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देश की सबसे बड़ी भूख हड़ताल, गोरखनाथ तपोभूमि को क्या मिल सकेगा 'एम्स हॉस्पिटल'

महोबा में बुंदेली समाज पिछले डेढ़ वर्षों से एम्स हॉस्पिटल की मांग कर रहा है। आंदोलन के बाद देश की सबसे लम्बी भूख हड़ताल अभी भी जारी है।

sujeetkumar
Published on: 21 April 2017 11:36 AM GMT
देश की सबसे बड़ी भूख हड़ताल, गोरखनाथ तपोभूमि को क्या मिल सकेगा एम्स हॉस्पिटल
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बुंदेलखंड: महोबा में बुंदेली समाज पिछले डेढ़ वर्षों से एम्स हॉस्पिटल की मांग कर रहा है। कई आंदोलन के बाद देश की सबसे लम्बी भूख हड़ताल अभी भी जारी है जोकि आमरण अनशन में तब्दील हो चुकी है। बुंदेली समाज के पांच लोग इस बढ़ते तापमान में खाना त्याग चुके है। स्वास्थय सेवाओं से महरूम गोरखनाथ की तपोभूमि महोबा में एम्स की मांग कर रहे बुंदेली समाज को सीएम योगी से बड़ी उम्मीदें है। सीएम योगी भी गोरखपुर में एम्स की लड़ाई लड़ चुके हैं।

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वीर आल्हा उदल की नगरी महोब जहां कई वर्षों से दैवीय आपदाओं का दंश देखने को मिला है। गरीबी, भुखमरी और पलायन यहां का सही चित्रण है।

महोबा सहित पुरे बुंदेलखंड में कोई भी एम्स जैसे बड़े हॉस्पिटल की व्यवस्था न होने से यहां के लोग महानगरों में जाने के लिए मजबूर हो जाते है। ऐसे में महोबा के ही रहने वाले तारा पाटकार ने बुन्देली समाज का गठन कर रोटी बैंक की शुरूआत की, और डेढ़ वर्ष पूर्व एम्स की मांग की। इस अभियान का आरम्भ पोस्टकार्ड अभियान से हुआ जिसमे मुसलमानो ने संस्कृत सहित कई भाषाओं में डेढ़ लाख खत लिखकर भेजे।

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मोदी को मनाने के लिए रमजान में हिन्दू भाइयों ने एक माह के रोजे रख कर एम्स की मांग की। यहीं नहीं एम्स की मांग के लिए कई प्रकार के आंदोलन किए तारा पाटकार पिछले 257 दिनों से अन्य त्याग कर उपवास आंदोलन कर रहे थे। लेकिन उनकी सुध न तो सत्ता पक्ष ने ली और न ही विपक्ष के नेताओं ने।

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सीएम योगी आदित्यनाथ बीतें दिन बुंदेलखंड के दौरे पर आए लेकिन उन्होंने देश के सबसे लम्बी हड़ताल को लेकर कोई जिक्र तक नहीं किया। अब थकहारकर समाजसेवी तारा पाटकार ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकार सहित उनके चार साथी शेख इकबाल हुसैन, रिटायर्ड शिक्षक 70 वर्ष के रामसहाय हेमकर,जयवंत सिंह और भगवती प्रसाद आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। बढ़ते 46 डिग्री तापमान में सभी शहर के आल्हा चौक पर अनशन में बैठे हुए है। उनका समर्थन शहर के सभी बुद्धजीवी कर रहे है मगर राजनैतिक दल के लोग इस आंदोलन से दुरी बनाए हुए है। इस बात की तीस इन अनशनकारियों को बड़ी चुभ रही है।

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महोबा में एम्स के लिए चल रहा ये आंदोलन देश की सबसे बड़ी भूख हड़ताल बन चुकी है। 257 दिनों से चलने वाली इस हड़तान ने अब आमरण अनशन का रूप ले लिया है।

अनशन कर रहे तारा पाटकार का कहना है कि बुंदेलखंड की उपेक्षा लगातार हो रही है। उन्हें मज़बूरी में आमरण अनशन को शुरू करना पड़ा है ताकि यहां कोई इलाज के आभाव में न मरे। झांसी में एम्स की जरुरत नहीं है, बल्कि महोबा में एम्स होना चाहिए महोबा बुंदेलखंड का ह्रदयस्थल है। बुंदेली समाज सीएम योगी से मांग करता है कि महोबा गुरु गोरखनाथ की तपोभूमि है और यहां का उद्धार योगी नहीं करेंगे तो फिर कौन करेगा।

अभी तक राजनैतिक दलों का रवैया नकारात्मक रहा है। अनशन कर रहे लोगों को सीएम योगी से उम्मीद है क्योंकि योगी आदित्यनाथ भी गोरखपुर में एम्स की लड़ाई लड़ चुके है सभी ने सीएम योगी से मुलाकात की मांग जिला प्रसाशन से की है।

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एक्शन में योगी: अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट के कामों की जांच, 45 दिन में मांगी रिपोर्टएम्स के लिए चल रहे आमरण अनशन में धर्मों को दर किनार सभी लोग इसका खुलकर समर्थन कर रहे है। तारा के साथ उनके सहयोगी इक़बाल हुसैन भी इस आमरण अनशन पर बैठे हुए है। उनका कहना है कि एम्स महोबा में बनना जरुरी है। जिसकी मांग को लेकर हम पानी पीकर आमरण अनशन में बैठे हुए है।

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एम्स के लिए आंदोलन कर रहे बुंदेली समाज का आमरण अनशन होने से प्रसाशन भी अब हरकत में आया है और तारा पाटकार को अनशन न करने का अनुरोध कर रहा है। वहीँ तारा पाटकार ने कहा कि उन्हें अब सीएम योगी से उम्मीदें है। उनकी माने तो सीएम योगी ने खुद गोरखपुर में एम्स के लिए आंदोलन किया और वहां एम्स बना है। योगी आदित्यनाथ गुरु गोरखनाथ मंदिर के महंत है और गोरखनाथ की तपोभूमि महोबा रही है। इसलिए उन्हें उम्मीद है कि गुरु गोरखनाथ की तपोभूमि का मान रखेंगे सीएम योगी।

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