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Lucknow University: एलयू में 'योग एवं प्रसन्नता' सेमिनार हुआ, विशेषज्ञों ने बताए योग के लाभ
Lucknow University: मुख्य वक्ता जयंती शुक्ला ने कहा कि योग के अभ्यास से शरीर और मन दोनो स्वस्थ्य होते हैं। मन की निर्मलता ही प्रसन्नता का आधार है मन की चंचलता के नियंत्रण के लिए अष्टांगिक योगिक सधना जैसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणाध्यान का अभ्यास करना चाहिए।
Lucknow University: अंतराष्ट्रीय योग दिवस के मद्देनजर लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में एलयू में एक सेमिनार का आयोजन हुआ। जिसका शीर्षक 'योग एवं प्रसन्नता' रखा गया था। सेमिनार में जयंती शुक्ला मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहीं।
सेमिनार का हुआ आयोजन
एलयू के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के मार्गदर्शन में शुक्रवार को फैकल्टी ऑफ़ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन और इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर योगिक साइंसेज़ विश्विद्यालय अनुदान आयोग की ओर से योग विभाग के सभागार में सेमिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता जयंती शुक्ला ने कहा कि योग के अभ्यास से शरीर और मन दोनो स्वस्थ्य होते हैं। मन की निर्मलता ही प्रसन्नता का आधार है मन की चंचलता के नियंत्रण के लिए अष्टांगिक योगिक सधना जैसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणाध्यान का अभ्यास करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इससे मन की शुद्धि के साथ साथ चित्त भी शुद्ध होता है।
योगासन से बढ़ते खुशी देने वाले हार्मोंस
कॉर्डिनेटर डॉ. अमरजीत यादव ने कहा कि प्रसन्नता जीवन का आधार है। प्रसन्न व्यक्ति ही जीवन को सार्थक ढंग से जी सकता है। प्रसन्नता के लिए व्यक्ति को प्राणायाम, मुद्रा, ध्यान को अपनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इन अभ्यासों के कारण शरीर में ख़ुशी प्रदान करने वाले हार्मोन्स की मात्रा बड़ती है। शरीर में व्यक्ति को ख़ुशी प्रदान करने वाले हार्मोन्स डोपामाइन, सिरोटोनिन, इंडोर्फ़िन तथा ऑक्सीटोसीन है। प्रतिदिन नियम पूर्वक योगासन, प्राणायाम, मुद्रा तथा ध्यान के अभ्यास से ख़ुशी देने वाले हार्मोन्स की मात्रा बढ़ती है।
आनंद के लिए ध्यान का अभ्यास करें
लखनऊ विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के शिक्षक डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी ने बताया कि भारतीय योगियों और मनीषियों ने प्रसन्न रहने के कई मार्ग बताए हैं। जीवन में सकारात्मक विचार, संतोष, संतुष्टि और सफलता प्राप्त होने पर व्यक्ति आंतरिक रूप से आनंदित होता है। उन्होंने बताया कि आनंद कि अवस्था को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को धरना ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। जीवन में सात्विकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस अवसर पर विभाग के डीन प्रो.अशोक कुमार सोनकर, राम किशोर, कृष्ण किशोर शुक्ल, अनिल कुमार गुप्ता, विभाग के छात्र व छात्राएं मौजूद रहे।