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Mahoba News: किसानों का नवीन गल्ला मंडी में प्रदर्शन, खरीद केंद्र खोले जाने, फसलों के उचित मूल्य की मांग
Mahoba News: किसानों का कहना है कि उन्हें फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है, जिससे वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। वहीं, मंडी सचिव ने इस मामले में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
Mahoba News: महोबा जिले में किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य न मिलने से नाराज किसानों ने आज नवीन गल्ला मंडी में विरोध प्रदर्शन किया। जय जवान जय किसान एसोसिएशन के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए मंडी परिसर में अपनी मांगों को जोर-शोर से उठाया। किसानों का कहना है कि उन्हें फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है, जिससे वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। वहीं, मंडी सचिव ने इस मामले में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।
नवीन गल्ला मंडी में जय जवान जय किसान एसोसिएशन के बैनर तले इकट्ठा हुए किसानों ने अपनी फसल का सही मूल्य न मिलने के कारण विरोध प्रदर्शन किया। नाराज किसान मूंगफली की उपज का उचित मूल्य न मिलने से आक्रोशित थे। उनका आरोप था कि सरकार द्वारा मूंगफली की खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6798 रुपए तय किया गया है, लेकिन मंडी में खरीददार महज 42 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से फसल खरीद रहे हैं, जो किसानों के साथ बड़ा अन्याय है।
आक्रोशित जय जवान जय किसान एसोसिएशन के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगा रहे थे और सरकार से अपनी उपज का सही दाम दिलाने की गुहार कर रहे थे। प्रदर्शन में शामिल किसानों का कहना है कि “किसान अन्नदाता है, फिर भी उसे अनदेखा किया जा रहा है।” उन्होंने सरकार से मांग की कि मंडी में किसानों के साथ हो रही इस धोखाधड़ी को तुरंत रोका जाए और सरकारी खरीद केंद्र खोले जाएं, ताकि उन्हें उचित मुनाफा मिल सके। किसान नेताओं ने कहा कि मंडी में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि मिल मालिकों के साथ अधिकारियों की मिलीभगत के कारण अब तक सरकारी क्रय केंद्र नहीं खोले गए हैं। किसान नेता कहते हैं कि जब उन्होंने आज मंडी का दौरा किया तो पाया कि मूंगफली का सरकारी क्रय केंद्र बंद पड़ा है। अगर जल्द ही केंद्र नहीं खोले गए, तो किसान सड़कों पर उतरकर जोरदार आंदोलन करेंगे।
किसान मनोहर सिंह ने बताया कि सरकार ने मूंगफली का समर्थन मूल्य तो घोषित किया है, लेकिन जमीन पर उसका पालन नहीं हो रहा। मंडी में हमें हमारे फसल का दाम मात्र 42 सौ रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है, जो हमारी मेहनत का अपमान है। जब तक हमें हमारी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलेगा, तब तक हम आंदोलन जारी रखेंगे और आवश्यकता पड़ी तो सड़कों पर भी उतरेंगे।