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Guru Purnima: हिन्दू धर्म में गुरु सर्वोपरी, गुरु पूर्णिमा के दिन की गई गुरुजनों की पूजा-अर्चना

Guru Purnima: जीवन में किसी भी कार्य को करने से पहले उसे सीखना पड़ता है और उस कार्य को सिखाने वाला व्यक्ति ही गुरु होता है। गुरु किसी भी रूप में हो सकता है।

Dilip Katiyar
Report Dilip KatiyarPublished By Vidushi Mishra
Published on: 24 July 2021 5:35 AM GMT
In Hinduism, the Guru is the most important, the worship of the gurus is done on the day of Guru Purnima
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गुरु पूर्णिमा के दिन की गई गुरुजनों की पूजा अर्चना

Guru Purnima: किसी भी व्यक्ति की सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ उसके गुरु का होता है। जीवन में किसी भी कार्य को करने से पहले उसे सीखना पड़ता है और उस कार्य को सिखाने वाला व्यक्ति ही गुरु होता है। गुरु किसी भी रूप में हो सकता है। वह आपके माता-पिता या कोई संबंधी भी हो सकते हैं।

हिन्दू धर्म में गुरु को सर्वोपरी माना गया है। इसी वजह से गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा अर्चना का प्रावधान रखा गया है।गुरु का महत्व अध्यात्म में सर्वोपरि माना गया है। गुरु अपने शिष्य को हर परिस्थिति के लिए तैयार करता है। सभी धर्मों में गुरु को अलग-अलग तरह से महत्व मिला है।

गुरू पूर्णिमा स्नान का विशेष महत्व

वो लोग बहुत ही भाग्यशाली होते हैं जिन्हें गुरु से दीक्षा मिलती है। गुरु की क्रपा से सुख, संपन्नता, ज्ञान, विवेक, सहिष्णुता प्राप्त होता है । गुरु अंधकार से प्रकाश की और ले जाता है. ये कह सकते हैं कि गुरु अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है और जो हमें ज्ञान देता वह पूजनीय माना जाता है।

इस दिन को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं भी हैं। जिनमें से एक कथा के अनुसार इसी दिन ऋषि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। भारत के कई राज्यों में इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग गुरु व्यास जी की पूजा करते हैं।


गुरू पूर्णिमा के मौके पर पांचाल घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। सुबह से ही गंगा स्नान शुरू हो गया । दूर-दराज से चलकर आने वाले श्रद्धालुओं का दिनभर तांता लगा रहा। इस दौरान हर हर गंगे के जयघोष से गंगा के सारे घाट गूंजते रहे।

सत्यनारायण की कथा सुनने से सारी मनोकामनाएं पूरी

स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने बड़े ही विधि विधान से मां गंगा का पूजन अर्चन किया। इस दौरान धूप, दीप, अक्षत, रोली, चंदन, पुष्प, दूध, दही, शहद, घृत व नैवेद्य समर्पित कर लोगों ने मां गंगा से सुख और समृद्धि की कामना की।


स्नान के दौरान श्रंगीरामपुर घाट, किला घाट, रानी घाट, बरगदिया घाट, ढाईघाट समेत लगभग पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। विधि विधान से श्रद्धालुओं को पूजन अर्चन कराने वाले आचार्यो ने बताया कि गुरू पूर्णिमा स्नान का विशेष महत्व होता है।

इस दिन गंगा स्नान करने वाले भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते है। उन्हें सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। कामख्या से आये संत मनोज भर्ती ने बताया कि पूर्णमासी के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर नगर के विद्यालयों से लेकर कोचिंगों तक में विद्यार्थियों ने अपने गुरुजनों को पेन व अन्य तोहफे भेंट कर मुंह मीठा कराकर आशीर्वाद प्राप्त किया।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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