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UPPCL के निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों का लखनऊ में हल्ला बोल: निजीकरण को तत्काल निरस्त करने की मांग
UPPCL Workers Protest: लाइन पर काम करने वाले कर्मचारियों से लेकर कार्यालय के अभियंता तक रैली में शामिल हुए थे, जिससे कार्यालयों का कार्य प्रभावित हुआ।
Photo : Newstrack
Lucknow: राजधानी लखनऊ में बुधवार को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्काम के निजीकरण के विरोध में प्रदेशभर से आए बिजली कर्मचारियों ने फील्ड हॉस्टल में धरना दिया। इस धरने के बाद, कर्मचारी शक्ति भवन तक रैली निकालते हुए पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन से निजीकरण को तत्काल निरस्त करने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते हुए निजीकरण के खिलाफ अपने विरोध का इजहार कर रहे थे।
प्रशासन ने इस रैली को रोकने के लिए शक्ति भवन तक जाने वाले रास्ते पर जगह-जगह वेरीकेटिंग की व्यवस्था की थी और भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया था, ताकि प्रदर्शनकारी अपनी रैली को शक्ति भवन तक न पहुंचने पाएं। इस प्रदर्शन के कारण लखनऊ सहित प्रदेश के अधिकांश सरकारी कार्यालयों और उपकेद्रों में विभागीय कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया। लाइन पर काम करने वाले कर्मचारियों से लेकर कार्यालय के अभियंता तक रैली में शामिल हुए थे, जिससे कार्यालयों का कार्य प्रभावित हुआ।
2 से 9 मई तक लखनऊ में होगा क्रमिक अनशन
बिजली कर्मचारियों के नेताओं ने बताया कि मंगलवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी 2 मई से 9 मई तक लखनऊ के शक्ति भवन मुख्यालय में क्रमिक अनशन करेंगे। इस अनशन के दौरान, विभिन्न राज्यों से बिजलीकर्मी और अभियंता भी शामिल होंगे। इसके बाद, 14 मई को उत्तरी भारत के सभी राज्यों के बिजली कर्मचारी भी उत्तर प्रदेश के आंदोलन का समर्थन करते हुए व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे।
निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के मीडिया संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि इस रैली में प्रदेशभर से अभियंता और कर्मचारी लखनऊ में जुटे हैं और निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की इस योजना पर गहरी नाराजगी जताई और पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्काम को पावर कॉरपोरेशन के अधीन रखने की मांग की।
पावर कॉरपोरेशन के निजीकरण पर उठाए गए सवाल
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यूपी पावर कॉरपोरेशन से टोरेंट कंपनी हर साल लगभग 2300 मिलियन यूनिट बिजली खरीदकर उसे उपभोक्ताओं को उच्च दर पर बेच रही है। इससे सरकार को प्रति यूनिट 3 रुपये का घाटा हो रहा है। वहीं, टोरेंट कंपनी को हर साल लगभग 700 करोड़ रुपये का मुनाफा हो रहा है।
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अगर निजीकरण नहीं होता, तो यह मुनाफा यूपी पावर कॉरपोरेशन का होता और प्रदेश को इस आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकता था। वहीं बिजलीकर्मियों का यह प्रदर्शन प्रदेश में बड़े पैमाने पर चर्चा का विषय बन गया है और सरकार से लेकर आम जनता तक, सभी की निगाहें इस विरोध प्रदर्शन पर टिकी हुई हैं।