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Fatehpur News: 35 साल बाद अपने परिवार से मिला बागनी, पूरी कहानी जानकर हो जाएंगे हैरान
12 वर्ष की उम्र में बगानी ने गांव छोड़कर गया था लेकिन शहर में भटक जाने के बाद वो 35 साल के बाद गांव लौटा।
Fatehpur Crime News: एक पुरानी कहावत है, सुबह का भुला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भुला नहीं कहते हैं। ठीक इसी तरह की कहानी बगानी के साथ घटित हुआ है, जहां 12 साल की उम्र में बागनी अपना गांव छोडकर शहर गया था लेकिन कम उम्र होने के कारण शहर में भटक गया था, जिसके बाद उसकी घर लौटने की उम्मीद एकदम धुमिल हो गई थी। ठीक उसी वक्त जंगल में भटकते समय उसकी एक सिपाही से मुलाकात हुई जहां उसकी भाषा को समझकर उसके गंतव्य स्थान यानी उसके घर तक पहुंचाने में मदद की जिसकी उम्मीद वो कई साल पहले छोड़ चुका था।
5 साल बाद अपनो को देख परिवार के लोगो मे खुशी का ठिकाना ना रहा
आपको बता दें की काम के बहाने एक 12 साल के बच्चे को कुछ लोग अपने साथ ले गए और उसके साथ जानवरो की तरह काम लेते रहे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। तभी 35 साल बाद वह बच्चे जो अब 47 साल का हो गया एक पुलिस कर्मी की मदद से अपने परिवार के लोगो से मिल पाया जंहा 35 साल बाद अपनो को देख परिवार के लोगो मे खुशी का ठिकाना ना रहा।
यह मामला यूपी के फतेहपुर जिले के गाजीपुर थाना क्षेत्र के सुकेती गांव का है जहां गांव के रहने वाले स्वम्बर सिंह और उनकी पत्नी शिव दुलारी के तीन लड़के व एक लड़की में चंदा बड़ी लड़की, बाबू बड़ा लड़का, बागनी व जगत है। जिसमें बागनी जिसको 12 वर्ष की उम्र में गांव के कर्नल मान सिंह अपने साथ भोपाल स्थित फार्म हाउस में नौकरी कराने के लिए ले गए थे। वहीं से बागनी एक साल बाद गायब हो गया था। जहां बेटे के गुम होने की सूचना के गम में 20 साल पहले पिता स्वम्बर सिंह की मौत हो चुकी थी।
माँ शिवदुलारी अपने बेटे की राह देख रही थी
उसके बाद माँ शिवदुलारी अपने बेटे की राह देख रही थी। जहां चार दिन पहले गाजीपुर थाने से बागनी को भोपाल में मिलने की सूचना आयी तो परिवार में खुशियां छा गई। 35 साल बाद घर पहुचा बागनी तो देखने वालों की भीड़ लगी रही जहां अपनो के बीच पहुचा बागनी ने बताया कि भोपाल के फार्म हाउस से निकले तो भटक गए, वहीं चचेरे भाई कमलेश के साथ भोपाल में परवलिया सड़क थाना क्षेत्र के दौलतपुर टिकरिया गांव में मीणा परिवार के यहां रात गुजारी तो उन लोगों ने बाहर नहीं जाने दिया।
बागनी ने बताया कि इसी बीच उसकी शादी एक आदिवासी लड़की से करा दी गई जो शराब पीने के साथ अपने साथ हमेशा चाकू रखती थी जिससे मुझे डर लगता था। और वह खाने में मछली चावल ज्यादा खाती थी जो दो दिन बाद मुझे छोड़कर चली गई। बागनी का मददगार बना एक सिपाही जहां बागनी अपनो के बीच आने की उम्मीद छोड़ चुका था लेकिन जंगल मे लकड़ी काटने के दौरान एक सिपाही से मुलाकात हुई तो बोली भाषा सुनकर नाम पता पूछने के बाद चला गया,जिसके बाद पुलिस के माध्यम से आज अपने परिवार के बीच हैं।