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Swami Prasad Maurya: स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा महासचिव पद से दिया इस्तीफा, सियासी गलियारों में हलचल तेज
Swami Prasad Maurya: रामचरितमानस और हिंदू धर्म ग्रंथों पर विवादित बयान देकर चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने त्यागपत्र दे दिया है।
Lucknow News: रामचरितमानस और हिंदू धर्म ग्रंथों पर विवादित बयान देकर चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने पद से त्यागपत्र दे दिया है। श्री मौर्य के त्यागपत्र देने के बाद यूपी की सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गयी है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने एक्स अकाउंट पर त्यागपत्र को साझा किया है। उन्होंने अखिलेश यादव को संबोधित काफी लंबा पत्र लिखा है। उन्होंने यह पत्र सपा अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी को टैग किया है। श्री मौर्य ने पत्र में लिखा है कि वह पार्टी के भेदभाव पूर्ण रवैये से काफी आहत हैं। इसी के चलते उन्होंने पद से त्यागपत्र दिया है।
अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद के त्यागपत्र ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने सोशल मीडिया एक्स अकाउंट पर त्यागपत्र को साझा किया है। संज्ञानार्थ लिखा है और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व समाजवादी पार्टी को टैग किया है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से अपना इस्तीफा दिया है, पार्टी का साथ नहीं छोड़ा है। इसको लेकर उन्होंने लिखा भी है कि ‘पद के बिना भी पार्टी को सशक्त बनाने के लिए मैं तत्पर रहूंगा‘।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने त्यागपत्र में लिखा, जब से मैं समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हुआ, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की। सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था पच्चासी तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है। हमारे महापुरूषों ने भी इसी तरह की लाइन खींची थी। देश के संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर आंबेडकर ने बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की बात की तो डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा कि सोशलिस्टों ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावे सो में साठ, शहीद जगदेव बाबू कुशवाहा व मा. रामस्वरूप वर्मा जी ने कहा था सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है, इसी प्रकार सामाजिक परिवर्तन के महानायक कांशीराम साहब का भी वही था नारा 85 बनाम 15 का।
राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने को लेकर किया धन्यवाद
किंतु पार्टी द्वारा लगातार इस नारे को निष्प्रभावी करने एवं वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सैकड़ों प्रत्याशियों का पर्चा व सिंबल दाखिल होने के बाद अचानक प्रत्याशियों के बदलने के बावजूद भी पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहे, उसी का परिणाम या कि सपा के पास जहां मात्र 45 विधायक थे वहीं पर विधानसभा चुनाव 2022 के बाद यह संख्या 110 विधायकों की हो गई थी। तद्नतर बिना किसी मांग के आपने मुझे विधान परिषद् में भेजा और ठीक इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव बनाया, इस सम्मान के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
पार्टी में सुझाव का नहीं आया सकारात्मक परिणाम
त्यागपत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे लिखा, पार्टी को ठोस जनाधार देने के लिए जनवरी-फरवरी 2023 में मैंने आपके पास सुझाव रखा कि जातिवार जनगणना कराने, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ों के आरक्षण को बचाने, बेरोजगारी व बढ़ी हुई महंगाई, किसानों की समस्याओं व लाभकारी मूल्य दिलाने, लोकतंत्र व संविधान को बचाने, देश की राष्ट्रीय संपत्तियों को निजी हाथ में बेचे जाने के विरोध में प्रदेश व्यापी भ्रमण कार्यक्रम हेतु रथ यात्रा निकालने का प्रस्ताव रखा था, जिस पर आपने सहमति देते हुए कहा था होली के बाद इस यात्रा को निकाला जायेगा आश्वासन के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया। नेतृत्व की मंशा के अनुरूप मैंने पुनः कहना उचित नहीं समझा।
