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मनरेगा में लूट: गोंडा में पकड़ा गया करोड़ों का घोटाला

raghvendra
Published on: 22 April 2023 10:45 PM GMT
मनरेगा में लूट: गोंडा में पकड़ा गया करोड़ों का घोटाला
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तेज प्रताप सिंह

गोंडा: मनरेगा में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला जिले में पकड़ में आया है।विकास खण्ड कटरा बाजार में मनरेगा योजना में हुई अनियमितता में संलिप्त चार अधिकारियों के खिलाफ कटरा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। दरअसल, कटरा बाजार क्षेत्र की पंचायतों की जांच शासन स्तर से हो रही है। यहां करोड़ों रुपये के घपलों का पर्दाफाश हो चुका है। बिना कार्य कराए ही 14 परियोजनाओं पर बजट निकालने के मामले की जांच अभी चल ही रही है। इसके अलावा मनरेगा से 22 करोड़ रुपए से चलने वाली करीब दो हजार परियोजनाओं में खर्च हो चुके करीब 17 करोड़ के बजट में भी गोलमाल की जांच में कइयों की गर्दन फंसनी तय है।

7 सितम्बर को अपर आयुक्त की जांच में कटरा बाजार ब्लाक में मनरेगा योजना की 22 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं में गोलमाल खुलासा हुआ। इसके बाद दो ग्राम विकास अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। जांच में अवर अभियंता व मनरेगा के तकनीकी सहायक की मिलीभगत भी उजागर हुई है। अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार ने ग्राम पंचायत गोड़वा में बने गो आश्रय केंद्र का निरीक्षण किया तो पता चला कि एक ही तरह के काम की दस आईडी जनरेट करके करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया है। जितना पैसा खर्च किया गया है उसकी तुलना में काम व उसकी क्वालिटी बेहद घटिया पाई गई।

गो आश्रय केंद्र में पांच-पांच तालाब मनरेगा से खुदवाए गए और हर तालाब पर कई हजार मानव दिवस का काम दिखाया गया। गोवंशों के लिए बने टिनशेड की मोटाई मानक से कम पाई गई। निरीक्षण के दौरान यह भी पकड़ में आया कि मस्टर रोल में दौ सौ मजूदरों को काम पर दिखाया गया है मगर मौके पर एक भी काम करते हुए नहीं मिला। इंटरलाकिंग की गुणवत्ता भी बेहद घटिया पाई गई। जांच में पता चला कि ग्राम भरथा इटहिया में तालाब की खुदाई ट्रैक्टर से कराई गई थी। पता चला कि एक ही काम की दो आईडी जनरेट करके 51 लाख रुपये निकाल लिये गये थे और काम पूरा दिखाते हुए भुगतान कर दिया गया। किसी भी कार्यस्थल पर परियोजना का नाम, लागत, परियोजना का वर्ष आदि से संबंधित कोई साइन बोर्ड नहीं लगा मिला।

बिना कार्य कराए हड़प लिए एक करोड़

2018-19 में यहां की छह ग्राम पंचायतों ने 7.31 करोड़ रुपये मनरेगा में खर्च किए। प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक-एक करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया था। जून माह में मामला संज्ञान में आने पर डीएम डा. नितिन बंसल ने जांच के लिए कमेटी गठित की थी। सीडीओ आशीष कुमार ने ग्राम पंचायत बिरवा, उर्दी गोंडा व बनगांव में परियोजनाओं का स्थलीय सत्यापन कराया। इन गांवों में मनरेगा के तहत 3.68 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

जांच के दौरान बिरवा गांव की 13 परियोजनाओं पर कोई कार्य नहीं मिला, जबकि एक परियोजना पर सिर्फ 48 मीटर कार्य कराया गया। उर्दी गोंडा व बनगांव में भी यही हालात मिले। प्रारंभिक जांच में करीब एक करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया।

36.95 लाख रुपये का घोटाला

कटरा ब्लाक की तीन ग्राम पंचायतों में 14 परियोजनाओं पर बिना कार्य कराए ही 36.95 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। ये खुलासा अपर आयुक्त मनरेगा की जांच के बाद हुआ है। इस मामले में सचिवों पर कार्रवाई की गई है।

ब्लाक की तीन ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों का सत्यापन कराया गया तो पता चला कि बनगांव में आठ परियोजनाओं पर बिना कार्य के ही 22.80 लाख, पूरेबदल में चार परियोजनाओं पर 7.14 लाख व बौनापुर में दो परियोजनाओं पर 7.02 लाख रुपये का भुगतान किया गया। सीडीओ के निर्देश पर ब्लॉक में तैनात सहायक लेखाकार कृष्ण कुमार मिश्र के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है। अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा की संविदा समाप्त करने के लिए पत्र भेजा गया है।

