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Lucknow University: कुलपति ने एमबीए फाइनेंस एंड अकाउंटिंग के छात्रों को सफलता के सूत्र बताए

Lucknow University: कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने कहा कि आज के तेजी से बदलते और प्रतिस्पर्धी वातावरण में छात्रों और पेशेवरों को उन समस्याओं को पहचानने की क्षमता विकसित करनी चाहिए, जिनका वह सामना कर रहे हैं।

Abhishek Mishra
Published on: 9 Nov 2024 7:00 PM IST (Updated on: 9 Nov 2024 7:01 PM IST)
Lucknow University: कुलपति ने एमबीए फाइनेंस एंड अकाउंटिंग के छात्रों को सफलता के सूत्र बताए
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Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग में शनिवार को एमबीए फाइनेंस एंड अकाउंटिंग की ओर से व्याख्यान का आयोजन हुआ। यहां कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने कहा कि आज के तेजी से बदलते और प्रतिस्पर्धी वातावरण में छात्रों और पेशेवरों को उन समस्याओं को पहचानने की क्षमता विकसित करनी चाहिए, जिनका वह सामना कर रहे हैं। सही सवाल पूछना अत्यंत आवश्यक है। केवल समस्या को सही तरीके से परिभाषित करने से ही हम सार्थक और स्थायी समाधान पा सकते हैं।


लक्ष्य पहचान कर कठोर शोध से परिणाम प्राप्त होंगे

व्याख्यान में कुलपति प्रोफेसर राय ने सफलता के लिए रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि किसी भी शैक्षिक या पेशेवर लक्ष्य की दिशा में यात्रा की शुरुआत समस्या को पहचानने, उसे स्पष्ट रूप से परिभाषित करने और फिर व्यवस्थित और कठोर शोध के जरिए परिणाम प्राप्त करने से होती है। निदेशक प्रो. अवधेश कुमार ने अकादमिक शिक्षा और वास्तविक दुनिया के उद्योग अनुभवों के बीच पुल बनाने के महत्व पर जोर दिया। वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. रचना मुज्जू, प्रो. राम मिलन समेत कई अन्य उपस्थित रहे।


गांधी ने अर्थव्यवस्था में स्वदेशी का किया समर्थन

लखनऊ विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में गांधीवाद और अंबेडकरवाद के मध्यमार्गी से राष्ट्र निर्माण पर सेमिनार आयोजित हुआ। व्याख्यान श्रृंखला के तहत वक्ता अनुज शंकर मिश्रा रहे। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी ने समाज में समानता और अहिंसा के सिद्धांतों पर जोर दिया। अर्थव्यवस्था में स्वदेशी का समर्थन किया। जबकि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने समानता, सामाजिक न्याय के लिए संवैधानिक सुधारों और गतिशील अर्थव्यवस्था का समर्थन किया। बताया कि इन दोनों विचारधाराओं के मध्य मार्ग को अपनाकर राष्ट्र निर्माण के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण तैयार किया जा सकता है, जिसमें गांधी के सामाजिक सद्भाव और अंबेडकर के कानूनी सुधारों का सामंजस्यपूर्ण उपयोग किया जा सके। उन्होंने बताया कि इन दोनों विचारधाराओं का संतुलित संयोजन भारत में समरसता, सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है। विभागाध्यक्ष डॉ. रजनी श्रीवास्तव, विभाग के प्राचार्य प्रोफेसर राकेश चंद्रा, डॉ. राजेंद्र वर्मा, डॉ. प्रशांत शुक्ला उपस्थित रहे



Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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