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Lucknow News: नुक्कड़ नाटक समाज के बीच जागरूकता लाने का बेहतर माध्यम है

Lucknow News: इस बार के नुक्क्ड़ नाटक की थीम रिश्तों की आजादी रखी गयी। लखनऊ स्थित लोहिया पार्क के रंगमंच में पैगाम 23 का फाइनल राउंड पूर्ण हुआ जिसमें आईटी गर्ल्स कॉलेज, बीबीडी यूनिवर्सिटी, जीसीआरजी एवं नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड एनजीओ के बच्चों द्वारा नुक्क्ड़ नाटक प्रस्तुत किया गया।

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Newstrack Network
Published on: 21 Oct 2023 11:54 PM IST
Street theater is a better medium to bring awareness among the society
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नुक्कड़ नाटक समाज के बीच जागरूकता लाने का बेहतर माध्यम है: Photo-Newstrack

Lucknow News: नुक्क्ड़ नाटक की प्रतियोगिता श्रृंखला पैगाम 23वीं यंगस्टर्स फाउंडेशन द्वारा आयोजित की जाती है। कार्यक्रम की शुरुआत लखनऊ के शीरोज हैंगऑउट कैफे में प्री राउंड के साथ हुई, जिसके बाद 15 से 20 अक्टूबर को सेमीफाइनल्स राउंड हुए। कार्यक्रम में लखनऊ के विभिन्न विश्विद्यालय व शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थी भाग लिए। नुक्क्ड़ नाटक के इस वर्ष की थीम रिश्तों की आजादी रखी गयी।

लखनऊ स्थित लोहिया पार्क के रंगमंच में पैगाम 23 का फाइनल राउंड पूर्ण हुआ जिसमें आईटी गर्ल्स कॉलेज, बीबीडी यूनिवर्सिटी, जीसीआरजी एवं नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड एनजीओ के बच्चों द्वारा नुक्क्ड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति एआर मसूदी वरिष्ठ न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ थे। विशेष अतिथियों के रूप में सेवानिवृत न्यायमूर्ति के एस राखरा, माननीय न्यायमूर्ति महेंद्र दयाल, वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह, जेएन माथुर, अभिनव एन त्रिवेदी, अनिल प्रताप सिंह, बॉलीवुड के अभिनेता डॉ अनिल रस्तोगी, पुनीत अस्थाना, आतमजीत सिंह, रजा अवस्थी, अंशुमाली टंडन, वरुण टम्टा, महेंद्र चंद्र देवा मौजूद रहें।

समाज के बीच में जागरूकता लाने का बेहतर माध्यम

नुक्कड़ नाटक को प्रतियोगिता के रूप में समाज के बीच में ले जाने की वजह सिर्फ यही है की इससे बेहतर समाज के बीच में जागरूकता लाने का माध्यम नहीं हो सकता, लेकिन वर्तमान समय में नुक्कड़ नाटक महज कुछ सरकारी योजनाओं के प्रचार का माध्यम मात्र रह गया है, इसे विलुप्त होने से बचाने और समाज के प्रति युवा पीढ़ी को सवेंदनशील बनाने का प्रयास है।

इस वर्ष रिश्तों की आजादी शीर्षक के माध्यम से रिश्ते के प्रति जिम्मेदारी और सवेंदनशील की आवश्यकता को बताने का प्रयास किया जा रहा है और साथ ही मी टाइम और पर्सनल स्पेस के नाम पर हम जिस तरह से अपनों को समय नहीं, डरे और हर सख्श अकेले और डिप्रेशन का शिकार होता जा रहा है। इसके प्रति समाज का ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया गया।



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Shashi kant gautam

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