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Etawah News: दिल के मरीजों से रैफर-रैफर का खेल खेल रहे सरकारी संस्थान, लोगों की हो रही मौत, जानें क्या है वजह
उत्तर प्रदेश सीएम और सैफई मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ की यूनिवर्सिटी में ह्रदय रोगी इलाज कराये जाने की हरगिज ना सोचे क्योंकि यहां पर हृदय रोगियों के इलाज की कोई भी सुविधा आपको नहीं मिलेगी।
Etawah News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इटावा (Etawah) जनपद में गम्भीर ह्रदय रोगीयों के लिए काफी समस्याओं का सामना मरीज और उनके तीमारदारों को करना पड़ता है। सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है जिस कारण ह्रदय रोगियों की संख्या अधिक बढ़ने लगती है। अगर आप अपने ह्रदय रोग सम्बंधित गम्भीर मरीज को इटावा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संयुक्त जिला चिकित्सालय में ले जाने की सोच रहे है तो आपको यहां निराशा का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि जिला अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ न होने के चलते मरीजों को शहर से 22 किलोमीटर दूर सैफई विश्वविद्यालय रेफर किया जाता है।
लेकिन वहां के भी हाल बेहाल है। उत्तर प्रदेश सीएम और सैफई मेडिकल विश्वविद्यालय (Uttar Pradesh University of Medical Sciences Saifai) के कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की यूनिवर्सिटी में ह्रदय रोगी इलाज कराये जाने की हरगिज ना सोचे क्योंकि यहां पर हृदय रोगियों के इलाज की कोई भी सुविधा आपको नहीं मिलेगी। 1100 बेड वाला मेडिकल संस्थान में कार्डियोलोजिस्ट का पद लगभग 8 माह से खाली है जिस कारण इटावा से अन्य जनपदों से व अन्य जनपदों से आने वाले ह्रदय रोगियों को निराशा हाथ लगती है। और उनको मजबूरन गंभीर अवस्था वाले मरीजों आगरा, ग्वालियर, कानपुर, लखनऊ जाना पड़ता है।
इटावा जिला अस्पताल के डॉक्टर सैफ़ई मेडिकल में ह्रदय रोगी को रैफर करते है तो सैफ़ई मेडिकल में जाने वाले ह्रदय रोगियों को लक्ष्मीपति सिंघानिया अस्पताल के लिये रैफर किया जाता है, 8 माह पहले ही सैफई विश्वविद्यालय में कार्डियोलोजिस्ट डॉक्टर समीर सर्राफ घोटाले के चलते निलंबित किया जा चुका है। जिसकी वजह से जिला अस्पताल और सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय का कार्डियोलॉजी विभाग सिर्फ सफेद हाथी बनकर रह गया है।
जिला अस्पताल में हृदय रोगियों का कोई भी इलाज नहीं है। यहां पर प्राथमिक उपचार के बाद मरीजों को सैफई मेडिकल कॉलेज या फिर बाहरी जिलों के अस्पतालों में रैफर कर दिया जाता है। इलाज की समुचित सुविधा न मिलने के चलते कई मरीजों को जान से भी हाथ धोना पड़ता है।
जिला अस्पताल में कहने को 8 बेड की कार्डियोलॉजी है लेकिन यहां पर 10 वर्षों से कार्डियोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं हुई है। जब तक जिला अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ के एस भदोरिया और वी के साहू तैनात रहे तब तक मरीजों को लाभ मिलता रहा लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के बाद कार्डियोलॉजी पूरी तरह से शोपीस बनकर रह गई है। जिलाअस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट के 2 पद स्वीकृत हैं लेकिन दोनों ही पद खाली पड़े हुए हैं। आज तक शासन व प्रशासन के द्वारा इसके लिए कोई भी प्रयास नहीं किए गए हैं। समय-समय पर अधिकारी भी अस्पताल का दौरा करते हैं। लेकिन उनके द्वारा भी इस और कोई भी प्रयास नहीं किए गए। जिसका खामियाजा हृदय रोगियों को उठाना पड़ता है। कुल मिलाकर बड़े-बड़े पुरस्कार पाने वाले जिला अस्पताल और सैफई विश्वविद्यालय में हृदय रोगियों का कोई इलाज नहीं है।
वहीं सैफ़ई मेडिकल के एम एस डॉ० आदेश कुमार ने बताया यहां प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्रो के करीब 2000 मरीज अलग अलग इलाज कराने के लिए आते है, ह्रदय रोगियों को जनरल मेडिसिन में देखा जाता है गंभीर ह्रदय रोगियों जो जिनको पेसमेकर और एंजियोग्राफी, हार्ट स्टंट की जरूरत होती है उन मरीजो को सैफई से कानपुर के लक्ष्मीपन्त सिंघानिया अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है।
वहीं जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ० एम एम आर्या ने बताया कि प्रतिदिन 1100 से 1200 मरीज ओपीडी में आते है जिसमें ह्रदय से सम्बंधित 20 से 25 मरीज आते है। जिनको सैफई में रैफर किया जाता है, जिला अस्पताल में डॉक्टरों के 65 पद सृजित है लेकिन अभी वर्तमान में 31 डॉक्टर ही अस्पताल में तैनात है। कार्डियोलोजी के नियमित 2 पद पिछले कई वर्षों से रिक्त है। जिस कारण संविदा पर दो फिजिशियन कार्डियोलोजिस्ट तैनात किए गए है।