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सर्वे: RTI कार्यकर्ताओं की हत्या मामले में गुजरात-यूपी बराबर, महाराष्ट्र अव्वल
लखनऊ: भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में औजार बना जनसूचना का अधिकार-2005 अब आरटीआई कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न और हत्या का सबब बनता जा रहा है।
सामाजिक संस्था 'येश्वर्याज' द्वारा किए गए सर्वे के आंकड़ों की मानें, तो 11 वर्षो में देशभर में 400 से ज्यादा आरटीआई कार्यकर्ता जानलेवा हमले या गंभीर उत्पीड़न का शिकार हो चुके हैं। यही नहीं 65 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है। इन हमलों और हत्या के मामले में जहां महाराष्ट्र अव्वल है, वहीं पीएम नरेंद्र मोदी का गृह राज्य गुजरात और सीएम योगी आदित्यनाथ का यूपी एक साथ दूसरे स्थान पर काबिज हैं।
65 से अधिक कार्यकर्ताओं की हो चुकी है मौत
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव (सीएचआरआई) और सामाजिक संगठन 'येश्वर्याज' के आंकड़ों पर रविवार (21 मई) को राजधानी में बैठक में आरटीआई कार्यकर्ताओं ने चर्चा की। बैठक में येश्वर्याज की सचिव उर्वशी ने बताया कि 'देश में अब तक 400 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ता जानलेवा हमले या गंभीर उत्पीड़न का शिकार हो चुके हैं। अब तक 65 से अधिक सूचना के सिपाही पारदर्शिता की राह पर शहीद तक हो चुके हैं।'
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हमला मामले में महाराष्ट्र अव्वल
बकौल उर्वशी, 'लगभग 100 हमलों के साथ महाराष्ट्र देश में पहले स्थान पर है। लगभग 70-70 ऐसे मामलों के साथ यूपी और गुजरात दूसरे स्थान पर है। जबकि दिल्ली का नंबर तीसरा है। हमलों के मामलों में कर्नाटक चौथे, आंध्र प्रदेश पांचवें, बिहार और हरियाणा छठे स्थान, ओडिशा सातवें, पंजाब आठवें तथा तमिलनाडु नौवें स्थान पर है।'
यूपी और गुजरात दूसरे स्थान पर
उर्वशी ने बताया, 'उपलब्ध सूचना के अनुसार, हाल के 11 वर्षों में देश में 65 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है। महाराष्ट्र में सर्वाधिक आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या में इसके बाद यूपी और गुजरात का दूसरा स्थान है।'
लाएं कानून के दायरे में
उर्वशी ने सूचना आयोगों में अपीलों और शिकायतों के निस्तारण में लगने वाली देरी को आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या और उनके उत्पीड़न का मुख्य कारण बताते हुए लोकपाल की नियुक्ति करने और आरटीआई कार्यकर्ताओं को व्हिसल ब्लोअर के दायरे में लाकर कानून को लागू करने की मांग की है।
सौजन्य: आईएएनएस