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Vindhya Film Festival: विंध्‍य फिल्‍म फेस्टिवल का दूसरा दिन: कुछ फिल्‍मों ने चौंकाया तो कुछ फिल्‍मों में कर दिया सन्‍न, सोचने को मजबूर हुए दर्शक

Vindhya Film Festival: पांचवें विंध्‍य फिल्‍म फेस्टिवल के दूसरे दिन का आगाज हुआ। पहले दिन के मुकाबले काफी संख्‍या में लोग वैष्णवी गार्डन पहुंचे और कई सारी फिल्‍मों का आनंद लिया।

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Newstrack Network
Published on: 7 Jan 2024 2:42 PM IST
Vindhya Film Festival
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Vindhya Film Festival (Photo: Social Media)

Film Festival: इस दुनिया में इच्‍छाओं का अंत नहीं है। हमें असल में यह पता ही नहीं होता कि हमें क्‍या चाहिए और जब तक इसका ज्ञान होता है, तब तक देर हो चुकी होती है। बहुत देर। सीधी में चल रहे पांचवें विंध्‍य फिल्‍म फेस्टिवल के दूसरे दिन शनिवार को दिखाई गई फिल्‍म 'इप्‍सा' ने कुछ ऐसा ही संदेश दिया। इप्‍सा का मतलब ही है- चाहत, इच्‍छा, आंकाक्षा। यह शॉर्ट फिल्‍म एक नि:संतान महिला की कहानी है. 'संतान की कामना में उसका पति दूसरी शादी करता है, जिसके बाद वो इग्‍नोर की जाने लगती है। सौतन के निश्छल, सुमधुर होने के बावजूद वो उससे केवल इसलिए ईर्ष्या रखती है, क्‍योंकि पति से मिलने वाला उसके हिस्‍से का प्‍यार अब सौतन को मिल रहा।,इसके प्रतिशोध में वो कुछ ऐसा करती है कि क्‍लाइमैक्‍स में उसके ही हाथों पति की हत्‍या हो जाती है।

पांचवे विंध्‍य इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल में इसके बाद एक से बढ़ कर एक फिल्‍में दिखाई गईं। हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिकता पर केंद्रित फिल्‍म 'अ टेल ऑफ टू इंडियंस' में राघव परमार ने रूपकों का इस्‍तेमाल करते हुए किरदारों के जरिये प्रेम का संदेश दिया। उन्‍होंने दिखाया कि कैसे परिस्थितियां दो संप्रदायों को एक-दूसरे के सामने दुश्‍मन के रूप में खड़ा कर देती है और इस द्वेष को खत्‍म करने का उपाय केवल और केवल प्रेम है। शॉर्ट फिल्‍म पापी के माध्‍यम से रोहित पाटीदार और भूपेंद्र सिंह चौहान ने पंचायती फरमानों और गांव में फैली कुरीतियों पर चोट किया।

फिल्‍म और स्‍त्री विषय पर गहन विमर्श

इसके बाद बेहद ही अहम विषय 'फिल्‍म में महिलाओं का चित्रण और वर्तमान परिदृश्‍य में सार्थक सिनेमा' पर विमर्श का आयोजन हुआ। पैनल में कला समीक्षक आलोक पराड़कर, शोभा अक्षर, अमुधवन और शिवकेश मिश्र रहे और सत्र का संचालन किया गौरी श्रीनिवास ने।

Photo: Social Media


V-3: विंध्‍य विक्टिम वर्डिक्‍ट

शनिवार को ही दिखाई गई यौन शोषण पर बनाई गई तमिल फिल्‍म V-3: विंध्‍य विक्टिम वर्डिक्‍ट' ने दर्शकों को एकदम से चौंका दिया। निर्देशक अमुधवन पी इस विषय पर आ चुकी दर्जनों फिल्‍मों से इतर बिल्‍कुल ही अलग सोच रखते हैं। इस फिल्‍म की कहानी उन्‍होंने खुद लिखी है और स्‍क्रीनप्‍ले भी। और अपने मुख्‍य किरदार के जरिये यौन शोषण और इसे रोकने के उपायों को लेकर एकदम अलग व्‍यू सामने रखा है. फिल्‍म क्‍लाइमेक्‍स में एकदम से चौंका देती है।

यह संयोग ही है कि अमुधवन को उनकी फिल्‍म की मेन कास्‍ट यहीं दूसरे विंध्‍य फिल्‍म फेस्टिवल 2020 में मिली, जब उन्‍होंने इसी विषय पर केंद्रित वडिगर देवेन की फिल्‍म रुद्री देखी। इस फिल्‍म की एक्‍ट्रेस पवना गौरा को उन्‍होंने अपनी फिल्‍म के लिए फाइनल किया था। अमुधवन इस फिल्‍म ने कई सारे अवार्ड अपने नाम किए हैं.। 7वें भारतीय विश्व फिल्म महोत्सव 2023, हैदराबाद में सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्‍कार, नई दिल्ली फिल्म फेस्टिवल 2023 में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म, टोरंटो तमिल इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल 2023 में बेस्‍ट डायरेक्‍टर, 9वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव शिमला 2023 में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म पुरस्‍कार मिले हैं।

