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Mahoba: 40 साल बाद इमरजेंसी के सिपाही को मिला सम्मान, एचसी ने दिया लोकतंत्र सेनानी का दर्जा

Mahoba News: आपातकाल के समय सरकार के गलत कार्यों के विरोध में जेल होने के बाद लोकतंत्र सेनानी के दर्जे से महरूम 80 वर्ष के वृद्ध को 40 वर्ष के संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद न्यायालय ने लोकतंत्र सेनानी माना है।

Imran Khan
Report Imran Khan
Published on: 20 March 2024 3:38 PM GMT
Mahoba News
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Mahoba News (Pic:Newstrack)

Mahoba News: महोबा में आपातकाल के समय सरकार के गलत कार्यों के विरोध में जेल होने के बाद लोकतंत्र सेनानी के दर्जे से महरूम 80 वर्ष के वृद्ध को 40 वर्ष के संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद न्यायालय ने लोकतंत्र सेनानी माना है। अब न्यायालय ने सरकार को लोकतंत्र सेनानी को परिणामी राहत देकर प्रमाण पत्र जारी कर अन्य सुविधाएं दिए जाने का निर्देश दिया है। देर से ही सही लोकतंत्र सेनानी को वो दर्जा अब मिलेगा जिसके वो वर्षो से हकदार थे। न्यायालय द्वारा उचित सम्मान और न्याय मिलने पर लोकतंत्र सेनानी ने प्रसन्नता व्यक्त की है।

कार्यकर्ता ने लड़ा 40 साल की कानूनी लड़ाई

आपातकाल का समय भला किसे याद नहीं है। यह वह दौर था जब इंदिरा गांधी नेतृत्व की सरकार के गलत कार्यों का विरोध करने पर सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक व्यक्तियों को जेल भेजा गया था और बाद में इन्हीं व्यक्तियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा देकर सम्मान दिया था। लेकिन बुंदेलखंड के महोबा के एक बुजुर्ग जिसे सरकार के गलत कार्यों का विरोध करने पर जेल जाना पड़ा, मगर उसे लोकतंत्र सेनानी का दर्जा नहीं मिला। जिससे हताश और परेशान सामाजिक कार्यकर्ता ने उचित सम्मान और न्याय पाने के अपने जीवन के 40 साल कानूनी लड़ाई और संघर्ष में गुजार दिए।

मौलाना मोहम्मद रशीद ने सरकार के कार्यों का किया था विरोध

आपको बता दें, कि शहर के मोहल्ला भटीपुरा निवासी मौलाना मोहम्मद रशीद ने आपातकाल के समय सरकार के गलत कार्यों का खुलकर विरोध किया था। मौलाना मोहम्मद रशीद बताते हैं कि कांग्रेस की तरफ से उन्हें राज्यपाल द्वारा जिला परिषद में सदस्य नामित किया था जिसके आधार पर तत्कालीन सरकार के राजस्व मंत्री स्वामी प्रसाद सिंह हमीरपुर में बैठक ले रहे थे जहां उन्होंने सरकार के गलत कार्यों का विरोध कर आवाज उठाई थी। उनकी माने तो आपातकाल के समय इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा जबरन अविवाहित युवाओं की नसबंदी किए जानें का विरोध मंत्री की बैठक में कर डाला।

सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर का हिस्सा लेने और सरकार के गलत कार्यों का विरोध करने का परिणाम यह हुआ कि बैठक के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। मीसा के तहत 23 जुलाई 1976 को गिरफ़्तार कर लिया गया वे 05 मार्च 1977 तक क़रीब 07 माह 9 दिन हमीरपुर जेल में रहे। अपने साथ बन्द हुए तमाम साथियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा मिला लेकिन मौलाना मोहम्मद रशीद को यह दर्जा नही मिला। उन्होनें अधिकारियों के चक्कर लगाए लेकिन कोई भी उन्हें लोकतंत्र सेनानी का दर्जा न दिला सका।

अन्त में उन्होनें इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगाईं। जिसपर न्यायलय ने सभी साक्ष्यों को देखते हुए मौलाना मोहम्मद रशीद को लोकतंत्र के सेनानी मानते हुए परिणामी राहत देने के लिए निर्देश जारी किए। उन्होनें जिला मजिस्ट्रेट को उचित प्रमाण पत्र जारी करने और अधिनियम के तहत लोक तंत्र सेनानी मानते हुए तीन महीने के अंदर कार्यवाही करने के आदेश दिए है। इस आदेश के बाद से उचित सम्मान और न्याय मिलने पर लोकतंत्र सेनानी मोहम्मद मौलाना रशीद ने प्रसन्नता जाहिर की तो वहीं उनके परिवार में भी खुशी है।

Durgesh Sharma

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