Lucknow Protest: न पीने का पानी, न सोने के लिए छत...डिवाइडर पर ऐसे रात बिता रहे धरना देने आए शिक्षा मित्र

Lucknow News: प्राथमिक विद्यालय खमरिया के शिक्षा मित्र राम कुमार का कहना है कि हम सभी लोग धरना देने के लिए बस से सुबह लखनऊ पहुंचे थे। दिनभर धरने की अनुमति थी लेकिन शाम पांच बजे हमें पुलिस प्रशासन द्वारा धरना स्थल खाली करने के निर्देश दे दिए गए। जिसके बाद हम वहां से निकल गए।

Abhishek Mishra
Published on: 5 Sep 2024 6:45 PM GMT (Updated on: 6 Sep 2024 4:27 AM GMT)
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न पीने का पानी, न सोने के लिए छत...डिवाइडर पर ऐसे रात बिता रहे धरना देने आए शिक्षा मित्र (Photo Source: Ashutosh Tripathi)

Lucknow Shiksha Mitra Protest: राजधानी के ईको गार्डन में गुरुवार को शिक्षक दिवस पर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए शिक्षा मित्रों ने अपनी मांगों को लेकर धरना दिया। शाम होते ही शिक्षा मित्रों को धरना स्थल से बाहर जाने का निर्देश दे दिया गया। जिसके बाद वह अपनी सुविधा अनुसार शहर के विभिन्न इलाकों में रात गुजारने चले गए। इनमें से कुछ शिक्षा मित्र होमगार्ड मुख्यालय चौराहे से बंगला बाजार की रोड के डिवाइडर पर सोते दिखे। यहां बरेली और बहराइच जिले से आए कुछ शिक्षा मित्रों ने 'न्यूज़ट्रैक' से अपना दर्द बयां किया।


खाली स्थान देख कर हम डिवाइडर पर...

प्राथमिक विद्यालय खमरिया के शिक्षा मित्र राम कुमार का कहना है कि हम सभी लोग धरना देने के लिए बस से सुबह लखनऊ पहुंचे थे। दिनभर धरने की अनुमति थी लेकिन शाम पांच बजे हमें पुलिस प्रशासन द्वारा धरना स्थल खाली करने के निर्देश दे दिए गए। जिसके बाद हम वहां से निकल गए। खाली स्थान देख कर हम डिवाइडर पर सोने के लिए आ गए। उन्होंने बताया कि हमारी मुख्य मांग समान कार्य समान वेतन है। सहायक अध्यापकों से ज्यादा काम करते हैं लेकिन वेतन महज दस हजार रुपए है। पिछला समायोजन रद्द हो गया है। चालीस हजार रुपए मिलते थे। लेकिन अब दस हजार रुपए मिलते हैं।


40 हजार से 10 हजार कर दिया गया वेतन

प्राथमिक विद्यालय अभयपुर मुल्लापुर की शिक्षा मित्र ललिता देवी ने बताया कि हम सभी समायोजन की मांग को लेकर धरने में आए हैं। 2017 में हमारा समायोजन रद्द कर दिया गया था। जिसके बाद हमें चालीस हजार वेतन से दस हजार पर ला दिया गया। 2015 से 2017 तक 40,000 रुपए मिलते रहे। उसके बाद घटाकर दस हजार रुपए कर दिया गया। उन्होंने बताया कि धरने के बाद हम ऐसी विषम परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर हैं। सरकार की तरफ से किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई।

दो तीन महीने बाद आती है तनख्वाह

प्राथमिक विद्यालय धनौर जागीर के बाबूराम ने कहा ईको गार्डन में शिक्षा मित्रों का धरना अनिश्चितकालीन चलेगा। जितने दिन धरना चलेगा हम सब यहीं रहेंगे। जब तक हमारी मांगे नहीं पूरी होती तब तक हम रुकेंगे। सवा लाख शिक्षा मित्र धरने में पहुंचे हैं। बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई, बुंदेलखंड, झांसी, कानपुर, बहराइच से आए लोग यहीं रुके हैं। धरने में प्रदेश के सभी जिलों से लोग आए हैं। उनका कहना है कि यदि हम सहायक अध्यापकों जैसा कार्य कर रहे हैं। तो हमें वेतन भी उनके बराबर मिलना चाहिए। कंपोजिट विद्यालय विशेषरपुर जगपाल सिंह ने बताया कि हमारी तनख्वाह दो तीन महीने में आती है। विद्यालय की ड्यूटी के अलावा भी हमसे काफी काम लिया जाता है।


पीने के पानी और सोने की व्यवस्था नहीं

बरेली से आए शिक्षा मित्र वीरेंद्र सिंह ने कहा कि पीने का पानी नहीं है। इस शहर में कोई परिचित भी नहीं है। शाम पांच बजे से इधर उधर भटकने के बाद हम सभी लोगों ने यहीं डिवाइडर पर सोने का फैसला लिया है। रात में सोने के लिए टेंट तक की व्यवस्था नहीं है। प्राथमिक विद्यालय सिलरा नाबादिया ब्लॉक भधपुरा के राजकुमार ने बताया कि पिछले 18 सालों से नौकरी में हैं। लेकिन सरकार को हमारी अहमियत नहीं पता है। पोलियो जनगढ़ना, इलेक्शन जैसे कामों में हम पूर्ण रूप से अपनी सेवा देते हैं। बोर्ड परीक्षा में भी हमारी ड्यूटी लगाई जाती है।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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