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UP Encounter: यूपी में पहले भी हो चुके हैं धड़ाधड़ एनकाउंटर, इस ठाकुर CM ने दिये थे आदेश
UP Encounter: वीपी सिंह का कार्यकाल बहुत छोटा (दो साल 40 दिन) का था। लेकिन फिर लघु कार्यकाल में भी वीपी सिंह ने यूपी से कई डकैतों का सफाया कर दिया था।
UP Encounter: उत्तर प्रदेश में इन दिनों ताबड़तोड़ एनकाउंटर किये जा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के पिछले छह सालों के कार्यकाल में दस हजार से ज्यादा पुलिस एनकाउंटर हो चुके हैं। वहीं लगभग छह हजार से अधिक अपराधियों की मुठभेड़ में गिरफ्तारी हुई है। यूपी में हो रहे एनकाउंटर पर आरोप-प्रत्यारोप भी जारी है। लेकिन यह कोई पहली बार नहीं है जब यूपी में इतनी बड़ी संख्या में एनकाउंटर हुए हो। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाजें सुनायी दे चुकी हैं। जिसमें कई अपराधी ढेर हो गये थे।
योगी आदित्यनाथ से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) के कार्यकाल में रिकॉर्ड मुठभेड़ हुए थे। हालांकि वीपी सिंह का कार्यकाल बहुत छोटा (दो साल 40 दिन) का था। लेकिन फिर लघु कार्यकाल में भी वीपी सिंह ने यूपी से कई डकैतों का सफाया कर दिया था। वीपी सिंह के समय हुए एनकांउटरों को तब लोकदल के नेता रहे मुलायम सिंह यादव और मोहन सिंह ने फर्जी करार देते हुए सरकार पर तीखे हमले किये थे। वीपी सिंह के समय में हुए एनकाउंटर और वर्तमान योगी सरकार के हुए एनकाउंटर के आंकड़े काफी हद तक समान ही हैं। रोचक बात यह भी है कि दोनों राजनेता ठाकुर बिरादरी से हैं।
प्रदेश में था डाकुओं का आतंक
जब विश्वनाथ प्रताप सिंह नौ जून 1980 को उत्तर प्रदेश के आठवें मुख्यमंत्री बने। उस समय यूपी के लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या डकैत थे। साल 1975 से लेकर 1985 के बीच यूपी के अधिकतर जनपदों में डाकुओं का आतंक था। तब मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने यूपी को इस आतंक से मुक्त कराने के लिए अभियान शुरू कर दिया। वीपी सिंह के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ दिन बाद ही यूपी में ताबड़तोड़ एनकाउंटर शुरू हो गये। उस समय लगभग हर दूसरे दिन एनकाउंटर की खबरें चर्चा में रहने लगी।
कानपुर के बेहमई नरसंहार के बाद एनकाउंटर की संख्या में हुआ इजाफा
वीपी सिंह को मुख्यमंत्री अभी कुछ ही समय बीता था कि कानपुर के बेहमई गांव में बड़ी घटना घटित हुई। 14 फरवरी 1981 को ‘बैंडिट क्वीन’ फूलन देवी ने अपने साथियों के साथ मिलकर 20 ठाकुरों को मौत के घाट उतार दिया। बेहमई नरसंहार में फूलन देवी के साथ उनके साथी मुस्तकीम, राम प्रकाश और लल्लू समेत 25 डकैत शामिल थे। इतनी बड़ी संख्या में हुए नरसंहार के बाद वीपी सिंह की सरकार की छवि धूमिल पड़ने लगी। इस नरसंहार को लेकर विपक्ष भी सरकार पर हमलावर हो गया।
20 ठाकुरों के नरसंहार की घटना ठीक उस समय हुई जब वीपी सिंह सरकार यूपी में डकैतों के खिलाफ अभियान चला रही थी। इस घटना के बाद वीपी सिंह ने सभी डकैतों को खत्म करने का आदेश दे दिये। फिर उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ की संख्या में इजाफा हो गया। तब मुख्यमंत्री रहे वीपी सिंह ने अपने एक बयान में कहा था कि सरकार डाकुओं के आत्मसमर्पण कराने का प्रयास नहीं करेगी। उनके खिलाफ एनकाउंटर का अभियान जारी रहेगा। हालांकि इस अभियान के दौरान ही फूलन देवी ने फरवरी 1983 में मध्य प्रदेश में सरेंडर कर दिया था।