सांप्रदायिक एकता की मिसाल महोबा के गोवर्धन मेले की वैदिक मंत्रों से हुई शुरुआत

suman
Published on: 1 Nov 2016 9:07 AM GMT
सांप्रदायिक एकता की मिसाल महोबा के गोवर्धन मेले की वैदिक मंत्रों से हुई शुरुआत
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महोबा: उत्तर प्रदेश के महोबा जनपद के चरखारी श्री गोवर्धन मेले का शुभारंभ वैदिक मंत्रों के साथ शुरू हो गया। एडीएम और एडीएम ने इस मेले का उदघाटन किया । चरखारी कस्बे में इस समय वृन्दावन जैसा माहौल है। शहर में स्थित मंदिर से गोवर्धन पर्वत धारी भगवान कृष्ण को रथ में सवार कर मेला स्थल लाकर स्थापित किया जाता है। कस्बे में भगवान् कृष्ण के 108 मंदिर है जिनकी मूर्तिया भी मेले में लाई जाती है। ये मेला एक महीने तक चलता है।

जिसमे विभन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम पालिका प्रशासन द्वारा आयोजित होंगे। सीएम अखिलेश यादव ने इस मेले को राजकीय मेला घोषित किया है, लेकिन इसका कोई बजट न आने से स्थानीय लोगों में नाराजगी भी है।

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यहां का इतिहास

बुंदेलखंड का कश्मीर कहे जाने वाले क़स्बा चरखारी को मिनी वृन्दावन भी कहा जाता है। दीपावली पर्व के बाद होने वाले इस मेले का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है । 1883 में कृष्ण भक्त चरखारी रियासत के राजा मलखान जू देव ने गोवर्धन मंदिर की स्थापना की थी। इस मंदिर में भगवान कृष्ण राधा अष्टधातु की मूर्ति स्थापित है। बुंदेलखंड सबसे प्राचीन मेले की शुरुआत करीब 150 सौ साल पहले हुई थी। चरखारी रियासत के राजा मलखान जूदेव ने इसे आरम्भ कराया था। उन्होंने नगर में 108 कृष्ण मंदिर,आकर्षक झीलों और सरोवरों की स्थापना कराई थी।

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हिन्दू मुस्लिम एकता की मिशाल

चरखारी के इस ऐतिहासिक मेले में हिन्दू मुस्लिम एकता की मिशाल भी शामिल है। गोवर्धन मंदिर में होने वाली सजावट का काम मुस्लिम परिवार करता है। कस्बे में रहने वाले बुजुर्ग इदरीस पिछले 59 सालों से मंदिर की सजावट और भगवान कृष्ण गोवर्धन पर्वत का श्रृंगार करते आ रहे है। इनके पूर्वज भी मंदिर की सज्जा का काम करते थे। इदरीस की भगवान कृष्ण पर न केवल श्रद्धा है, बल्कि वो इस काम को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे भी करते रहना चाहते हैं।

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मेले को सरकार से कोई सहायता नहीं

पूर्व में महोबा आए सीएम अखिलेश यादव ने इस मेले को राजकीय मेला घोषित किया था , लेकिन आज तक मेले के लिए कोई बजट न आने से स्थानीय लोगों में खासी नाराजगी भी है। एक माह तक चलने वाले इस मेले में देवोत्थान एकादशी,कार्तिक,पूर्णिमा पर दूर-दूर से हजारों महिला श्रद्धालुओं की यहां भीड़ जुटती है । मेले में धार्मिक सतसंग ,प्रवचन,रामलीला और रासलीला के आलावा सम्मेलन,मुशायरा और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है।

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