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Fatehpur News: खतरे के निशान के ऊपर बह रही गंगा, बाढ़ से 10 गांव प्रभावित
Fatehpur News: गृहस्थी लेकर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंच पीड़ित, कागजों में चल रही बाढ़ चौकी
Fatehpur News: फतेहपुर जिले के गंगा नदी (ganga mein ufaan) में आयी बाढ़ ने रौद्र रूप ले लिया है। लगातार गंगा नदी (ganga mein ufaan) में बढ़ रहे जलस्तर के कारण छठे दिन चार और गांवों में बाढ़ का पानी (badh mein ghire gaonv) घुस गया है, जिसको लेकर ग्रामीण अपना घरेलू सामान सुरक्षित करने में लगे हैं। वहीं बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए जिला प्रशासन की तरफ से तैनात अधिकारी व कर्मचारी गायब हैं, जिससे पानी में फंसे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। जिले के मलवां विकासखंड के आशापुर और अभयपुर ग्राम सभा के गांवों की हालत बाढ़ के पानी से बदतर होती जा रही है। पांचवें दिन लगातार पानी (UP floods) का बढ़ना जारी है। चार गांव (badh mein ghire gaonv) पानी से घिर गए हैं। बाढ़ पीड़ित घरों से गृहस्थी का सामान नाव में लादकर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंच रहे हैं।
बिंदकीफार्म, सदनहा, कालीकुंडी, बेनी खेडा, जाड़े का पुरवा सर्वाधिक प्रभावित हैं। बिंदकीफार्म, सदनहा, कालीकुंडी गांव में घरों में पानी घुसने लगा है। सरकार की तरफ से बनाई गई बाढ़ चौकियां (badh chauki) सिर्फ कागजों में सीमित हैं। बाढ़ से बचाव के लिए किसान अपने संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं।
तीन बार गंगा में समा चुका कालीकुंडी गांव
1978 में गंगा नदी में आई भयंकर बाढ़ में कालीकुन्डी गंगा में पानी में समा गया था। 30 साल पहले दूसरी बार गांव गंगा की पानी (badh mein ghire gaonv) में कट गया। तीसरी बार 2005 में कालीकुंडी पूरी तरह से कट गया था। हर बार यहां के ग्रामीण अलग हटकर मकान बनाकर गांव बना लेते हैं। इस बार भी 35 परिवारों को गांव गंगा में कट जाने का भय सता रहा है। हालांकि सरकार ने पिछली बार बाढ़ (UP floods) से प्रभावित यहां के वाशिंदों को दरियापुर बांगर में आवास और जमीन दे दी थी। लेकिन खेती बाड़ी करने वाले किसान काली कुंडी में ही करते हैं। परिवार का भरण-पोषण यहीं सब्जी की खेती कर होता है।
जान जोखिम में डालकर पानी से निकल रहे बाढ़ पीड़ित
पर्याप्त नाव व्यवस्था न होने की वजह से जान जोखिम में डालकर बाढ़ पीड़ित सड़क के किनारे पहुंच रहे हैं। काली कुंडी गांव के दिनेश की पत्नी सविता, ननद नेहा के साथ सामान लेकर सड़क किनारे दरियापुर पहुंचने के लिए साधन का इंतजार कर रही थीं। धूप से बचने के लिए छाता के नीचे बच्चों को बैठा रखा था। खेतों में झोपड़ी बनाकर रह रहे नया खेड़ा के लक्ष्मण नाव से सामान लाकर साधन की प्रतीक्षा करते देखे गए। बड़ा खेड़ा के कमल नाव से सामान लाकर साधन का इंतजार कर रहे थे।
बाढ़ के चलते कच्ची फसल को उखाड़ रहे किसान
खेत मे लगी कच्ची फसल में बाढ़ का पानी भरने की वजह से किसान उखाड़ कर व्यापारियों को ओने पौने दामों में बेच रहे हैं। प्याज, मिर्च, परवल सब्जी और मसाले की फसलें तोड़कर कानपुर मंडी भेज रहे हैं। लोगों को 2 जून की रोटी के लिए पैसों का जुगाड़ करने के लिए कच्ची फसल को उखाड़ कर बेचना पड़ रहा है। बाढ़ के पानी के कारण हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है।
बाढ़ के पानी को रोकने को बना रहे बंधा
गंगा और पांडु नदी के संयुक्त पानी से फसल बचाने के लिए किसानों ने फावड़ा उठा लिया है। खेतों में खड़ी फसल से 2 जून के निवाले और परिवार के भरण-पोषण की आस को लेकर खेतों के चारों तरफ पानी को रोकने के लिए बंधा बना रहे हैं। खड़ी फसल पानी में डूब कर खेतों में बर्बाद हो गई है। बेमौसम बाढ़ के पानी से खड़ी फसल तो खराब हो रही है आगे फसलों की बुवाई के लिए समय निकल रहा है। आसपास के ग्रामीणों ने मिलकर फसल को बचाने का प्रयास शुरू कर दिया है।
नदी पार कर मवेशियों का ला रहे चारा
यहां के किसानों का सब्जी की खेती और मवेशी पालन मुख्य व्यवसाय है। यहां से सब्जी और दूध की सप्लाई फतेहपुर और कानपुर नगर तक होती है। बाढ़ में मवेशियों को चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है। अधिकतर किसानों के खेत नदी के दूसरे पार हैं। नाव से पानी से डूबने से बची फसल को काटकर मवेशियों का पेट पाल रहे हैं। गांव के किनारे रखे भूसे में पानी (UP floods) भर गया है। जिससे अब किसानों में मवेशियों के चारे को लेकर चिंता देखी जा रही।
ये गांव बाढ़ से प्रभावित हैं
दरियापुर बांगर, मदारपुर, दरियापुर, कटरी, बड़ाखेड़ा, नया खेड़ा, मल्लू खेड़ा, काली कुंडी, सदनहा बिन्दकीफार्म, जाड़े का पुरवा, औसेरीखेड़ा, बेनीखेड़ा, बेरी नारी, रामघाट आदि।
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