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‎माध्यमिक टीचर भर्ती: ‎विषय विशेषज्ञ के रूप में की गयी सेवा जोड़ने के प्रावधान को चुनौती 

sudhanshu
Published on: 20 July 2018 6:58 PM IST
‎माध्यमिक टीचर भर्ती: ‎विषय विशेषज्ञ के रूप में की गयी सेवा जोड़ने के प्रावधान को चुनौती 
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इलाहाबाद: हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 1982 के कानून में धारा 21 जी जोड़कर टीचरों की सीधी भर्ती में विषय विशेषज्ञों को समायोजित कर उनकी पूर्व की सेवाएं जोड़ने के प्रावधान को चुनौती दी गयी है। याचिका में कहा गया है कि धारा 21 जी का यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के विपरीत है। याचिका के समर्थन में कहा गया है कि इस प्रावधान से पहले से काम कर रहे पूरे प्रदेश के टीचरों की वरिष्ठता प्रभावित हो रही है। ऐसे में यह कानून गलत होने के कारण कोर्ट द्वारा इसे असंवैधानिक घोषित किया जाए। चीफ जस्टिस डीबी भोंसले व जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने इस याचिका की सुनवाई कर सरकार से जवाब तलब किया है।

यह आदेश कोर्ट ने गोरखपुर के अमित कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है | याचिका में आधार यह भी लिया गया है कि विषय विशेषज्ञ के रूप में की गयी सेवाएं जोड़ने का कानून यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड १९८२ के प्रावधान २१- ई व २१ - एफ के भी विपरीत होने के कारण रद्द किये जाने योग्य है | ‎याची का तर्क है कि विशेषज्ञ के रूप में की गयी सेवा जोड़ने से. सीधी भर्ती से नियुक्त टीचरो की वरिष्ठता प्रभावित हो रही है | जबकि सरकारी वकील का कहना है कि उक्त प्रावधान २१ - जी मे कोई असंवैँधानिकता नही है | कहा गया कि विषय विशेषज्ञो को सीधी भर्ती के पदों पर समायोजित होने का कानूनन हक है | ऐसे मे समायोजन के बाद अगर उनके काम के अनुभवो को जोड़कर बिना कोई उन्हें आर्थिक लाभ के दिये फायदा दिया जा रहा है तो इसमें कोई गल्ती नही है | बहरहाल, कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब कर इस मामले पर ७ अगस्त को सुनवाई करने का आदेश दिया है।

कोर्ट की अन्‍य खबरें

जिरह के लिए गवाहो को दुबारा तलब करने की पूर्व विधायक की अर्जी खारिज

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने जवाहर पंडित हत्याकांड में दो गवाहों को जिरह के लिए फिर से तलब किए जाने की मांग में दाखिल पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की अर्जी खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने दिया है।अर्जी में अभियोजन पक्ष के गवाह राजीव लोचन व राजेंद्र को जिरह के लिए फिर से तलब करने की मांग की गई थी। कहा गया था कि जब इन गवाहों का ट्रायल कोर्ट में बयान हुआ था, तब उदयभान करवरिया के अधिवक्ता के बीमार रहने के कारण उनसे जिरह नहीं हो सकी थी। यह भी कहा गया कि दोनों चश्मदीद गवाह हैं इसलिए उनसे जिरह किया जाना न्यायहित में आवश्यक है। अर्जी का विरोध करते हुए अधिवक्ता स्वाति अग्रवाल ने कहा कि गवाहों के बयान के दो साल बाद सीआरपीसी की धारा 311 के तहत उन्हें जिरह के लिए फिर तलाब करने की अर्जी महज ट्रायल को लटकाने की नीयत से दी गई है। दो साल पहले हुए बयान पर अब जिरह करने का कोई औचित्य भी नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से जवाहर पंडित हत्याकांड का ट्रायल अगस्त माह तक पूरा करने का निर्देश भी है। ऐसे में यह अर्जी निरस्त किए जाने योग्य है क्योंकि गवाहों से जिरह की अनुमति देने से ट्रायल अनावश्यक रूप से लटकेगा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी।

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