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Mahoba News: रैन बसेरे में हो रहा निजी शादी कार्यक्रम, राहगीरों, आमजनों को नहीं मिल रहा लाभ

महोबा नगर पालिका शहर में रेन बसेरा को लेकर इंतजाम करने के दावे कर रही है, लेकिन रैन बसेरों में आने वाले लोगों के रुकने के व्यापक इंतजाम नहीं हैं।

Imran Khan
Report Imran Khan
Published on: 25 Nov 2022 11:19 AM GMT
Mahoba News
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रैन बसेरे में हो रहा निजी शादी कार्यक्रम

Mahoba News: महोबा में सर्दी से बचाव को लेकर आम लोगों के लिए 4 रैन बसेरे बना दिए गए। लेकिन व्यापक व्यवस्थाओं से महरूम किसी रैन बसेरे में लेटने के लिए बिस्तर का इंतजाम नहीं तो किसी रैन बसेरे में विवाह कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। सर्दी के मौसम में यह रैन बसेरे लोगों के लिए बेहद जरूरी हैं, पर पालिका प्रशासन की लापरवाही आम लोगों सहित समाजसेवियों को रास नहीं आ रही। यहां आने वाले राहगीरों और बेसहारों को रैन बसेरों का सही लाभ नहीं मिल पा रहा।

जिम्मेदारों की लापरवाही महोबा में चर्चा का बना विषय

जिम्मेदारों की लापरवाही महोबा में चर्चा का विषय बनी है। वहीं नगर पालिका ईओ रैन बसेरों की व्यवस्थाओं का गुणगान कर रहे हैं। महोबा नगर पालिका शहर में 3 अस्थाई और एक स्थाई रेन बसेरा बनाकर राहगीरों , बेसहारों को ठंड से बचाव को लेकर इंतजाम करने के दावे कर रही है, लेकिन इन रैन बसेरों की जमीनी हकीकत यह है कि रैन बसेरों में आने वाले लोगों के रुकने के व्यापक इंतजाम नहीं हैं। रैन बसेरों में लेटने के लिए बिस्तर और ओढ़ने के लिए गर्म कंबल कम मात्रा में मौजूद हैं तो वही शहर के एक रैन बसेरे में निजी विवाह कार्यक्रम चल रहा है, जो पालिका की कथनी और करनी को उजागर करने का काम करता है।


EO ने रेलवे स्टेशन में भी 20-20 बैड का रैन बसेरा होने की बात कही

नगरपालिका के ईओ अवधेश कुमार पालिका की बेहतर व्यवस्थाओं का गुणगान कर रहे हैं और बताते हैं कि उनके द्वारा शहर में 3 अस्थाई रैन बसेरे बनाये गए जिसमें एक पालिका के टाउन हॉल में बनाया गया जहां 100 बेड होने का दावा किया जा रहा है तो वहीं शहर के बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन में भी 20-20 बैड का रैन बसेरा होने की बात कही गई। इसके अलावा डूडा विभाग द्वारा स्थाई रैन बसेरा सेल्टर होम भी बनाया गया है जहां आने वाले राहगीरों और बेसहारों को रुकने की व्यवस्था बताई जा रही है।

निजी शादी कार्यक्रम के चलते रैन बसेरे का लोगों को नहीं मिल रहा लाभ

मगर इसकी जमीनी हकीकत यह है कि जिस पालिका टाउनहॉल में 100 बेड के रैन बसेरे की नगर पालिका ईओ दावे कर रहे है, वहां आज निजी विवाह कार्यक्रम चल रहा है। जबकि रैन बसेरों में विवाह कार्यक्रम करना नियमों के विपरीत है क्योंकि उक्त स्थान पर आने वाले मुसाफिरों को वह व्यवस्थाएं नहीं मिल पाएगी, जिसके लिए रैन बसेरे जाने जाते हैं। निजी शादी कार्यक्रम के चलते रैन बसेरे का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा। इसको लेकर शहर वासियों और समाज सेवियों में नाराजगी है कि कैसे पालिका ने रैन बसेरे में विवाह कार्यक्रम आयोजित किया।


