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AKTU: स्पेशल राउंड काउंसलिंग के बाद भी सीटें खाली, इन पाठ्यक्रमों में नहीं भर पाई सीटें
Lucknow News: जानकारों के अनुसार, बीते कई वर्षों से इन स्ट्रीम की तरफ छात्रों का कम रूझान देखा जा रहा है। जिससे राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों, सरकारी और सरकारी स्ववित्तपोषित कॉलेजों में इनकी सीटें नहीं भर पा रही हैं।
Lucknow News: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में बीटेक, एमबीए और बीडेस की 1500 सीटें खाली रह गई हैं। बीटेक या बीई और बीफार्मा द्वितीय वर्ष में भी सीटें नहीं भर सकी।
स्पेशल काउंसिलिंग के बाद भी सीटें खाली
एकेटीयू ने शैक्षिक सत्र 2024-25 के तहत संबद्ध सरकारी और सरकारी स्ववित्तपोषित कॉलेजों की रिक्त सीटों के लिए स्पेशल राउंड की काउंसलिंग का आयोजन किया था। इसके मद्देनजर जेईई के जरिए बीटेक, सीयूईटी पीजी से एमबीए, एमसीए व एमसीए लेटरल इंट्री और सीयूईटी यूजी से बीटेक बायो टेक्नोलॉजी, बीडेस, बीएचएमसीटी, बीफार्मा व बीटेक लेटरल इंट्री के लिए 11 से 16 अक्टूबर तक पंजीकरण कराया गया। इसके बाद क्रमश: 18 और 22 अक्टूबर को काउंसलिंग व सीट आवंटन किया गया। जिसमें बीटेक के लिए मात्र 26, एमबीए में दो और लेटरल एंट्री से बीटेक और बीफार्मा में केवल चार अभ्यर्थियों ने प्रवेश लिया। इससे बीटेक की लगभग 1300, एमबीए 139 और बीडेस की 131 सीटें खाली रह गईं। इसी तरह बीफार्मा और बीई या बीटेक द्वितीय वर्ष की भी 35 सीटें नहीं भर सकी।
सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स की सीटें नहीं भरी
बीटेक पाठ्यक्रम में ज्यादातर रिक्त सीटें सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल स्ट्रीम से हैं। जानकारों के अनुसार, बीते कई वर्षों से इन स्ट्रीम की तरफ छात्रों का कम रूझान देखा जा रहा है। जिससे राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों, सरकारी और सरकारी स्ववित्तपोषित कॉलेजों में इनकी सीटें नहीं भर पा रही हैं। इसके पीछे खास वजह प्लेसमेंट को लेकर भी है। छात्रों का मानना है कि इन स्ट्रीम में अच्छा पैकेज नहीं मिल पाता है। साथ ही आज की डिमांड भी काफी अलग हो गई है। जिससे विद्यार्थियों की पहली पसंद कंप्यूटर साइंस, आईटी, एआई, मशीन लर्निंग बनता जा रहा है।
इन कॉलेजों में सीटें रह गई खाली
राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज बस्ती, गोंडा, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, बिजनौर, कन्नौज, मैनपुरी, सोनभद्र और यूपी टेक्सटाइल टेक्नलॉजी इंस्टीट्यूट कानपुर में भी कई स्ट्रीम में सीटें खाली रह गई हैं।