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Krishna Janmashtami: बंदी गृह में हुआ था माता अष्टभुजा का जन्म, कंश के हाथों से छूटकर विंध्य पर्वत पर हुई हैं विराजमान
Mirzapur: विंध्य पर्वत पर श्री कृष्ण की बड़ी बहन माता अष्टभुजा विराजमान है। देवकी के बालक का वध करने वाले कंस के हाथों से छूटकर मां अष्टभुजा विंध्य पर्वत पर गुफा में विराजमान हैं।
Mirzapur: जिले में स्थित विंध्य पर्वत पर भगवान श्री कृष्ण की बड़ी बहन माता अष्टभुजा विराजमान है। बहन देवकी की कोख से जन्में हर बालक का वध करने वाले कंस के हाथों से छूटकर मां अष्टभुजा विंध्य पर्वत पर आकर गुफा में विराजमान हो गई है। भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर एक ऐसी ख़बर आपको बताएंगे जो पुराणों में भी दर्ज है।
भगवान श्री कृष्ण की बड़ी बहन है माँ अष्टभुजा
विंध्य पर्वत पर विराजमान ज्ञान की देवी मां अष्टभुजा भगवान श्री कृष्ण की बड़ी बहन है। कृष्ण जन्मोत्सव से सात दिन पहले मां अष्टभुजा का जन्मोत्सव मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार मान्यता है कि पापी कंस ने अपनी मृत्यु के डर से अपनी बहन देवकी व उनके पति को कारागार में कैद कर लिया था। कंश अपने विनाश के भय से देवकी की कोख से जन्म लेने वाले हर बच्चे का वध कर देता था। इसी बीच देवकी के कोख से अष्टभुजा माता अवतरित होती है, जिन्हें ज्ञान की देवी भी कहा जाता है। देवी अष्टभुजा कंस के हाथों से छूट कर विंध्याचल पहाड़ी पर विराजमान हो गई और तब से मां अष्टभुजा अपने भक्तों का कल्याण कर रही है। बिहार के लोग मां अष्टभुजा को कुल देवी मानते है, जहां बिहार से जायदातर लोग मां के दर्शन पूजन के लिए आते है।
मार्कण्डेय पुराण में मां से जुड़ी बातों का है वर्णन
पंडित अखिलेश मिश्रा उर्फ राजन गुरु ने बताया कि पुराणों में यह दर्शाया गया है कि विंध्याचल जैसा क्षेत्र कोटि ब्रम्हांड में कही नही है। मार्कंडेय पुराण में वर्णन मिलता है कि 'नंद गोप गृहे जाता यशोदा गर्भ संभवा, ततस्तो नाशयिष्यामी विंध्याचल निवासिनी। आज भी देवी विंध्य पर्वत पर माता अष्टभुजा के रूप में विराजमान है, जो भगवान श्री कृष्ण की बड़ी बहन है। भगवान श्री कृष्ण व माता अष्टभुजा का दर्शन करने पर बराबर का ही फल मिलता है। यहां पर भक्त आते है जहां मां विंध्यवासिनी व कालीखोह के साथ अष्टभुजा माता मा दर्शन करते है।
अंधेरी गुफा में विराजमान है मां अष्टभुजा
माता अष्टभुजा देवी का मंदिर विंध्याचल में स्थित मां विंध्यवासिनी मंदिर से तीन किमी की दूरी पर स्थित है। विंध्य पर्वत के तीन सौ फीट ऊंचाई पर स्थित मां अष्टभुजा मंदिर तक जाने के लिए 160 पत्थर की ऊंची सीढ़ियां बनी हुई है। अष्टभुजा देवी की प्रतिमा एक लंबी और अंधेरी गुफा में है। गुफा के प्रकाश को लेकर व्यवस्था की गई है, जहां प्रकाश की रोशनी में श्रद्धालु देवी मां का दर्शन गुफा में करते हैं।