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अधिकारी नहीं कर रहे मदद, अब सीएम से की गौरेया को बचाने की अपील
गोरखपुर: गौरैया को बचाने के लिये प्रदेश सरकार लगातार कई कार्यक्रम कर रही है और वन-विभाग के सहयोग से इसके लिये करोड़ों का फंड भी जारी किया है। लेकिन गोरखपुर में एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो अपने घर में और घर के बाहर 500 से अधिक की तादात में रहने वाली गौरैया को बचाने के लिए वन-विभाग के अधिकारियों के पास दौड़ रहे हैं। लेकिन हर जगह से इनको निराशा ही हाथ लग रही है। ऐसे में अब यह मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं कि किसी तरह से इन चिड़ियों को बचा लिया जाए।
क्या है मामला
-गोरखपुर के जफर कालोनी के रहने वाले रामलखन यादव ने अपने घर में चार साल पहले गौशाला के लिये बड़ा छप्पर डलवाया।
-लेकिन उस छप्पर में धीरे-धीरे गौरैयों का आशियाना बन गया।
-दो-चार से शुरूआत करके इनके यहां पर इस समय 500 की संख्या में गौरैया और उनके बच्चे हैं।
बन चुकी हैं परिवार का अंग
-इस छप्पर में ही अपना आशियाना बना चुकी यह गौरैया अब इनके परिवार के लोगों का एक अंग बन चुकी हैं।
-सुबह और शाम को इनको दाना-पानी डालने के साथ दूसरी चिड़ियों और जानवरों को भी बचाना इस परिवार का काम बन चुका है।
-सुबह और शाम इन गौरैयों की चहचहाहट से इनका घर-आंगन गूंजता रहता है।
-इनके कर्मचारी भी इन गौरैयों की सेवा करके काफी खुश होते हैं ।
खतरे की ओर बढ़ रही इनकी जिंदगी
-चार सालों में इनके घर को गौरैयों ने अपना आशियाना बना रखा है।
-दिन-भर चारा चुगने के बाद यह कहीं और नहीं जाती हैं और यही छप्पर ही इनका ठिकाना होता है।
-लेकिन अब इन गौरैयों की सुरक्षा इनके लिये परेशानी का सबब बनी हुई हैं।
-चार साल के बाद अब यह छप्पर जर्जर होकर टूट चुका है।
-रामलखन का कहना है कि इस बरसात में बारिश होने पर गौरैया और इसके बच्चे बारिश का कहर झेल नही पाएंगे और मर जाएंगे।
-लेकिन इसे बदलने पर भी गौरैया के बच्चे और अंडे नही बच पाएंगें।
जगह बदलना इन्हें रास नहीं आता
-माना जाता है कि गौरैया का ठिकाना एक बार बदल दिया जाए, तो वह दूसरे जगह बहुत कठिनाई से जी पाती हैं।
-ऐसे में रामलखन कमिश्नर से लेकर वन विभाग के अधिकारियों के पास दौड़ रहे हैं।
-ताकि कोई इनको यह हल सुझा सके कि किस तरह से इनको बचाया जाए।
अधिकारियों ने खड़े कर लिए हैं हाथ
-इन गौरैयों को बचाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने पूरी तरह से अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।
-अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने इन गौरेया को बचाने के लिए कोई बजट नहीं जारी किया है।
-ऐसे में उनके पास कोई सुझाव या सलाह नहीं है कि किस तरह से इनको बचाया जाए।
-ऐसे में रामलखन और उनके साथी मुख्यमंत्री से यह अपील कर रहे हैं।
-किसी तरह से इन पक्षियों का बचाने का प्रयास हो सके।
-रामलखन ने इसके लिए मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है।
-इनका कहना है कि मुख्यमंत्री जी अखबारों में कई पन्नों का विज्ञापन देकर गौरैया को संरक्षित करने और उनकी संख्या को बढ़ाने की बात कह रहे हैं।
-लेकिन वह इन 500 से अधिक गौरैयों का क्या करें, उनको समझ में नहीं आ रहा है।
-ऐसे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही इन गौरैयों के संरक्षण को कोई रास्ता निकालें।