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Lucknow News: मैदानी इलाकों में फैल रही यह बीमारी, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर

Lucknow News: प्रयागराज, रायबरेली समेत कई जिलों में लेप्टोस्पायरोसिस और स्क्रब टाइफस में संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है। इनमें अधिकतर मरीज डेंगू की जांच करने गए थे।

Abhishek Mishra
Published on: 19 Oct 2024 10:00 AM IST
Lucknow News: मैदानी इलाकों में फैल रही यह बीमारी, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर
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Lucknow News: हिमाचल प्रदेश के बाद देश के अलग अलग राज्यों में लेप्टोस्पायरोसिस और स्क्रब टाइफस का संक्रमण फैल रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में लेप्टोस्पायरोसिस और स्क्रब टाइफस बीमारी का प्रकोप काफी दिनों से फैला हुआ है। अब यह बीमारी मैदानी इलाकों में भी तेजी से फैल रही है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में इसके मामले देखने को मिले हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट

प्रयागराज, रायबरेली समेत कई जिलों में लेप्टोस्पायरोसिस और स्क्रब टाइफस में संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है। इनमें अधिकतर मरीज डेंगू की जांच करने गए थे। लेकिन इनमें लेप्टोस्पायरोसिस का संक्रमण पाया गया है। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मामलों को बढ़ता देख स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। सभी जिलों को विभाग ने बीमारी से सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।

इंसानों में ऐसे फैलता बैक्टीरिया

डिप्टी सीएमओ डॉ. एपी सिंह ने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस और स्क्रब टाइफस बीमारी चूहों और छछूदरों के द्वारा फैलती है। लेप्टोस्पायरोसिस और स्क्रब टाइफस एक "ओरिएटिया सुतसुगामुशी" नाम बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक्यूट रोग है। इसमें जुएं के आकार का दिखने वाला ये कीट आमतौर पर झाड़ी या नमी वाले स्थान पर पाया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे स्थानों पर चूहे भी रहते हैं और ये कीट चूहे के शरीर पर भी होते हैं। कीट के काटने या मलमूत्र से चूहे में भी ये बैक्टीरिया होता है। ऐसे सूक्ष्म कीट (माइट) के काटने से मनुष्य के शरीर में ये बैक्टीरिया आसानी से फैल जाता है।

जानें क्या है स्क्रब टाइफस

लेप्टोस्पायरोसिस और स्क्रब टाइफस दक्षिण पूर्व एशिया में तीव्र बुखार के महत्वपूर्ण कारण हैं। अनुभवजन्य उपचार के विकल्पों में डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन शामिल हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी प्रभावकारिता समान है या नहीं। हमने जुलाई 2003 और जनवरी 2005 के बीच थाईलैंड के चार अस्पतालों में, संक्रमण के स्पष्ट केंद्र के बिना, तीव्र बुखार (<15 दिन) के साथ आने वाले वयस्क रोगियों के साथ एक बहुकेंद्रीय, खुला, यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण किया। मरीजों को या तो डॉक्सीसाइक्लिन का 7-दिवसीय कोर्स या एजिथ्रोमाइसिन का 3-दिवसीय कोर्स प्राप्त करने के लिए यादृच्छिक रूप से आवंटित किया गया था। दोनों अध्ययन समूहों के बीच इलाज की दर, बुखार ठीक होने में लगने वाला समय और दवा के प्रतिकूल प्रभावों की तुलना की गई। अध्ययन में कुल 296 रोगियों को नामांकित किया गया था।



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Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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