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Lucknow News: ब्रेस्ट कैंसर की गिरफ्त में आ रही कम उम्र की महिलाएं, जानें क्या है वजह
Lucknow News: ब्रेस्ट सर्जन डॉ. ज्ञान चन्द के मुताबिक ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाएं तीसरे व चौथे चरण में अस्पताल पहुंच रही हैं। जिससे उनके इलाज में समस्या हो रही है। ऑपरेशन, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, हार्मोन थिरेपी और बायोलाजिकल विधि से स्तन कैंसर मरीजों को उपचार दिया जाता है।
Lucknow News: महिलाओं में स्तन कैंसर की समस्या बढ़ती जा रही है। लखनऊ के अस्पतालों में भी इस बीमारी के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसके अलावा अब कम उम्र की महिलाएं भी स्तन कैंसर की गिरफ्त में आ रही हैं।
स्तन कैंसर की गिरफ्त में आ रही कम उम्र की महिलाओं
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी व राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में हर रोज करीब 35 महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित पहुंच रही हैं। इनमें तीस फीसदी महिलाओं की उम्र चालीस वर्ष से कम है। खानपान की चीजों में प्रयोग हो रहे कीट नाशक, प्रदूषण, देर से शादी और बदली जीवनशैली की वजह से कम उम्र की महिलाएं स्तन कैंसर की गिरफ्त में आ रही हैं।
स्तन कैंसर का इलाज मुमकिन
पीजीआई के इंडोक्राइन और ब्रेस्ट सर्जन डॉ. ज्ञान चन्द के मुताबिक ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाएं तीसरे व चौथे चरण में अस्पताल पहुंच रही हैं। जिससे उनके इलाज में समस्या हो रही है। ऑपरेशन, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, हार्मोन थिरेपी और बायोलाजिकल विधि से स्तन कैंसर मरीजों को उपचार दिया जाता है। उन्होंने बताया कि यदि पहले या दूसरे चरण में कैंसर की पहचान हो जाए तो 90 प्रतिशत इलाज मुमकिन है। वहीं तीसरे और चौथे चरण में अधिक जोखिम होता है। हर साल अक्तूबर में स्तन कैंसर जागरूकता माह के तहत अस्पतालों में स्तन कैंसर जागरूकता को लेकर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
महिलाएं खुद कर सकती हैं पहचान
ब्रेस्ट सर्जन डॉ. ज्ञान ने बताया कि इस तरह के कैंसर की पहचान महिलाएं स्वयं कर सकती हैं। महिलाओं को 15 दिन के अंतराल पर स्तन के आकार में बदलाव, गांठ या तरल द्रव आदि जैसे कोई लक्षण लगने पर तत्काल डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए। चालीस साल से अधिक उम्र की महिलाओं को हर साल स्तन की जांच करानी चाहिए। स्तन पर गांठ पड़ने पर बिना संकोच इलाज कराएं। ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है।
जानें क्या है इसकी वजह
डॉ. ज्ञान चन्द ने बताया कि आज के समय में उगाई जा रही फसलों, फलों व सब्जियों में कीटनाशक व रसायन का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ खेतों का जहरीला पानी नदियों में जाता है। फिर यह पानी पीने में प्रयोग होता है। इस तरह अनाज, फल, सब्जियां व पानी शुद्ध नहीं होता है। इसके सेवन के साथ ही प्रदूषण, बदली जीवनशैली स्तन कैंसर के लिये जिम्मेदार हैं। इसके अलावा देर से शादियां होना, बच्चों को स्तन पान न कराना, धूम्रपान और एल्कोहल आदि अहम करण हैं। कुछ में आनुवाशिक भी कारण होते हैं।