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यहां अब दुआ और दवा के लिए एक ही नाम, चलो मितरों मां चंद्रिका धाम
दवा और दुआ का पवित्र संगम है मां चंद्रिका देवी धाम। जहां ऐसी वनस्पतियां स्वतः ही उगी पाई गईं हैं। ये वनस्पतियां मां चंद्रिका देवी के आशिर्वाद के रूप में मां के मंदिर के आसपास लगभग आठ से दस किमी. के क्षेत्र में फैली हुई है। जिनकी पहचान करके हम सैकड़ों विमारियों का इलाज कर सकते हैं।
लखनऊ : दवा और दुआ का पवित्र संगम है मां चंद्रिका देवी धाम। जहां ऐसी वनस्पतियां स्वतः ही उगी पाई गईं हैं। ये वनस्पतियां मां चंद्रिका देवी के आशिर्वाद के रूप में मां के मंदिर के आसपास लगभग आठ से दस किमी. के क्षेत्र में फैली हुई है। जिनकी पहचान करके हम सैकड़ों विमारियों का इलाज कर सकते हैं। कुछ दिनों पहले वैज्ञानिकों की टीम ने इस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया तो पता चला कि यह जड़ी-बूटियां सड़क के किनारे स्वतः ही उगने वाले पौधों का एक बहुत बड़ा क्षेत्र हैं।
डाक्टरों और वैज्ञानिकों की एक टीम, वहां के निवासियों को इन जड़ी-बूटियों को विलुप्त होने से बचाने के उपाय और इनके औषधीय गुणों के बारे में जानकारी देने के लिए शिविरों का आयोजन भी करेगा।
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सीमैप के वैज्ञानिक कर रहे है औषधीय पौधौ की पहचान
केंद्रीय औषधि एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने बताया कि बीकेटी मोड़ और कठवारा ग्राम के पास मांझी घाट पुल के आसपास के क्षेत्रों में दर्जनों ऐसे पौधो की पहचान की गई है, जिनमें विभन्न रोगों केे उपचार में सहायक औषधीय गुण मौजूद हैं, जिनका हर्बल दवाएं बनाने मे प्रयोेग किया जाता है और जिनको पुरानी चिकित्सा पद्धति में लंबे समय से प्रयो्ग होता रहा है। इन जड़ी बूटियों का उपयोग करके हम रासायनिक दवाओं के उपयोग और उनके हानिकारक प्रभावों से बच सकते हैं। प्रकृति के इस बहुमुल्य भेंट को सुरक्षित एवं संरक्षित करना आवश्यक है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी इसका लाभ ले सकें।
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केंद्रीय औषधि एवं सुगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने कंघी नामक पौधे को शक्तिवर्धक और खून को साफ करने के लिए उपयोगी बताया। वहीं हुरहुर, उदर रोग में किस प्रकार लाभकारी हो सकता इसकी जानकारी उन्होंने दी।
ड़ॉ. सुभाष चन्द्र सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह और डॉ. रवि प्रकाश बंसल की टीम ने सड़क किनारे इन स्वतः उगने वाले औषधीय गुणों वाले पौधों को सूचीबद्ध किया है।
बड़े काम के हैं ये पौधे
अडूसाः खांसी, श्वास, दमा रोगों में प्रयुक्त।
सप्तपर्णीः विभिन्न प्रकार के ज्वर के उपचार में।
आक या मदारः श्वास व दमा रोगों में उचयोगी।
चकवड़ः चर्म रोग,उदर विकार में।
पाठा: कफनाशक, मूत्र विकार, नसों को ठीक करने में उपयोगी।
जलजमनी: सुजाक (पुरूष जननेंद्रियों का विकार), वात एवं गठिया में।
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मकोयः यकृत रोग, खून की कमी में उपयोगी।
गिलोय (अमृता)ः प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने,ज्वर,मधुमेह,रक्तविकार आदि में लाभकारी
पुननर्वाः पीलिया, मुत्र विकार में।
भूआमलकीः पीलिया, यकृत विकार में।
भृंगराजः केश वृद्धि, यकृत विकार आदि में उपयोगी।
गुटेल: उदर रोग, गठिया , सूजन आदि में लाभकारी।
कुंदरूः मधुमेह नाशक सुजाक एवं चर्म रोग में।
काला दानाः चर्म रोग, बुखार, सिरदर्द , कीड़ों को मारने आदि में प्रयुक्त।
दुदृधीः अतिसार में उपयोगी इत्यादि।