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Lucknow News: पौधों की पोषण गुणवत्ता बढ़ाने का मिला तरीका, CSIR-CIMAP के वैज्ञानिकों ने किया शोध

Lucknow News: वैज्ञानिक आशीष शर्मा ने बताया कि यह पौधे को ट्रांसजेनिक बनाए बिना उसमें प्रोटीन संचय को बढ़ाएगा। हमने अवधारणा के प्रमाण के लिए तीन पेर्टाइड्स (पौधों में पाए जाने वाले छोटे प्रोटीन) के साथ काम किया है।

Abhishek Mishra
Published on: 30 Aug 2024 6:15 PM IST
Lucknow News: पौधों की पोषण गुणवत्ता बढ़ाने का मिला तरीका, CSIR-CIMAP के वैज्ञानिकों ने किया शोध
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Lucknow News: काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च - सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (CSIR-CIMAP) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक हालिया शोध में पौधों की पोषण गुणवत्ता को बढ़ाने के तरीकों का पता चला है। अभी तक वैज्ञानिक किसी पौधे में किसी जीन को अधिक अभिव्यक्त करना चाहते थे, तो उसे एक ट्रांसजेनिक पौधा (जिसे उच्च पोषण मूल्य प्राप्त करने के लिए बदल दिया जाता है) बनाना पड़ता था। हालांकि दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा लगाए गए कुछ नियमों के कारण, ट्रांसजेनिक पौधे किसानों और उपभोक्ताओं के लिए सीधे उपलब्ध नहीं हैं। इस शोध के माध्यम से वैज्ञानिकों ने पाया है कि 'पूरक पेप्टाइड्स' (पौधों में पाए जाने वाले लघु प्रोटीन का पूरक रूप) का उपयोग करके पौधों की पोषण गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। इस शोध के एक भाग के रूप में, जब पूरक पेप्टाइड्स का पौधे पर छिड़काव किया गया, तो इसके पोषण मूल्य और गुणों में वृद्धि हुई।

शोध में सामने आई यह बातें

वैज्ञानिक आशीष शर्मा ने बताया कि यह पौधे को ट्रांसजेनिक बनाए बिना उसमें प्रोटीन संचय को बढ़ाएगा। हमने अवधारणा के प्रमाण के लिए तीन पेर्टाइड्स (पौधों में पाए जाने वाले छोटे प्रोटीन) के साथ काम किया है। हमने इसका परीक्षण थेले क्रेस, गुलाब, अंगूर, तंबाकू और टमाटर पर किया और एंथोसायनिन, फ्लेवोनोल्स और लिग्निन सहित अणुओं का संश्लेषण पाया। उन्होंने बताया कि एंथोसायनिन सूजन की रोकथाम, टाइप II मधुमेह, कैंसर और हृदय रोग से सुरक्षा में मदद करता है। फ्लेवोनोल्स में एंटीऑक्सिडेंट, कैंसर रोधी, सूजन रोधी और एंटी-वायरल गुण होते हैं जबकि लिग्निन भी एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है और इसमें एंटी वायरल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं।

पौधे के तनाव में काफी उपयोगी

सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक प्रबोध कुमार त्रिवेदी भी शोध में शामिल थे। कहा कि इस तकनीक का उपयोग किसी भी पौधे पर किया जा सकता है जिसमें प्रोटीन के लिए 10 से अधिक अमीनो एसिड संरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि यह तकनीक किसी पौधे द्वारा उत्पन्न होने वाले किसी भी प्रकार के तनाव के लिए उपयोगी है, जिसमें नमक और सूखा जैसे अजैविक तनाव और कीड़े और रोगजनकों जैसे जैविक तनाव शामिल हैं। इस तकनीक को मान्य करने के लिए, टीम ने पौधों और टीम द्वारा विकसित उत्परिवर्ती पौधों पर पूरक पेप्टाइड्स का छिड़काव किया। उत्परिवर्ती पौधों में जीन कार्यात्मक नहीं है, इसलिए पूरक पेप्टाइड्स ने उन पर कोई अंतर नहीं दिखाया।





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Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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