पार्टी के ही नेताओं पर लगाए आरोप
स्वामी प्रसाद ने लेटर में कहा है कि ‘पार्टी का जनाधार बढ़ाने का क्रम मैंने अपने तौर-तरीके से जारी रखा, इसी क्रम में मैंने आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को जो जाने-अनजाने भाजपा के मकड़जाल में फंसकर भाजपा मय हो गए थे उनके सम्मान व स्वाभिमान को जगाकर व सावधान कर वापस लाने की कोशिश की तो पार्टी के ही कुछ छुटभइये व कुछ बड़े नेता मौर्य जी का निजी बयान है कहकर इस धार को कुंठित करने की कोशिश की, मैंने अन्यथा नहीं लिया। मैंने ढोंग-ढकोसला, पाखंड व आडंबर पर प्रहार किया तो भी यही लोग फिर इसी प्रकार की बात कहते नजर आये, हमें इसका भी मलाल नहीं, क्योंकि मैं तो भारतीय संविधान के निर्देश के क्रम में लोगों को वैज्ञानिक सोच के साथ खड़ा कर लोगों को सपा से जोड़ने की अभियान में लगा रहा‘।
अपनी सुरक्षा की चिंता किए हुए पार्टी को किया मजबूतः स्वामी प्रसाद
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सपा को मजबूत करने के लिए खुद की परवाह नहीं की। उन्होंने कहा, दलितों और पिछड़ों को जोड़ने के अभियान के दौरान, मुझे गोली मारने, हत्या कर देने, तलवार से सिर कलम करने, जीभ काटने, नाक-कान काटने, हाथ काटने आदि-आदि लगभग दो दर्जन धमकियों व हत्या के लिए 51 करोड़, 51 लाख, 21 लाख, 11 लाख, 10 लाख आदि भिन्न-भिन्न रकम देने की सुपारी भी दी गई, अनेकों बार जानलेवा हमले भी हुए, यह बात दीगर है कि प्रत्येक बार मैं बाल-बाल बचता चला गया। उल्टे सत्ताधारियों द्वारा मेरे खिलाफ अनेकों एफआईआर भी दर्ज कराई गई, लेकिन अपनी सुरक्षा की बिना चिंता किये हुए मैं अपने अभियान में निरंतर चलता रहा।
पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं पर भेदभाव करने का लगाया आरोप
स्वामी प्रसाद ने कहा, हैरानी तो तब हुई जब पार्टी के वरिष्ठतम नेता चुप रहने के बजाय मौर्य जी का निजी बयान कह करके कार्यकर्ताओं के हौसले को तोड़ने की कोशिश की, मैं नहीं समझ पाया एक राष्ट्रीय महासचिव मैं हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है, एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का निजी और कुछ का पार्टी का बयान कैसे हो जाता है, यह समझ के परे है। दूसरी हैरानी यह है कि मेरे इस प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ो का रुझान समाजवादी पार्टी के तरफ बढ़ा है। बढ़ा हुआ जनाधार पार्टी का और जनाधार बढ़ाने का प्रयास व वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे? यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो मैं समझता हूं ऐसे भेदभाव पूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से मैं त्यागपत्र दे रहा हूँ, कृपया इसे स्वीकार करें।
उसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उन्हें विधान परिषद में भेजा
स्वामी प्रसाद मौर्य ने महासचिव पद से इस्तीफा दिया है। वे पार्टी में बने रहेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2022 में विधानसभा का चुनाव सपा के टिकट पर कुशीनगर के फाजीलनगर विधानसभा से लड़ा था जहां से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उन्हें विधान परिषद में भेजा। वर्तमान में सपा से एमएलसी हैं।
कभी बसपा के कद्दावर नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य मायावती सरकार में भी मंत्री थे। उसके बाद उन्होंने पाला बदला और भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें 2017 में पडरौना से टिकट दिया जहां से वे चुनकर फिर विधानसभा पहुंचे और योगी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले वे भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए।
स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में जाते ही विवादित बयान देने लगे। उनके कई ऐसे विवादति बयान रहे हैं जिसको लेकर उनकी और सपा की खूब आलोचना भी हुई। अब स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अभी पार्टी नहीं छोड़ा है।