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कोरोना मरीजों को मुफ्त दे रहा था ऑक्सीजन, पीछे पड़ी पुलिस, भागा-भागा फिर रहा मददगार
कोरोना संक्रमण काल में अब मानवता भी करना सरकारी तंत्र की निगाह में ज़ुर्म हो गया है।
जौनपुर: कोरोना संक्रमण काल में अब मानवता भी करना सरकारी तंत्र की निगाह में ज़ुर्म हो गई है। तभी तो जनपद जौनपुर में इस महामारी के आपात काल में जीवन मौत से संघर्ष कर रहे मरीजों को निःशुल्क ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया कराने वाले एम्बुलेंस चालक रितेश उर्फ विक्की के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर दिया है और अब समाज सेवी युवक की तलाश शुरू कर दी है। यहां तो वही मुहावरा चरितार्थ हो गया है "गये थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास ", चले थे समाज सेवा करने अब खुद बन गये हैं मुजरिम।
दरअसल जनपद जौनपुर में कोरोना संक्रमण से संक्रमित मरीज बड़ी संख्या में रोज सरकारी अस्पताल से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक भटकते नजर आ रहें हैं। सरकारी व्यवस्थायें पूरी तरह से नाकाफी साबित हो रही हैं। मरीजों को बेड अथवा आक्सीजन सहित दवा आदि नहीं मिल रही है, जिसके परिणाम स्वरूप कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या में बढ़ा इजाफा हो गया है। श्मसान घाट पर प्रतिदिन जलने वाली लाशों में लगभग 85 प्रतिशत लाशें तो कोरोना संक्रमण की आ रही हैं जो सरकारी व्यवस्था की नाकामियों का परिणाम माना जा रहा है।
ऐसे में एक एम्बुलेंस चालक रितेश उर्फ विक्की बाबा नामक युवक अपने पत्नी तक के जेवर आदि बेचकर मानवता को जीवित रखते हुए कोरोना पीड़ित मरीजों की सहायता का संकल्प लिया था। उसने उपचार में सबसे महत्वपूर्ण आक्सीजन की निःशुल्क मरीजों का जीवन बचाने के लिए आपूर्ति करने का काम शुरू किया। लगभग एक दर्जन से अधिक मौत से संघर्ष रत मरीजों को जीवन प्रदान करने में सहायक बना और इसका वीडियो वायरल हुआ तो सरकारी तंत्र खास कर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पेट में दर्द शुरू हो गया कि हम तो आक्सीजन की क्राइसिस पैदा किए बैठे हैं और यह एम्बुलेंस चालक युवक आक्सीजन की व्यवस्था कर पीड़ितों की मदद करके स्वास्थ्य विभाग को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रहा है।
इसके बाद जिला अस्पताल में दरोगा जी अपनी हनक दिखाने पहुंच जाते हैं और पुलिसिया रौब में समाज सेवी रितेश के बचे सिलेन्डर जप्त करते हुए उसके ऊपर कानून का डन्डा चलाते हुए धारा 188, 269 एवं महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर देते हैं। मुकदमा दर्ज करने के बाद अब पुलिस लगातार रितेश के घर दबिश दे रही है। अब समाज सेवा करने का संकल्प लेने वाले रितेश उर्फ विक्की बाबा परिवार को छोड़ कर जान बचाने के लिए भागने को मजबूर हो गये हैं।
यहां पर सवाल खड़ा होता है कि क्या समाज एवं पीड़ितों की निःशुल्क सेवा करना भी अपराध की श्रेणी में आता है जो पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर तलाश शुरू कर दी है। क्या मरते लोगों को जीवन देना किसी अपराध की श्रेणी में आता है जो रितेश को दिया जा रहा है। किस स्तर पर कानून का उल्लंघन किया गया इस बाबत विवेचक दरोगा से बात करने पर जबाब मिला अधिकारी से बात करें हम तो आदेश का पालन कर रहे हैं।
समाज सेवी पीड़ितों के मददगार बने रितेश से बात करने पर उन्होंने कहा कि हम तो उन पीड़ितों की जान बचाने के लिए आगे आये और बड़ी मशक्कत से आक्सीजन की व्यवस्था कर निःशुल्क सेवा कर रहे थे। अब वह स्वास्थ्य विभाग की नजर में अपराध हो गया है। आक्सीजन हम स्वास्थ्य विभाग को देते तो उसे अपने खाते में जोड़ लेते ऐसा नहीं किया तो अब मुजरिम हो गया हूं।
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