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Lucknow: अकबरनगर में मकानों पर चलेगा बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार

Lucknow News: सुप्रीम कोर्ट ने अकबरनगर क्षेत्र में अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण की तरफ से की जा रही तोड़फोड़ की कार्रवाई में हस्तक्षेप से मना कर दिया। हाई कोर्ट के फैसले पर सहमती जताई है।

Aniket Gupta
Published on: 11 May 2024 2:39 PM IST
Lucknow: अकबरनगर में मकानों पर चलेगा बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार
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Lucknow News: बीते दिन यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ के अकबरनगर क्षेत्र में अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण की तरफ से की जा रही तोड़फोड़ की कार्रवाई में हस्तक्षेप से मना कर दिया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी झुग्गी बस्ती में रहने वाले को वैकल्पिक आवास दिए बिना बेदखल नहीं किया जाना चाहिए। बता दें, लखनऊ विकास प्राधिकरण ने कुकरैल नदी के डूब क्षेत्र में बनी झुग्गियों को खाली करने का आदेश दिया था।

इलाहाबाद कोर्ट के फैसले से सहमत

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश और टिप्पणियों में किसी तरह कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, जिसमें अकबरनगर में विध्वंस और बेदखली की कार्रवाई को सही ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हम इस केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से दिए गए फैसले से सहमत हैं कि प्रभावित कॉलोनी का निर्माण बाढ़ क्षेत्र में किया गया है। सबूतों और तथ्यों को देखते हुए यह साफ है कि याचिकाकर्ताओं के पास उस जगह के मालिकाना हक को लेकर कोई दस्तावेज नहीं है।

वैकल्पिक आवास के लिए 1818 आवेदन मिले

इससे पहले यूपी सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने पीठ को बताया कि इस कॉलोनी में रहने वाले लोगों के पुनर्वास और वैकल्पिक आवास के मुहैया कराने के लिए 1818 आवेदन मिले हैं। जांच के बाद इन आवेदको में 1032 को वैकल्पिक आवास के लिए योग्य पाया गया है। 706 आवेदनों की फिलहाल जांच की जा रही है। अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल नटराजन की तरफ से दी गई जानकारी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवेदनों की जांच के बाद सभी पात्र व्यक्तियों को वैकल्पिक आवास मुहैया कराया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जजों की पीठ ने कहा कि प्रभावित कॉलोनी के निवासियों को वैकल्पिक आवास आवंटित किए बिना नहीं हटाया जाए।

डूब क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण का सर्वे का आदेश

मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पुनर्वास के लिए वैकल्पिक आवास मुहैया कराने के लिए निवासियों की तरफ से भुगतान की जाने वाली रकम को लेकर कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार, 15 वर्षों की अवधि में 4.79 लाख का भुगतान होना है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और लखनऊ विकास प्राधिकरण को अन्य डूब क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण के बारे में सर्वे कर तीन माह में उच्च न्यायालय के समक्ष हलफनामे के साथ विवरण दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही एक कार्य योजना बनाने और अनधिकृत अतिक्रमण को हटाने का भी आदेश दिया है।



Aniket Gupta

Aniket Gupta

Senior Content Writer

Aniket has been associated with the journalism field for the last two years. Graduated from University of Allahabad. Currently working as Senior Content Writer in Newstrack. Aniket has also worked with Rajasthan Patrika. He Has Special interest in politics, education and local crime.

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