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Mahakumbh Mela 2025: तप ने बढ़ाया स्नानार्थियों का पुण्य

Kumbh Mela Snan Ka Mahatva: कुशल प्रबंधन और बेहतर व्यवस्थाओं के बावजूद विघ्न बाधाओं और कष्टों की परीक्षा लेता है धार्मिक अनुष्ठान

Naved Shikoh
Written By Naved Shikoh
Published on: 12 Feb 2025 4:11 PM IST
Mahakumbh Mela 2025 Special Story
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Mahakumbh Mela 2025 Special Story

Mahakumbh Mela 2025: दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक-सांस्कृतिक आयोजन में सबसे अच्छी व्यवस्था हो तब भी धार्मिक अनुष्ठान तप के बिना अपूर्ण हैं। किसी विशेष दिन, विशेष समय सीमा के मुहूर्त में चारों दिशाओं से करोड़ों लोग, लाखों गाड़ियां एक ही स्थान पर पहुंचें तो रोड व्यस्त होंगे ही। ऐसे में अपने गंतव्य पर पंहुचने में लाख अच्छी व्यवस्थाओं और भौतिक संसाधनों के बाद भी समस्याएं आएंगे, संकट दिखेंगे, ट्रैफिक कष्ट देगा और पद यात्रा भी करनी पड़ेगी। ये तप वरदान होगा।

सभी धर्मो में विशेषकर सनातन धर्म में जप,तप, व्रत,दान, त्याग का विशेष महत्व है। जिस अनुष्ठान में जितना तप होगा ईश्वर उसे उतना ही स्वीकार करेगा। उतना ही पुण्य देगा। कोई आराधना, तपस्या या इबादत विलासितापूर्ण नहीं होती। कष्ट,त्याग, समर्पण, धैर्य और अनुशासन की शक्तियों संग व्यवधानों, विघ्न बाधाओं को लांघते हुए ही कोई अनुष्ठान संपूर्ण होता है। जितने कष्ट, व्यवधान, विपत्तियां, बाधाएं पार करेंगे उतना पुण्य होगा। तप के बिना अनुष्ठान अधूरा है।

गीता के अनुसार तप का अर्थ है-पीड़ा सहना, घोर कड़ी साधना करना और मन का संयम बनाए रखना। महर्षि दयानंद के अनुसार 'जिस प्रकार सोने को अग्नि में डालकर इसके मैल को दूर किया जाता है, वैसे ही सद्गुणों और उत्तम आचरणों से अपने हृदय, मन और आत्मा के मैल को दूर किए जाने को तप कहते है।

सनातन परंपराओं, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और विकास को आगे बढ़ा रहे एक योगी की सरकार में महाकुंभ में कुशल प्रबंधन, अद्भुत व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सहूलियतों का इंतजाम है। फिर भी मुख्य स्नानों के समय विशेष समय के मुहूर्त पर कई करोड़ लोगों का जनसैलाब ट्रैफिक व्यवस्था की भी परेशान पैदा ना करे या पैदल चलने जैसा कष्ट ना हो ये असंभव है। ऐसे कष्ट, व्यवधान और विघ्न बाधाएं प्रयागराज के महाकुंभ स्नान के स्नानार्थियों के पुण्य कार्य में निखार पैदा करती हैं। तपस्या के बिना आराधना मन को संतुष्ट नहीं करती।

पहली बार पचास करोड़ स्नानार्थियों वाला भव्य और दिव्य महाकुंभ

कई मायनों में पहली बार ऐसा महाकुंभ हो रहा है जिसमें करीब पचास करोड़ की संख्या में मानव समागम का अनुमान है। विश्व के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों का कोई धार्मिक-आध्यात्मिक,सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं हुआ। समाजशास्त्र,इतिहासकार, इवेंट और क्राउड मैनेजमेंट के जानकारों की माने तो संभावित पचास करोड़ की संख्या के आयोजन में जितनी समस्याएं और दुर्घटनाओं का आम खतरा बन सकता है, ऐसे कई गंभीर खतरों से महाकुंभ को बचाने के प्रयास सार्थक रहे। ये आयोजन भारत के सांस्कृतिक गौरव और सनातन एकता का प्रमाण बनकर विश्व इतिहास में दर्ज होगा।

