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फर्रुखाबाद में बाढ़ बनी कुंआरों के लिए मुसीबत: नहीं होती यहां शादी
कटरी के 27 गांव ऐसे हैं, जहां शादियों का ग्राफ साल दर साल कम हो रहा है...
फर्रुखाबाद में बाढ़ कुंआरों के ब्याह करने के अरमान पर पानी फेर रही है। कटरी के 27 गांव ऐसे हैं, जहां शादियों का ग्राफ साल दर साल कम हो रहा है। लोग यहां अपनी बेटियों को ब्याहने से कन्नी काटते हैं। ऐसे में इन गांवों में कुंआरो की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले छह सालों में यहां किसी कुंआरे के सिर पर विवाह का मौर नहीं बंधा। घर के बढ़े- बूढ़े लड़कियों के तो संबंध तय कर आते हैं पर कोई अपनी लड़की का संबंध यहां जोड़ने नहीं आता।
इन जगहों पर हर साल आती है बाढ़
कमालगंज ,अमृतपुर शमसाबाद ब्लाक के कटरी के गांव समैचीपुर, सुतिहार, गंगलई, साधो सराय, हरसिंगपुर सहित गांव ऐसे हैं जो बाढ़ के कारण हर साल तबाह होते हैं और बाढ़ के बाद हर फिर बसते हैं। उजड़ना और बसना उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया है। बरबादी का यह आलम कुंआरों के अरमानों पर पानी फेर रहा हैं। गांव वालों का दर्द सुनने के बाद लड़की वाले अपनी बेटी का रिश्ता करने से तौबा कर लेते हैं। यहां तो बाढ़ आने से पहले जिंदगी बचाने के लिए गांव खाली कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ता है। ऐसे में कोई यहां रिश्ता लेकर आ भी जाता है तो सारी कथा सुनकर वापस नहीं लौटता।
प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ कुंवारों के अरमानों पर पानी फेर रही
गंगा और रामगंगा प्रतिवर्ष बाढ़ लेकर आती है और तराई क्षेत्र में बाढ के रूप में मुसीबत छोड़कर चली जाती है। बाढ़ आने से ग्रामीणों की जमा पूंजी भी खत्म हो जाती है, जिसका खामियाजा यहाँ के नौजवान को भुगतना पड़ रहा है। राजेपुर, अमृतपुर, शमसाबाद और कमालगंज क्षेत्र के गंगा कटरी के कई गांव है, जहाँ सदियों से शादियों का ग्राफ दिनों-दिन घटता जा रहा है। प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ कुंवारों के अरमानों पर पानी फेर रही है। बाढ़ आने के साथ आने वाली मुसीबत को देखते हुए लकड़ी पक्ष के लोग अपनी बेटी की शादी करना भी इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पसंद नही करते। जिससे कटरी क्षेत्र के गाँव समैचीपुर चितार, सुतिहार, गंगलई, साधो सराय, हरसिंगपुर सहित दर्जन भर से अधिक गांवों में दशकों से कुंबारों की संख्या बढ़ रही है।
बाढ़ के कारण कोई भी लड़की शादी के लिए नहीं होती राजी
बाढ़ नौजवानों के अरमानों पर पानी फेर रही है।ग्रामीण धनीराम का कहना है कि वह 50 साल के हो गये। उसकी आज तक शादी ही नही हुई। उसने बताया की बाढ़ के चक्कर में कोई अपनी बेटी देना नही चाहता। ग्रामीण महिला सुशीला नें बताया कि बेटी वाले बाढ़ आने से भय खाते है कि जब बाढ़ आयेगी तो उनकी बेटी क्या करेगी। जब पति बाढ़ में कमाकर ला नही पायेगा तो फिर वह पेट कैसे भरेगा, जिससे उनके ही दो देवरों के लिए रिश्ते नही आ रहे। ग्रामीण सुरेश सिंह नें बताया कि आस-पास के गाँव में लगभग 300 से 400 तक लड़के कुंवारें घूम रहें है। लेकिन विवाह की कोई उम्मींद नजर नही आ रही।