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World COPD Day: फेफड़ों की इस बीमारी को न करें नजरअंदाज, दुनिया में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है सीओपीडी

World COPD Day: सीओपीडी आम तौर से लंबे समय तक हानिकारक कणों या गैसों, जैसे सिगरेट के धुएं, चूल्हे के धुएं, और प्रदूषक तत्वों आदि के संपर्क में रहने के कारण होता है।

Shashwat Mishra
Published on: 18 Nov 2022 3:18 PM GMT (Updated on: 19 Nov 2022 5:35 AM GMT)
World COPD Day
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फेफड़ों के बारे में जानकारी देते हुये

World COPD Day: विश्व सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी रोग) दिवस फेफड़ों की इस लंबी बीमारी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए नवंबर माह में इसका अनुपालन किया जाता है। यह रोग मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है और भारत में होने वाली लगभग 9.5 प्रतिशत मौतें इस रोग के कारण होती है। क्रोनिक इन्फ्लेमेटरी लंग डिसऑर्डर समूह की बीमारियों को सीओपीडी शब्द से परिभाषित किया जाता है। इस रोग में फेफड़ों को क्षति होती है और फेफड़ों में हवा का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। सीओपीडी रोग धीरे-धीरे बढ़ता है, जिस वजह से मरीज अपनी बीमारी को पहचान नहीं पाते और समय पर मेडिकल परामर्श प्राप्त नहीं कर पाते हैं। सीओपीडी के भार को कम करने के लिए इसका समय पर निदान होना जरूरी है, जिसके काफी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

सीओपीडी के निदान के लिए किया जाता है लंग फंक्शन टेस्ट

सीओपीडी आम तौर से लंबे समय तक हानिकारक कणों या गैसों, जैसे सिगरेट के धुएं, चूल्हे के धुएं, और प्रदूषक तत्वों आदि के संपर्क में रहने के कारण होता है। इस स्थिति में मरीजों को सांस फूलने, खांसी, बलगम बनने, खराश होने, और छाती में जकड़न का अनुभव होता है। इन मरीजों में सीओपीडी के निदान के लिए एक लंग फंक्शन टेस्ट किया जाता है, जिसे स्पाईरोमीट्री कहा जाता है। स्पाईरोमीट्री सीओपीडी के लिए एक गोल्ड स्टैंडर्ड डायग्नोस्टिक टेस्ट है और इसमें व्यक्ति द्वारा सांस के साथ खींची और छोड़ी जाने वाली हवा की मात्रा को मापा जाता है, जिससे व्यक्ति के लंग फंक्शन का चित्रण होता है। हालाँकि, स्पाईरोमीट्री का उपयोग बहुत कम हो रहा है, खासकर प्राथमिक या इलाज के पहले बिंदु पर स्थित फिज़िशियन बीमारी2 के प्रारंभिक चरणों में इसका उपयोग नहीं करते। इसका मुख्य कारण स्पाईरोमीटर्स की कम उपलब्धता और इस क्षेत्र में इनोवेशन की कमी है।

'सांस लेने में होती है दिक्कत'

स्पाईरोमीट्री टेस्ट के महत्व के बारे में डॉ. बी. पी. सिंह, रेस्पिरेटरी, क्रिटिकल केयर एंड स्पेशलिस्ट फॉर स्लीप मेडिसिन ने कहा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (सीओपीडी) में सांस लेने में लगातार दिक्कत होती है और फेफड़ों में हवा का प्रवाह सीमित हो जाता है। सीओपीडी के धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी होने के कारण इसके शुरुआती लक्षण अक्सर नजरंदाज हो जाते हैं, और लक्षण सामने आने तक यह बीमारी काफी गंभीर रूप ले चुकी होती है। सीओपीडी के निदान के लिए चिकित्सकों द्वारा अक्सर मरीज के इतिहास और क्लिनिकल परीक्षण पर भरोसा किया जाता है, जिसमें बीमारी के शुरुआती संकेतों को चूक जाने की संभावना होती है। इसलिए इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों का अनुभव करने वाले मरीजों के लिए इलाज के पहले चरण में स्पाईरोमीटर परीक्षण के उपयोग द्वारा निदान का मानकीकरण शीघ्र निदान और उपचार सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।''

'टेस्ट से निदान में विलंब से बचा जा सकता'

बातचीत में शामिल होते हुए डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक और लखनऊ के एक अस्पताल में पल्मोनरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष कहा,''लंग फंक्शन टेस्ट, खासकर स्पाईरोमीट्री टेस्ट करने से सीओपीडी के निदान में होने वाले विलंब से बचा जा सकता है और बीमारी का समय पर प्रबंधन कर इसे गंभीर बनने से रोका जा सकता है। इसलिए जिन क्षेत्रों और आबादी में सांस की बीमारियां, जैसे सीओपीडी होने की ज्यादा संभावना हो और जो लगातार सांस की समस्याओं का अनुभव कर रहे हों, उन्हें स्पाईरोमीट्री टेस्ट से काफी मदद मिल सकती है। सांस की बीमारियों के लक्षण किसी के भी नियंत्रण में नहीं होते, लेकिन सतर्क व जागरुक बने रहकर समय पर निदान व पहचान किया जाना जरूरी है।''

हाल ही में इनोवेशन द्वारा ऐसी डिवाईसेज़ प्रस्तुत करने की दिशा में काफी प्रगति हुई है, जो पोर्टेबिलिटी और वायरलेस फंक्शनलिटीज़ के साथ स्पाईरोमीटर को देश के हर व्यक्ति के लिए किफायती बना सकें।

भारतीय मरीजों में किया गया है स्पाईरोफाई का परीक्षण

स्पाईरोमीटर डिवाईसेज़ में इनोवेशन और इसकी उपलब्धता के बारे में डॉ. जयदीप गोगटे, ग्लोबल चीफ मेडिकल ऑफिसर, सिप्ला लिमिटेड ने कहा, ''स्पाईरोमीटर सीओपीडी के शुरुआती और सटीक निदान में काफी उपयोगी साबित हुए हैं। स्पाईरोमीटर्स की उपलब्धता में होने वाली कमी को पूरा करने के लिए सिप्ला ने भारत का पहला न्यूमोटैक आधारित पोर्टेबल, वायरलेस स्पाईरोमीटर, स्पाईरोफाई प्रस्तुत किया है, जिसने पूरे देश में सटीक स्पाईरोमीट्री की उपलब्धता काफी अधिक बढ़ा दी है। स्पाईरोफाई का परीक्षण भारतीय मरीजों में किया गया है और यह 97 प्रतिशत सेंसिटिविटी के साथ सीओपीडी के निदान में गोल्ड स्टैंडर्ड स्पाईरोमीटर के बराबर सटीक पाया गया है।''

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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