×

करोड़ों का नुकसान, अच्छी फसल के बावजूद कमर टूट गई आम उत्पादकों की

दिल्ली में कोरोना का प्रकोप बढ़ने के कारण आजादपुर फल एवं सब्जी मंडी में काम प्रभावित हो गया है। फल आढ़ती शुजाअत बताते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली की मंडी में फल लेकर जाते हैं लेकिन वहां माल की बेकद्री हो रही है।

Newstrack
Published on: 17 July 2020 5:05 PM IST
करोड़ों का नुकसान, अच्छी फसल के बावजूद कमर टूट गई आम उत्पादकों की
X

सुशील कुमार

मेरठ। उत्तर प्रदेश से करीब हर साल ढाई सौ टन आम की सप्लाई दूसरे देशों की जाती है। लेकिन इस बार कोरोना की मार आम उत्पादकों पर भी पड़ी है। आम की अच्छी फसल होने के बाद भी आम उत्पादक आर्डर की बांट जोह रहे हैं। यहां तक की दिल्ली की मंडी से भी आम की मांग बहुत कम आ रही है। इससे आम उत्पादकों को करारा झटका लगा है।

मंडी पर असर

दिल्ली में कोरोना का प्रकोप बढ़ने के कारण आजादपुर फल एवं सब्जी मंडी में काम प्रभावित हो गया है। फल आढ़ती शुजाअत बताते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली की मंडी में फल लेकर जाते हैं लेकिन वहां माल की बेकद्री हो रही है। मंडी में माल दो-दो, तीन-तीन दिन पड़ा रहता है बिक ही नहीं रहा। क्रेट्स पड़े पड़े माल सड़ जा रहा है। मंडी से फोन आता है कि अपना माल ले जाओ बेकार हो रहा है नहीं बिक रहा है। ऐसे में किसान क्या करे, कहाँ जाये? हम चाहते हैं सरकार हम किसानों का कुछ करे नहीं तो हमारे सामने आत्महत्या के सिवाय कुछ चारा नहीं बचेगा। हर बार आम के 80 से 90 प्रतिशत बाग व्यापारी खरीद लेते थे लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब बाग नहीं बिके हैं।

बड़े संकट की और बढ़ती जिंदगी, फंस गई है लॉक-अनलॉक के पाटों के बीच

बारिश के बाद वायरस

बारिश से इस बार आम के बौर काफी बर्बाद हो गए थे और जब फल तैयार होने का समय आया तो कोरोना वायरस आ गया। हर साल इटली, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ ही खाड़ी देशों में भी भारत से बड़े पैमाने पर आम निर्यात होता था। अकेले उत्तर प्रदेश से करीब हर साल ढाई सौ टन आम की सप्लाई दूसरे देशों को जाती है। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, सऊदी अरब, कतर, कुवैत और अमेरिका में भी भारतीय आम की विभि‍न्न कि‍स्में निर्यात की जाती है। देश में आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश प्रमुख आम उत्पादक राज्य हैं। उत्तर प्रदेश आम का सबसे बड़ा बाजार होने के नाते पहले स्थान पर है। एपीडा के अनुसार साल 2018-19 में 406.45 करोड़ रुपये का 46510.23 मीट्रिक टन आम निर्यात किया था।

आम में यूपी का दबदबा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो मेरठ, बागपत, बुलन्दशहर आदि के अलावा गढ़ क्षेत्र के गांव अठसैनी, बहादुरगढ़, पौपाई, दौताई के आम उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान में प्रसिद्ध हैं। बहादुरगढ़ गांव के आम विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं। इसी तरह से पलवाड़ा, सदरपुर, जखैड़ा, सलौनी आदि गांवों में आम के बड़े-बड़े बाग हैं। बागपत जनपद के रटौल गांव के आम भी विदेशों में जाते हैं। मेरठ जनपद के रसूलपुर धौलड़ी, शाहजहांपुर, किठौर, फतेहपुर नारायण, माछरा आदि गांवों में आम के बड़े-बड़े बाग है। बुलंदशहर जनपद के स्याना क्षेत्र में भी आम के बाग हैं। यहां से कई देशों में आमों का निर्यात किया जाता है।

