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Lucknow News: सांसद डा. दिनेश शर्मा से मिलकर तिब्बती सांसदों ने बताया अपना दर्द, कहा- चीन सरकार करती है लोगों से बुरा बर्ताव

Lucknow News: तिब्बत की निर्वासित सरकार के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यसभा सांसद व पूर्व उपमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश डा दिनेश शर्मा से उनके आवास पर भेंट कर तिब्बत के संघर्ष को उचित मंच पर उठाने व समस्या के समाधान के लिए प्रयास करने का अनुरोध किया है।

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Newstrack Network
Published on: 28 Nov 2023 10:08 PM IST
Tibetan MPs met MP Dr. Dinesh Sharma and expressed their pain, said- Chinese government misbehaves with people
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सांसद डा. दिनेश शर्मा से मिलकर तिब्बती सांसदों ने बताया अपना दर्द: Photo- Social Media

Lucknow News: तिब्बत की निर्वासित सरकार के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यसभा सांसद व पूर्व उपमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश डा दिनेश शर्मा से उनके आवास पर भेंट कर तिब्बत के संघर्ष को उचित मंच पर उठाने व समस्या के समाधान के लिए प्रयास करने का अनुरोध किया है। उनका कहना था कि वे समस्या का शान्तिपूर्ण समाधान चाहते हैं। सांसद ने उनकी भावनाओं को उचित मंच तक पहुचाने का भरोसा दिया है।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों ने बताया कि चीन की सरकार वहां के लोगों के साथ बुरा बर्ताव करती है। लाखों तिब्बती लोगों का वहां की सरकार नरसंहार कर चुकी है। चीन की सरकार ने सेना के बूते तिब्बत की पहचान को मिटाने व लोगों की सोंच बदलने की भी भरपूर कोशिश की है। बच्चों को अपनी संस्कृति से दूर करने के लिए वहां पर डे स्कूल बन्द कर दिए गए हैं।

Photo- Social Media

तिब्बत की संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने के हो रहे हैं प्रयास

बोर्डिंग स्कूल में अब चीन की भाषा में शिक्षा देकर तिब्बती संस्कृति और सभ्यता को मिटाने की साजिश की जा रही है। लोगों के डीएनए कलेक्शन किया जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि इन मुद्दों को संयुक्त राष्ट्र के साथ भी उठाया गया है जिस पर उसने चीन के शासन को 2022 में पत्र भी भेजा है। आज चीन दुनिया में अपना दबदबा बनाने का प्रयास कर रहा है।

तिब्बती सांसदों ने बताया कि तिब्बत की कुल आबादी 60 लाख के करीब है जिसमें से करीब सवा लाख लोग निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उनका कहना था कि 1959 में तिब्बत के 80 हजार लोगों को भारत में शरण लेनी पडी थी । तभी से भारत सरकार ने तिब्बती लोगों की मदद की है और उन्हे अपना समर्थन दिया है। तिब्बती साहित्य और संस्कृति को संरक्षित रखने में भारत की अहम भूमिका रही है।

वहां की निर्वासित संसद के करीब 45 सदस्य है । संसद के 30 सदस्य तिब्बत के तीन भागों का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा 10 प्रतिनिधि धार्मिक होते हैं। 2 प्रतिनिधि नार्थ अमेरिका व अमेरिका से तथा दो प्रतिनिधि यूरोप से व आस्ट्रेलिया व एशिया से होते हैं। आज तिब्बत के लोग पूरी दुनिया में फैले हुए है तथा इसका मुख्य केन्द्र धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश, भारत में है, जहां पर दलाई लामा जी का निवास स्थान भी है।

Photo- Social Media

सर्वोच्च प्रतिनिधि को सीक्योंग कहा जाता है

उन्होंने बताया कि तिब्बत में राजनैतिक दल नहीं होते हैं और सभी लोग चुनाव की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। देश के चुने हुए सर्वोच्च प्रतिनिधि को सीक्योंग कहा जाता है। तिब्बत के लोगों से यहां मौजूद उनके रिश्तेदारों के जरिए व सोशल मीडिया से सम्पर्क किया जाता है पर समय के साथ सम्पर्क करना कठिन होता जा रहा है।

संसदीय प्रतिनिधि मंडल, में तिब्बत की निर्वासित सरकार के मा. सांसद श्रीमती पेमा चो, श्री वांगडू डोरजी, थुपटेन ग्यालत्सेन, (तिब्बती धर्मगुरु) एवं परम पावन दलाई लामा जी के प्रतिनिधि शामिल रहे। भेंट के दौरान तिब्बत–भारत के संबंधों पर विस्तृत चर्चा हुई एवं मूलभूत समस्याओं के बारे में अवगत कराया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय कैबिनेट मंत्री श्री चौधरी लक्ष्मी नारायण जी तथा तिब्बत भारत मैत्री संघ के श्री संजय शुक्ला जी भी उपस्थित थे।



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Shashi kant gautam

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