पालिका के रैन बसेरों में सिर्फ अव्यवस्था ही है: समाजसेवी

शहर के रहने वाले समाजसेवी तारा पाटकर सहित अन्य लोग कहते हैं कि पालिका के रैन बसेरों में सिर्फ अव्यवस्था ही है और भी दुखद यह है कि रैन बसेरे में निजी विवाह कार्यक्रम कराए जा रहे हैं। उनका कहना है कि पालिका को आवश्यक स्थानों पर बनाए गए रैन बसेरों में समुचित व्यवस्था करनी चाहिए, लेकिन पालिका सिर्फ कागजी वाह वाही ही करने में जुटी है इससे लोगों में गलत संदेश पहुंच रहा है। जो मुसाफिर और जरूरतमंद है उन्हें रात में पूरे इंतजाम इन रैन बसेरों में मिलने चाहिए लेकिन महोबा के रैन बसेरे बेमतलब ही साबित हो रहे है।

लोगों ने जिलाधिकारी से पालिका को दिशा निर्देश देने की मांग

आम लोगों ने जिलाधिकारी से इस बाबत पालिका को दिशा निर्देश देने की मांग की है। ठंड के मौसम को देखते हुए रैन बसेरों की हालत सुधारे जाने की मांग भी शहरवासी कर रहे हैं। वहीं रैन बसेरे में निजी शादी कार्यक्रम को लेकर लोगों ने कहा कि यदि वहां विवाह कार्यक्रम करने की पालिका परमीशन दे रहा है तो फिर वहां रैन बसेरा नहीं बनाना चाहिए था। रात में रुकने के लिए व्यापक व्यवस्था होना जरूरी है लेकिन रैन बसेरे में शादी कार्यक्रम हो रहा है तो ऐसे में लोग कैसे रुक पाएंगे यह एक बड़ा सवाल है।


पालिका प्रशासन की लापरवाही से रैन बसेरे नहीं हो पाते कामयाब

आम लोगों की मानें तो नगर पालिका के रैन बसेरे उतने कामयाब नहीं हैं जितना उनका प्रचार-प्रसार कर ढिंढोरा पीटा जाता है। पालिका प्रशासन की लापरवाही से रैन बसेरे कामयाब नहीं हो पाते, और लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लोगों ने पालिका प्रशासन से मांग की है कि रैन बसेरों में जो मूलभूत सुविधाएं निर्धारित हैं वह होनी चाहिए, तभी रैन बसेरों का सही उपयोग हो सकता है और लोगों को उसका लाभ मिलेगा लेकिन इस कदर अव्यवस्थाओं से रैन बसेरों का लाभ मिलना नामुमकिन है।

वहीं शहर के बस स्टैंड के पास बने रैन बसेरे में तो गजब हो गया नाम के लिए रैन बसेरा है लेकिन वहां लेटने के लिए ना तो बिस्तर का इंतजाम है ना ओढ़ने के लिए गर्म कंबल का। कहीं ना कहीं पालिका के रैन बसेरे लोगों को मुंह चिढ़ाने का काम कर रहे हैं। उसको लेकर शहर वासियों में भी खासी नाराजगी है और पालिका के दावों की भी पोल खुल रही है।

लापरवाही के चलते लोग परेशान

बहरहाल नगर पालिका के ईओ अवधेश कुमार अपनी खुद पीठ थपथपा कर अच्छी व्यवस्थाओं का दम भर रहे हैं, पालिका के रैन बसेरों में सभी मूलभूत सुविधाएं होने की बात कहते हैं लेकिन पालिका की कथनी और करनी यह है कि रैन बसेरे ना केवल बदहाल हैं बल्कि लापरवाही के चलते लोगों के लिए परेशानी का कारण बने हैं।

Deepak Kumar

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