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Lucknow News: झाँसी हादसे के बाद लोगों के ज़हन में जिन्दा हुई ट्रॉमा सेंटर अग्निकांड की भयावह यादें, 6 लोगों की गई थी जान
Lucknow News: ट्रॉमा सेंटर में लगी आग के मामले में पड़ताल के दौरान कई खामियां मिली थी। जाँच में पता चला था कि आग लगने के बाद फायर अलार्म नहीं बजे थे।
Lucknow News: बीती रात झाँसी के मेडिकल कॉलेज में लगी भयावह आग ने एक बार फिर लोगों के जहन में लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में हुए अग्निकांड की भयावह यादें ताजा कर दी हैं। यह 15 आग जुलाई 2017 की रात करीब 8 बजे ट्रॉमा सेंटर के दूसरी फ्लोर पर स्थित मेडिसिन विभाग में लगी थी। आग की सूचना जब प्रसारित हुई तो अस्पताल प्रशासन के साथ ही अधिकारियों में हड़कंप मच गया। हादसा इतना भयावह था कि आग की वजह से पूरी बिल्डिंग धुएं की चपेट में आ गई। इसके बाद दूसरी फ्लोर पर भर्ती मरीजों को शिफ्ट किए जाने का काम शुरू हुआ। धुएं की वजह से बिल्डिंग में ऑक्सीजन की कमी हो गई। नतीजतन लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगी। सूचना के बाद मौके पर पहुंची दमकल की करीब 10 गाड़ियों ने आग पर काबू पाया। इस अग्निकांड में कुल 6 लोगों की जानें चली गई थी।
आग से भयावह था बिल्डिंग में भरा धुआँ
पूरे घटनाक्रम का हर एक पल अपने कैमरे में कैद करने वाले वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट शरद शुक्ला बताते हैं कि शाम को करीब 8 बजे का वक्त रहा होगा जब सूचना मिली की KGMU में आग लग गई है। इसके बाद मैं भी मौके पर पहुंचा। वहाँ का दृष्य बेहद भयावह था। चारों तरफ भयंकर चीख-पुकार मची हुई थी। आग दूसरी फ्लोर पर लगी थी लेकिन उसका धुआं पूरी बिल्डिंग में भरा था। चारों ओर से सिर्फ सायरन की आवाजें सुनाई दे रही थी। पुलिस, फायर और अस्पताल के कर्मचारी इधर-उधर दौड़ रहे थे। मरीजों को लगातार सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा था। नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि दमकल की करीब 10 गाड़ियों ने मौके पर पहुंचकर कड़ी मशक्कत के बाद आग पर तो काबू पा लिया लेकिन बिल्डिंग में भरे धुएँ के चलते असली चुनौती शुरू हुई। इससे न सिर्फ लोगों को दिखना बंद हो गया बल्कि उन्हें सांस लेने में भी तकलीफें होने लगी। अधिकारियों ने बताया कि एसी में शार्ट सर्किट के बाद यह आग लगी थी।
दूसरे अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया बनी दर्दनाक
इस बीच मरीजों को ट्रॉमा सेंटर से दुसरे स्थानों पर शिफ्ट किया जाने लगा। इस दौरान करीब 6 लोगों की मौत हो गई। वहीँ, अग्निकांड के अगले ही दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ट्रॉमा सेंटर, शताब्दी फेज टू समेत आसपास के अस्पतालों का दौरा किया। यहां उन्होंने मरीजों के साथ ही उनके तीमारदारों से बात की और चिकित्सकों से भी जानकारी ली।
कई खामियां आई थी सामने
ट्रॉमा सेंटर में लगी आग के मामले में पड़ताल के दौरान कई खामियां मिली थी। जाँच में पता चला था कि आग लगने के बाद फायर अलार्म नहीं बजे थे, इस वजह से समय रहते कोई भी कदम नहीं उठाया जा सका। रास्ते में जाम होने की वजह से फायर विभाग की गाड़ियां भी करीब 20 मिनट की देरी से मौके पर पहुंची इस वजह से आग पर काबू पाने में देरी हुई। यह भी पता चला कि फायर फाइटिंग के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं थे इस वजह से भी समस्या आई।
अग्निकांड से लिए क्या सबक
2017 में हुए अग्निकांड के बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से क्या सबक लिए गए इसे लेकर न्यूज़ट्रैक टीम ने KGMU के जन संपर्क अधिकारी सुधीर सिंह से बात की। उन्होंने कहा कि उक्त घटना के बाद से अस्पताल ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। संस्थान की ओर से समय-समय पर मॉकड्रिल कराई जाती है। इसमें कर्मियों समेत सारे स्टाफ को पर्याप्त ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में फायर एक्सटिंग्विशर भी लगे हुए हैं। इसे चलाने के लिए सभी को ट्रेनिंग दी गई है। साथ ही इमरजेंसी निकास आदि के लिए भी कई जगहों पर रैंप बनाए गए हैं और जहां पर रैंप नहीं हैं वहां भी इनका निर्माण हो रहा है। अन्य सभी इंतजाम भी किए गए हैं। एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि क्वीन मैरी अस्पताल के बेसमेंट में हाल ही में आग लगने की घटना हुई थी। अस्पताल कर्मियों ने अपने प्रयासों से फायर की गाड़ियों के पहुँचने से पहले ही इस पर काबू पा लिया था।