

विभिन्न विभागों में शामिल हुए नए संकाय सदस्यों को 30-30 के लाख के सात प्रोजेक्ट मिले। सबसे अधिक प्रोजेक्ट रसायन विज्ञान विभाग (चार) को, दो प्रोजेक्ट जूलॉजी विभाग को और एक प्रोजेक्ट सांख्यिक को दिया गया है।

डॉ. नीरज कुमार मिश्रा ड्रग कैंडिडेट्स के लेट-स्टेज सी-एच फंक्शनलाइजेशन पर काम करेंगे, जो औषधीय रसायनज्ञों को लेट-स्टेज ड्रग एनालॉग्स की लंबी प्रक्रिया संश्लेषण को बायपास करने में मदद करेगा। डॉ. सुनील कुमार राय को कैंसर चिकित्सा के लिए दवाओं के संयोजन के लिए अनुदान मिला है। जबकि डॉ प्रतिभा बंसल और डॉ सीमा मिश्रा को अधिक क्षमता वाली विद्युत रासायनिक ऊर्जा भंडारण उपकरणों के निर्माण पर काम करने के लिए दिया गया। जूलॉजी विभाग में डॉ. आशुतोष रंजन और डॉ. आकांक्षा शर्मा को प्रवासी पक्षियों के व्यवहार पर काम करने के लिए फंड दिया गया है। सांख्यिकी विभाग के प्रो. शशि भूषण रैंक्ड सेट सैंपलिंग प्रोटोकॉल के तहत मजबूत अनुमान प्रक्रियाओं पर काम करेंगे।

कुलपति प्रो आलोक कुमार राय तथा अधिष्ठाता छात्र कल्याण एवम् ऐकडेमिक प्रो पूनम टंडन ने सभी प्रोजेक्ट अवार्डी संकाय सदस्यों को बधाई दी है। उन्होने कहा है कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार पर जोर देती है। इस अनुदान से अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा एवं विश्वविद्यालय में शोध का पर्यावरण बनेगा। मास्टर और पीएच.डी. विद्यार्थियों को सीखने के अधिक अवसर मिलेंगे।



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