यूपी के मुख्यमंत्री का योगी होना ऐतिहासिक सफलता का मुख्य कारण

योगी आदित्यनाथ दशकों से सनातन धर्म के सेवादार प्रहरी हैं। राम मंदिर आंदोलन की नीव रखने वाले गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने सनातनियों की एकता एकजुटता को बल देकर जातियों के बिखराव को रोका है। महाकुंभ प्राचीन सनातन परंपराओं और हिन्दुत्व एकजुटता का भी प्रतीक है। ये महाआयोजन सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और आर्थिक, व्यापारिक व पर्यटन विकास को भी आगे बढ़ाने का केंद्र भी है। देश प्रदेश के चौमुखी विकास और सनातन परंपराओं को आगे बढ़ाने वाला ऐसा महाकुंभ संयोगवश 144 वर्षों बाद हो रहा है। यही सब कारण है कि योगी सरकार ने इस सांस्कृतिक आयोजन की सफलता, दिव्यता,भव्यता और सुविधाओं के लिए जी-जान लगा दी।

मेला क्षेत्र पहले की अपेक्षा बहुत अधिक बढ़ाया गया

पूर्व में जितने भी कुंभ-महाकुंभ हो चुके है उनमें इतने लोगों की उपस्थिति नहीं हुई जितनी इस बार हुई है। पूर्व के आयोजनों से करीब पचास गुना अधिक स्नानार्थी महाकुंभ 2025 में सम्मिलित होने का अनुमान हैं।

देशवासियों के साथ विदेशियों की भी आस्था

देश के कोने-कोने से श्रद्धालु प्रयागराज में महाकुंभ में उपस्थित हो रहे हैं। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरी परंपराओं और श्रद्धा के साथ संगम में डुबकी लगाई।

साथ ही विश्वभर के कई देशों के नागरिक,प्रमुख और राजनायिक इस सांस्कृतिक समागम में शामिल होने प्रयागराज आए। डिजिटल महाकुंभ के जरिए दुनिया के करीब सौ देश इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान के सहभागी बने।

विशेष स्नानों और समय विशेष के मुहूर्त ने चुनौतियां बढ़ाईं

संभावना थी कि पूरे महाकुंभ में चालीस करोड़ की तादाद आएगी, किंतु संभावना से अधिक संख्या देखने को मिल रही है। प्रशासन और पुलिस की कार्यकुशलता और कर्मठता के बाद भी मुख्य स्नानों में यातायात व्यवस्था एक बड़ी चुनौती रही। मुख्य स्नानों में आठ करोड़ तक श्रद्धालुओं का जनसैलाब आने का अनुमान जताया गया। एक ही दिन और एक ही समय मुहूर्त पर सात-आठ करोड़ लोग चारों दिशाओं से एक ही स्थान की तरफ बढ़ें ऐसी स्थिति में योजनाबद्ध बेहतरीन व्यवस्था के बाद भी ट्राफिक जाम की स्थिति बनेगी ही। प्रयागराज आने वाले करोड़ों स्नानार्थियों ने काशी,मथुरा, वृन्दावन जैसे धार्मिक तीर्थों की तरफ भी रुख किया। मुख्य स्नानों में ऐसी स्थितियों में यातायात को संभालना आसान नहीं था। पुलिस तंत्र के लिए ये बेहद बड़ी चुनौती रही। मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व और दिशानिर्देश में पुलिस,प्रशासन और व्यवस्था में लगे लाखों कर्मचारियों की ये कर्त्तव्यपरायणता ही नहीं बल्कि धर्म साधना का तप भी है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)



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