Lucknow University: छात्रों ने कबाड से जुगाड कर बनाई ‘हॉकी के जादूगर' की प्रतिमा, इस कला का किया प्रयोग

Lucknow University: विषय विशेषज्ञ अजय कुमार के अनुसार इन प्रतिमाओं को तैयार करने में लगभग एक महीने का वक्त लगा है। प्रतिमा के निर्माण में बीवीए चतुर्थ वर्ष की छात्रा निहारिका सिंह और दूसरे वर्ष के ज्ञानेंद्र प्रताप, कमल व संध्या विश्वकर्मा का अहम योगदान रहा है।

Abhishek Mishra
Published on: 4 May 2024 12:15 PM GMT
Lucknow University: छात्रों ने कबाड से जुगाड कर बनाई ‘हॉकी के जादूगर की प्रतिमा, इस कला का किया प्रयोग
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Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय के छात्रों ने कबाड़ संग जुगाड किया है। छात्रों ने अनुपयोगी वस्तुओं का इस्तेमाल करते हुए मेजर ध्यानचंद की प्रतिमा तैयार की गई है। जानकारी के मुताबिक इस अद्भुत प्रतिमा को बनाने के लिए खराब सरिया, लोहे की चादर समेत कई अन्य वस्तुओं का प्रयोग किया गया है।

स्क्रैप धातु कला से बनाई प्रतिमा

एलयू के ललित कला संकाय के छात्रों ने कबाड़ का इस्तेमाल करते हुए एक प्रतिमा तैयार की है। संकाय के मूर्तिकला विभाग के विषय विशेषज्ञ अजय कुमार की अगुवाई में छात्रों ने खराब समान का प्रयोग कर मेजर ध्यानचंद की अद्भुत मूर्ति बनाई है। यह प्रतिमा एक अनूठी तरीके की कला से बनी हैं। बता दें कि छात्रों ने स्क्रैप धातु कला से प्रतिमाएं बनाई हैं। जब अनुपयोगी वस्तुओं का प्रयोग करते हुए काम की वस्तुएं बनाई जाती हैं।


एक महीने में तैयार की प्रतिमा

छात्रों के द्वारा बनाई गई प्रतिमा में हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद और साइकिल चलाते हुए एक मनुष्य की प्रतिमा है। इसे तैयार करने के लिए विद्यार्थियों ने अनुपयोगी वस्तुओं का प्रयोग किया है। जिसमें उन्होंने खराब सरिया, लोहे की चादर सहित कई वस्तुओं का इस्तेमाल किया है। विषय विशेषज्ञ अजय कुमार के अनुसार इन प्रतिमाओं को तैयार करने में लगभग एक महीने का वक्त लगा है। प्रतिमा के निर्माण में बीवीए चतुर्थ वर्ष की छात्रा निहारिका सिंह और दूसरे वर्ष के ज्ञानेंद्र प्रताप, कमल व संध्या विश्वकर्मा का अहम योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि छात्रों की मेहनत और लगन से ही इस प्रतिमा को इतने कम समय में बनाया जा सका है।

पाब्लो पिकासो ने स्पेन में की शुरुआत

जानकारी के अनुसार महान चित्रकार पाब्लो पिकासो भी स्क्रैप कला का इस्तेमाल करते थे। उन्होँनें 20वीं शताब्दी में स्पेन में स्क्रैप कला की शुरूआत की थी। प्रशिक्षक अजय कुमार ने बताया कि स्क्रैप धातु कला 21वीं शताब्दी में भारत में आई। इसके बाद कलाकारों ने इस विधि का प्रयोग करते हुए मूर्तियां और अन्य चीजें बनाना शुरू किया।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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