Lucknow University: चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में नहीं दिख रही छात्रों की रुचि, जानें क्या है वजह

Lucknow University: पीएचडी में सीधे दाखिला दो वर्षीय परास्नातक डिग्रीधारकों को ही मिल रहा है। यूजीसी की ओर से भी अभी तक इस बारे में कोई भी स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। बता दें कि किसी भी नौकरी की योग्यता में भी चार वर्षीय स्नातक डिग्री को शामिल नहीं किया गया है।

Abhishek Mishra
Published on: 3 Oct 2024 1:00 PM GMT
Lucknow University: चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में नहीं दिख रही छात्रों की रुचि, जानें क्या है वजह
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Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय में इस सत्र से शुरु हुए चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में छात्रों की रुचि नहीं दिख रही है। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत यह पाठ्यक्रम शुरु किया गया है। विद्यार्थियों को चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम कम व्यवहारिक नजर आ रहा है। बता दें कि इस सत्र की प्रवेश प्रक्रिया बीतने की कगार पर है। इसके बावजूद अभी तक कोई आवेदन नहीं आया है।

पाठ्यक्रम में व्यवहारिकता कम

लखनऊ विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का पहला संस्थान है। इसलिए चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम की सफलता को लेकर ज्यादा उम्मीदें लगाई जा रही हैं। स्नातक चौथे वर्ष की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को पीएचडी में सीधे दाखिला देने का दावा किया गया था। इसके बावजूद पाठ्यक्रम में व्यवहारिकता नहीं दिख रही है।

एलयू को संशोधनों का इंतजार

पीएचडी में सीधे दाखिला दो वर्षीय परास्नातक डिग्रीधारकों को ही मिल रहा है। यूजीसी की ओर से भी अभी तक इस बारे में कोई भी स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। बता दें कि किसी भी नौकरी की योग्यता में भी चार वर्षीय स्नातक डिग्री को शामिल नहीं किया गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन को इन संशोधनों का इंतजार है। चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में छात्रों की रुचि न नजर आने का सबसे बड़ा कारण यही है।

पुरानी व्यवस्था से संतुष्ट छात्र

यूजीसी द्वारा विद्यार्थियों को नई शिक्षा नीति के तहत एक वर्षीय और दो वर्षीय दोनों तरह से परास्नातक करने का विकल्प दिया गया है। ऐसे में विद्यार्थी पुरानी व्यवस्था के साथ खुद को ज्यादा संतुष्ट महसूस कर रहा है। जबकि चार वर्षीय स्नातक कर लेने के बाद उसके पास एक वर्षीय परास्नातक करने का मौका रहेगा।

दोनों व्यवस्था में समय बराबर

विद्यार्थियों का मानना है कि यदि उन्हें स्नातक व परास्नातक की पढ़ाई के लिए न्यूनतम पांच साल का ही समय लगेगा तो नई व्यवस्था से क्या फायदा है। छात्र तीन साल का स्नातक व दो साल का परास्नातक करना ही पसंद कर रहे हैं। चार वर्ष का स्नातक और एक वर्ष के परास्नातक की व्यवस्था छात्रों को नई लग रही है।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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