शनिवार की सुबह ठंड में कमी और हल्‍की गुनगुनी धूप के साथ सीधी में पांचवें विंध्‍य फिल्‍म फेस्टिवल के दूसरे दिन का आगाज हुआ। पहले दिन के मुकाबले काफी संख्‍या में लोग वैष्णवी गार्डन पहुंचे और कई सारी फिल्‍मों का आनंद लिया। सुबह करीब 10:30 बजे से फिल्‍मों की स्‍क्रीनिंग शुरू हुई और रात करीब 8 बजे तक फिल्‍में दिखाई गईं।

रविवार का दिन है खास

फिल्‍म फेस्टिवल के डायरेक्‍टर प्रवीण सिंह चौहान ने बताया कि तीसरे दिन रविवार को राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार पा चुकी फिल्‍म अंतर्द्वंद दिखाई जाएगी और साथ ही फिल्‍म पुरस्‍कारों की घोषणा की जाएगी। फेस्टिवल संयोजक नीरज कुंदेर ने बताया कि अंतिम दिन सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों में कोलकाता से आईं तमेका चक्रवर्ती भरत नाट्यम प्रस्‍तुत करेंगी। वहीं स्‍थानीय कलाकार जनगीतों की भी प्रस्‍तुति देंगे।

Photo: Social Media


आज इन फिल्‍मों की हुई स्‍क्रीनिंग

फिल्‍म: ऑरिजिन - (निर्देशक)

डोजो: अमेरिका- अर्मिन एलिक

नर्मदा- द इटर्नल रिवर: मध्‍य प्रदेश- सागर दास

ए टेल ऑफ टू इंडियंस: मध्‍य प्रदेश- राघव परमार

चिथिका: दक्षिण भारत- विनिश पेरुमपिली

इप्‍सा: भारत- पवित्रा वर्मा

लुक डाउन नॉट अप: नेपाल- आलोक तुलाधर

व्‍यर्थ: भारत- विजय पांडुरंग चौगुले

फ्रे: ब्रिटेन- एना ऑफेलिया फ्लोर्स

पापी: भारत- रोहित पाटीदार, भूपेंद्र सिंह चौहान

द वुमन मोटिफ्स ऑफ चंदेरी: भारत - गौरी श्रीनिवास

V3 विंध्‍य विक्टिम वर्डिक्‍ट: भारत- अमुधवन पी.

आध्‍या: भारत- राहुल पांडेय

द मर्चेंट ऑफ विनाश: भारत- कुणाल श्रीवास्‍तव

कुछ फिल्‍मों के बारे में

नर्मदा- द इटर्नल रिवर:

नदियों का अपना एक लंबा इतिहास है. सप्‍तमात्रिका मंदिर, महेश्‍वर से जुड़े सागर दास ने अपनी ‍डॉक्यूमेंटरी 'नर्मदा:द इटर्नल रिवर' में आध्‍यात्मिक, भौगोलिक, साइंटिफिक और सांस्‍कृतिक इतिहास को छुआ है। उन्‍होंने नर्मदा परिक्रमा के बारे में भी बताया, जिसमें नदी को पार किए बगैर उसकी परिक्रमा करते हैं। यह यात्रा करीब 3,000 किलोमीटर की होती है। इस दौरान केवल भिक्षा और शरण पर निर्भर रहना होता है। नदियों को जानना क्‍यों जरूरी है, इस डॉक्‍यूमेंट्री के माध्‍यम से उन्‍होंने दिखाया है।

मध्‍य प्रदेश के लिए क्‍यों जरूरी है चंदेरी हैंडलूम

फिल्‍ममेकर गौरी श्रीनिवास कर्नाटक के बेंगलुरु से आती हैं, लेकिन उन्‍होंने अपना कॉलेज दिल्‍ली से किया है और उत्तर भारत के कई राज्‍यों में समय बिताया है। मध्‍य प्रदेश घूमने के दौरान चंदेरी हैंडलूम ट्रेडिशन ने उनका ध्‍यान खींचा और इस पर डॉक्‍यूमेंट्री बनाने की चाहत उन्‍हें खींच लाई, मध्‍य प्रदेश के अशोकनगर जिले में। अशोकनगर जिले का चंदेरी अपने सिल्‍क के लिए दुनियाभर में फेमस है। इसमें बुनकर कारीगर ऑरिजिनल स्रोतों से सिल्‍क धागा निकालते हैं और फिर कपड़े तैयार करते हैं। कभी ये केवल साडि़यों तक सीमित था। लेकिन अब कुर्ती और यहां तक कि वेस्‍टर्न वियर भी बनाए जाने लगे हैं।

Photo: Social Media


एक साड़ी बनाने में काफी समय लग जाता है और इसलिए यह अच्‍छी कीमत और मार्केट डिजर्व करती हैं। लूम पर यह तैयार होता है, ताने-बाने से. ताने में सिल्‍क और बाने में सूत (कॉटन) का इस्‍तेमाल होता है। निर्देशक गौरी ने बताया कि लोगों में अवेयरनेस की कमी है। साथ ही चीन से जो नकली धागे आने लगे हैं, उसने भी चुनौती खड़ी की है। वे कहती हैं कि चंदेरी सिल्‍क से मध्‍य प्रदेश की अस्मिता जुड़ी है, इसलिए इसके मार्केट का विस्‍तार जरूरी है।



Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

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