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August Kranti Diwas: क्रांतिकारियों को फांसी की सजा देने वाले न्यायालय में आज मिलती है शिक्षा, जानिए हैरान करने वाला इतिहास

August Kranti Diwas: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले का देश की आज़ादी का रिश्ता बहुत पुराना है।

Dilip Katiyar
Report Dilip KatiyarPublished By Divyanshu Rao
Published on: 9 Aug 2021 8:20 AM GMT
August Kranti Diwas
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राजकीय इंटर कॉलेज की तस्वीर (डिजाइन फोटो:न्यूज़ट्रैक)

August Kranti Diwas: उत्तर प्रदेश (Uttar Prdaesh) के फर्रुखाबाद (Farrukhabad) जिले का देश की आज़ादी का रिश्ता बहुत पुराना है। जिस समय देश की आजादी के जिले के क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ हर मोड़ पर उनको लोहा मनवा रहे थे। वहीं अंग्रेजी पुलिस अपने पैसों की बदौलत गरीबों से क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए पैसों के बदले जानकारी हासिल करते थे। लेकिन जो देश भक्त हुआ करते थे। वह पैसा लेने बाद भी अंग्रेजों को मारने में क्रांतिकारियों की मदद किया करते थे।

हम बात कर रहे हैं। फर्रुखाबाद शहर के मोहल्ला नई बस्ती में अंग्रेजी शासन काल में कोर्ट हुआ करता था। जिसमें जिले से लेकर अन्य जनपदों के क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाने के बाद कोर्ट के खड़े पीपल के पेड़ पर लटकाकर उनको मौत की नींद सुला दिया जाता था।

पीपड़ के पेड़ की तस्वीर


हजारों क्रांतिकारियों को एक साथ अंग्रजी शासन ने फांसी दे दी थी

अंग्रेजी हुकूमत के समय इस कोर्ट में किसी प्रकार से दया की उम्मीद नहीं की जाती थी। जब यह जानकारी अंग्रेजी हुकूमत को हो जाती थी तो वह उन लोगों को पकड़कर फांसी पर लटका दिया करते थे। करीब सौ साल पहले इस कोर्ट के कैम्पस में खड़े पीपल के पेड़ में एक साथ हजारों क्रांतिकारियों को फांसी पर लटका दिया गया था।

अंग्रेजी शासन काल के उस कोर्ट को भारत सरकार ने स्कूल बना दिया

आज वह पीपल का पेड़ सूख गया उसके साथ ही साथ काफी पुराना होने की वजह से बीच से टूट गया है। केवल उसकी जड़ ही बची है। वह इस अंग्रेजी कोर्ट में भारत सरकार ने उसमें सरकारी स्कूल खोल दिया है। जिस इमारत में देश भक्तों को सजा सुनाई जाती थी। आज इस आजाद देश मे उसमें छात्र बैठ कर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

सरकार ने स्कूल की इमारत का रंग तक नहीं बदला

भारत सरकार हो उत्तर प्रदेश सरकार ने उस इमारत का रंग नहीं बदला वैसा ही बना हुआ है। लेकिन सरकारी स्कूल के शिक्षकों से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने इस कॉलेज के इतिहास के बारे में बताने से बना कर दिया। जब शिक्षक ही इस आजादी की गवाह इमारत के बारे में नहीं जानते तो छात्रों को क्या बताते होंगे।

कॉलेज के शिक्षकों को राजकीय इंटर कॉलेज इतिहास नहीं पता

उन्हें सिर्फ इतना पता है कि यह राजकीय इंटर कॉलेज है। उसके अलावा कुछ नहीं है। यदि इसी प्रकार लोग देश के लिए मर मिटने वाले लोगो युवा पीढ़ी भूलती चली जायेगी।

युवा पीढ़ी इतिहास जानने की कोशिश नहीं कर रही है

रविन्द्र कुमार भदौरिया का कहना है कि आज के समय मे कोई युवा अपने इतिहास को जानने की कोशिश नहीं करता है। दूसरी तरफ बहुत कम स्थान है। जिनको सरकार ने अपने काम में लिया हो। सुरेन्द्र पांडेय ने बताया कि हम लोग अपनी धरोहर को अपने आप खत्म करने में लगे हुए हैं। किसी को देश की चिंता नहीं अपनी दिखाई देती है।

अनुराग पांडेय ने बताया की युवा पीढ़ी को वर्तमान समय में अपनी आजादी के जो स्थान है उनको बताना पड़ेगा क्योंकि स्कूलों में केवल पढाई होती है।हर प्रकार से जानकारी नही दी जाती है।

Divyanshu Rao

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