TRENDING TAGS :
Auraiya Flood News: किसानों को सताने लगी आगामी फसलों को बोने की चिंता, जानिए क्या है कारण
Auraiya Flood News: किसान जिस जगह पर आगामी फसलों को बोने का इंतजार कर रहा था अब उसके ऊपर बालू की मोटी परत जमा हो गई है।
Auraiya Flood News: इस बार की बारिश ने किसानों की मुशिकिलें बढ़ा दी हैं। बारिश के बाद जब यमुना का जलस्तर कम होता था तो नदी किनारे पड़ने वाली भूमि की मिट्टी काली हो जाती थी। जिससे उसमें बिना किसी खास लागत के अच्छी फसलों की पैदावार होती लेकिन इस बार बाढ़ ने किसानों की इस मंशा पर पानी फेर दिया है। जिस जगह पर किसान आगामी फसलों को बोने का इंतजार कर रहा था अब उसके ऊपर बालू की मोटी परत जमा हो गई है। जिससे किसानों के सामने अब संकट खड़ा हो गया है।
बीते दिनों सिंध व चंबल नदी में आई बाढ़ के कारण अजीतमल तहसील क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ भूमि पर बालू की परत जम गई है। जिससे आगामी फसलों का संकट भी किसानों के लिए उत्पन्न हो गया है। यही नहीं जनपद जालौन एवं इटावा भी इस संकट से प्रभावित हैं। बाढ़ के कारण सैकड़ों एकड़ भूमि में तेज बहाव से कटाव हो गया और खेत उबड़ खाबड़ हो गए। वहीं बालू की मोटी परत भी उनके ऊपर जमा होने से यह संकट खड़ा हुआ है।
बताते चलें कि यमुना के कछार क्षेत्र में बारिश के उपरांत जब यमुना का जलस्तर कम होता था तो उसके बाद नदी किनारे पड़ने वाली भूमि की मिट्टी काली हो जाती थी। जिससे उसमें बिना किसी खास लागत के अच्छी फसलों की पैदावार होती थी। मगर इस बार बाढ़ ने किसानों की इस मंशा पर पानी फेर दिया है। जिस जगह पर किसान आगामी फसलों को बोने का इंतजार कर रहा था अब उसके ऊपर बालू की मोटी परत जमा हो गई है।
जिससे किसानों को अब आने वाली फसलों के लिए भी संकट खड़ा हो गया है। यही नहीं बाढ़ के बाद यहां काफी मात्रा में हरा चारा भी जम जाता था जो उनके जानवरों के खाने के लिए 3 से 4 माह तक चलता था। मगर अब उस जमीन पर बालू की मोटी परत जम जाने से जानवरों के चारे का भी संकट खड़ा हो गया है। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि हर वर्ष इस काली मिट्टी पर गेहूं तथा अन्य उपयोगी फसलें भरपूर होती थी। मगर इस बार उनकी जगह पर सिर्फ बालू ही नजर आ रही है।
क्षेत्रीय किसानों का कहना है कि इस विकराल समस्या पर समय रहते सरकार ने कोई उचित कदम नहीं उठाया तो कई गांव के किसान भूमिहीन हो जाएंगे और उनके सामने रोजगार का भी संकट खड़ा हो सकता है। यही नहीं वह लोग गांव को छोड़कर शहरों की ओर पलायन करने के लिए भी मजबूर हो जाएंगे।