Teachers Day 2024 : अब ‘रिमोट’ से शिक्षकों पर कंट्रोल, अपनी इच्छा से कुछ नहीं!

Teachers Day 2024 : बचपन में शिक्षक बनने का सपना पालने वाले युवा जब बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक बन पहुंचे तो हालात अलहदा निकले।

Snigdha Singh
Written By Snigdha Singh
Published on: 4 Sep 2024 2:41 PM GMT (Updated on: 4 Sep 2024 2:57 PM GMT)
Teachers Day 2024 : अब ‘रिमोट’ से शिक्षकों पर कंट्रोल, अपनी इच्छा से कुछ नहीं!
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सांकेतिक तस्वीर (Pic- Social Media)

Teachers Day 2024 : बचपन में शिक्षक बनने का सपना पालने वाले युवा जब बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक बन पहुंचे तो हालात अलहदा निकले। विभाग में शिक्षकों के हाथ कुछ नहीं। सब कुछ पहले से तय। आज यह करना है, कल वह। आज यह दिवस, कल वह। आज यह पखवारा कल वह कार्यक्रम। कौन सा कार्य कब और कैसे होगा, शिक्षकों को सब पहले से बता दिया गया है। शिक्षकों को विवेकाधिकार की भी छूट नहीं। जबकि प्रमोशन व अन्य शिक्षक हित के कार्य लंबित हैं। शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षकों के मन की बात करती यह रिपोर्ट-

आखिर किस काम के हमारी ट्रेनिंग के फलसफे

शिक्षक अपनी व्यथा बताते हुए कहते हैं कि स्कूलों में ज्वाइनिंग से पहले हमने बीएड या बीटीसी जैसे प्रशिक्षण कोर्स किए थे। इन कोर्सों का मकसद ही यह था कि कक्षा में बच्चों को किस तरह पढ़ाना है और उनका मनोविज्ञान समझना था।

नाम न छापने की शर्त पर तमाम शिक्षक बताते हैं कि बीते चार सालों में खास तौर पर कोरोनाकाल के दौरान से आधार शिला, शिक्षण संग्रह, ध्यानाकर्षण, समर्थ, समृद्ध, शिक्षक संदर्शिकाएं, प्रिंट रिच मैटेरियल, मिशन प्रेरणा और अब निपुण अभियान के अन्तर्गत शिक्षण के लिए अनेक आदेश व निर्देश सामने आए। कभी-कभी तो पता ही नहीं चलता है कि आखिर करना क्या है।

सिर्फ प्रिटिंग पर ही खर्च हुए अरबों रूपए!

शिक्षक तंज कसते हैं कि विभाग ने हमें सिर्फ यह बताने के लिए कि कब, क्या और कैसे करना है, इसके लिए अरबों रूपए की सामग्री प्रिंट करा डाली। क्या इससे पहले पढ़ाई नहीं होती थी। कहते हैं कि पहले शिक्षकों की कमी थी, संसाधनों का अभाव था, लेकिन स्कूलों में पढ़ाई होती थी। अब हालात उलट हैं। संसाधन हैं पर पढ़ाई नहीं। कभी किताबों से पढ़ाई पर जोर नहीं दिया जाता। मोबाइल ऐप्स पर अधिक फोकस हो रहा है।

शिक्षकों को बना दिया गया बाबू

सूत्र बताते हैं कि शिक्षक अब साल भर मोबाइल पर कुछ न कुछ विभागीय कार्य में जुटे रहते हैं। कभी परिवार सर्वेक्षण की आनलाइन व आफलाइन फीडिंग, कभी डीबीटी, कभी आधार सत्यापन, कभी यू डायस पर काम तो कभी कोई आनलाइन प्रशिक्षण या बैठक। ऐसा लगता है कि अब विभाग व्हाट़सअप पर संचालित होता है। शिक्षक बाबू बन काम कर रहा है।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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