सत्ता की छत्रछाया में लूट का खेल

कटरा बाजार ब्लाक के विकास योजनाओं में हो रहा भ्रष्टाचार का खेल किसी से छुपा नहीं है। सपा सरकार में भी कई मामले चर्चा में आए लेकिन फाइलों में सिमट कर रह गए। जांच के नाम पर सिर्फ लीपापोती हुई। इस बार जांच से उम्मीद तो जगी है लेकिन नेता और अफसरों में खेल फिर शुरू हो गया है।

पूर्व विधायक ने की सीबीआई, ईडी से जांच की मांग

कटरा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक बैजनाथ दूबे ने घोटाले की ईडी व ईओडब्ल्यू से जांच कराये जाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 से घोटाला किया जा रहा है। योजनाओं से विकास कार्य के नाम पर फर्जी कागजात बनाकर बजट का धन निकाल लिया जाता है। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही डीएम व सीएम के अलावा शासन के अधिकारियों से मिलकर इसकी शिकायत करने के साथ जन आंदोलन चलाएंगे।

बिना काम के पीडी और जेई ने हड़पे थे 44 लाख

2016-17 में विकासखंड कटरा बाजार के तीन गांवों में सीसी सडक़ व इंटरलाकिंग कराने के नाम पर 44 लाख रुपये हड़पने का मामला सामने आया था। कटरा बाजार के चयपुरवा, बनगांव व वीरपुर कटरा में क्षेत्र पंचायत निधि से सीसी सडक़ के निर्माण का प्रस्ताव किया गया था। इसमें एक ही काम को 9 भागों में तोडक़र उनका अलग अलग भुगतान ले लिया गया। साथ ही क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत के कार्यों को एक ही में मिला दिया गया। वीरपुर कटरा मे दो सीसी सडक़ों का निर्माण दिखाया गया लेकिन जांच के दौरान दोनों ही सडक़ें अधूरी पाई गई।

चयपुरवा गांव में तो अफसरों ने बिना सडक़ बनवाए ही उसके निर्माण की रिपोर्ट जिले पर भेज दी और रुपये हड़प लिए। यहां तीन सडक़ों के निर्माण कार्य दिखाया गया था लेकिन जांच पता चला कि सडक़ों का निर्माण ही नहीं कराया गया। शिकायत मिलने पर तत्कालीन जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यों वाली दो जांच कमेटी का गठन किया था। दोनों समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में 44 लाख रुपये के घपले का खुलासा किया है। इस मामले में समिति ने कटरा बाजार के तत्कालीन खंड विकास अधिकारी रहे परियोजना निदेशक वीरपाल व अवर अभियंता डीबी सिंह को नोटिस जारी जवाब तलब किया गया था।

चार अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

मुख्य विकास अधिकारी आशीष कुमार ने बताया कि जांच में कटरा बाजार ब्लाक की दो ग्राम पंचायतों गोड़वा तथा भरथा इटैया में भारी पैमाने पर अनियमितता पाई गई थी। जिसके बाद कटरा बाजार के तत्कालीन बीडीओ अनिरुद्ध प्रताप सिंह (सेवानिवृत्त), लेखाकार कृष्ण कुमार मिश्र, कार्य प्रभारी बृजेश तिवारी तथा तकनीकी सहायक अजय कुमार पाण्डेय के विरुद्ध दफा 409, 419 व 420 आईपीसी में मुकदमा दर्ज कराया गया है। उन्होंने बताया कि कार्य प्रभारी बृजेश तिवारी तथा ग्राम विकास अधिकारी पवन गुप्ता को निलम्बित किया जा चुका है। जेई गिरिजेश मणि त्रिपाठी के खिलाफ कार्यवाही के लिए एक्सईएन को संस्तुति भेजी गई है तथा तकनीकी सहायक की संविदा समाप्ति की कार्यवाही की जा रही है। सेवा निवृत्त बीडीओ अनिरुद्ध प्रताप सिंह के खिलाफ कार्यवाही के लिए भी संस्तुति पत्र भेजा जा चुका है। लेखाकार के खिलाफ कार्रवाई का पत्र भेजा गया है। सीडीओ ने बताया कि सभी क्षेत्र पंचायतों द्वारा कराए गए कार्यों की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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