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UP By Election: सपा ने घोषित किया मिल्कीपुर सीट का उम्मीदवार, अखिलेश ने खेला MP अवधेश प्रसाद के बेटे पर दांव
UP By Election:इस सीट पर पहले से ही अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे की लड़ाने की मांग चल रही थी, जिस पर शनिवार को सपा राष्ट्रीय एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मांग पर मुहर लगा दी है।
UP By Election: उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा जिस पर हो रही है, वह अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट है, जहां के सपा विधायक अवधेश प्रसाद ने अयोध्या संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मात देते हुए देश के सियासी जगत में खलबली मचा दी और अयोध्या से सपा के सांसद बने। इस बार चुनाव एक ससंदीय क्षेत्र के एक विधानसभा का है, लेकिन इस सीट पर प्रतिष्ठित भाजपा और सपा दोनों की लगी हुई है। भाजपा यहां इस सीट पर जीत का सपा से अयोध्या की हार का बदला लेते हुए यह संदेश देना चाहेगी कि अयोध्या वासी अभी भी पार्टी के साथ तो वहीं, सपा भी भाजपा के इन दावों को फेल साबित करने के लिए इस सीट पर जीत बरकरार रखना चाहेगी। इन कायसों के बीच समाजवादी पार्टी ने शनिवार को अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा पर होने वाले उप चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है।
मिलकर चुनाव लड़ने की हिदायत
इस सीट पर पहले से ही अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे की लड़ाने की मांग चल रही थी, जिस पर शनिवार को सपा राष्ट्रीय एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मांग पर मुहर लगाते हुए अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा से अजीत प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर फिर से सपा का परचम फरहाने के लिए पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सभी दावेदारों को एक मंच पर बुलाकर सम्मानित किया। साथ ही, लोगों से साथ रहकर चुनाव लड़ने की हिदायत दी और भाजपा को फिर से चुनाव में हराने की आह्वान किया। अखिलेश यादव ने आनंद सेन यादव को इस चुनाव में खुलकर प्रचार करने को आदेश दिया है।
यादव, पासी, ब्राह्मण वोटर अहम
मिल्कीपुर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण को देखें तो सबसे ज्यादा करीब 65 हजार यादव मतदाता हैं। इसके बाद करीब 60 हजार पासी, 50 हजार ब्राह्मण, 35 हजार मुस्लिम, 25 हजार ठाकुर, गैर-पासी दलित 50 हजार, मौर्य 8 हजार, चौरासिया 15 हजार, पाल 8 हजार, वैश्य 12 हजार के करीब हैं। इसके अलावा 30 हजार अन्य जातियों के वोट हैं। मिल्कीपुर के सियासी समीकरण में यादव, पासी और ब्राह्मण वोटर अहम भूमिका निभाता आ रहा है। सपा यादव-मुस्लिम-पासी समीकरण के सहारे जीत दर्ज करती आई है। परिसीन के बाद 2008 से मिल्कीपुर सुरक्षित सीट होने के बाद से दो बार सपा जीती है और एक बार बीजेपी ने कब्जा जमाया था। सपा से अवधेश प्रसाद जीतते रहे हैं तो 2017 में बीजेपी से बाबा गोरखनाथ चुने गए थे। एक बार फिर से सभी पार्टियों की निगाहें मिल्कीपुर में टिक गई हैं और जीतने का दम भर रही हैं।
भाजपा की उम्मीदवार अब टिकी निगाहें
बता दें कि उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। भाजपा, सपा और कांग्रेस तीनों ही चुनाव में ताल ठोक रही हैं। मायावती की पार्टी बसपा की भी मैदान में आ चुकी है। सभी निगाहें मिल्कीपुर पर टिकी हुई हैं। सपा से पहले बसपा ने भी यहां से उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी है। पार्टी ने रामकोपाल कोरी में मैदान में उतारा है। अब सबकी नजरें भाजपा के उम्मीदवार पर टिकी हैं, क्योंकि सीट पर की जिम्मेदारी खुद सूबे मुखिया योगी के हाथों में है। देखना होगा भाजपा सपा और बसपा की तोड़ के लिए किसे मैदान में लाती है।