बागबान शौकत और हरेन्द्र सिंह का कहना है कि पिछले साल तक उनके आम नेपाल तक जाते थे। इस बार अच्छी फसल के बावजूद मांग के आर्डर नहीं मिल रहे। इसका कारण कोरोना संक्रमण का बढ़ना है। स्थानीय मंडी में भी आम की मांग कम ही है। मेरठ की लोहियानगर फल-सब्जी मंडी के अध्यक्ष राजकुमार सोनकर कहते हैं कि पिछले सीजन के मुकाबले इस बार आम की कीमतें कम हैं। पहले 40-50 रुपये किलो तक आम बिक गया था, इस बार आम की कीमत थोक में 20 रुपये तक ही सिमट आई है।

बीसीसीआई की बैठक, आईपीएल-13 के आयोजन हो सकता है फैसला

दसहरी के दाम 10 रुपये तक आए

लखनऊ में दसहरी आम इस बार बहुत अच्छा हुआ है। कोरोना संकट के कारण इस बार दसहरी का बाजार भी आम उत्पादकों के लिए बेहद ठंडा रहा है। लखनऊ के बाज़ारों में दसहरी के दाम इस बार दस रुपये किलो तक आ गए। बाजार में सफेदा, चौसा और देसी आम भी आ गया है लेकिन इंका हाल भी बेहाल है। लोग बाज़ारों में कम निकाल रहे हैं और हफ्ते में दो दिन के लॉकडाउन ने भी असर डाला है।

मेरठ मंडल का दशहरी, चौसा, आम्रपाली, रटौल, बंबई, व न्यादर मनौटा प्रजातियों के आम खास मशहूर हैं। दूसरे राज्यों और देश में उत्तर प्रदेश का आम ब्रांड के नाम से बिकता है। लजीज स्वाद के चलते मेरठ मंडल का आम ईरान, इराक, पाकिस्तान, जर्मनी, सिंगापुर, श्रीलंका आदि देशों में अपनी पहचान बना चुका है। कुछ उत्पादक स्वयं तो कुछ व्यापारी आम का निर्यात करते हैं। मेरठ जिले के शाहजहांपुर, किठौर के बाग ठेकेदारों का कहना है कि वे दिल्ली और मुंबई मंडी के सहारे आम का निर्यात करते हैं। उत्तर प्रदेश के अकेले मेरठ मंडल में सात हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में बाग हैं। इनमें से 60 फीसदी में आम और बाकी में अमरुद, जामुन, लीची व बेल आदि के बाग हैं। शासन ने आम निर्यात की योजना बनाई थी, लेकिन मौसम अनुकूल न होने के कारण परवान नही चढ़ सकी।

ग्रेाथ सेंटरों के उत्पादों की मार्केटिंग सुनिश्चित की जाए: मुख्यमंत्री

बढ़िया फसल पर मांग कम

कोरोना का प्रकोप बढ़ने के कारण मेरठ और आसपास की फल एवं सब्जी मंडी में फल व सब्जी की मांग काफी कम है। मेरठ के सिवालखास क्षेत्र के के फल आढ़ती धर्मपाल का कहना है कि मंडी खुलने के बाद भी यहां पर आम के भी आर्डर उम्मीद के अनुसार नहीं मिल रहे हैं। इससे काम प्रभावित हो रहा है। मेरठ के फतेहपुर नारायण गांव के आम उत्पादक रविन्दर का कहना है कि पिछले साल तक उनके आम नेपाल और पाकिस्तान तक जाते थे। इस बार अच्छी फसल के बावजूद मांग के आर्डर नहीं मिल रहे। इसका कारण कोरोना संक्रमण का बढ़ना है। पड़ोस के बागपत जनपद के आम कारोबारियों का भी यही हाल है।

बागपत जनपद के रटौल गांव निवासी आम उत्पादक वहीदुद्दीन का कहना है कि विश्व प्रसिद्ध रटौल आम के निर्यात पर भी कोरोना का असर दिखाई दे रहा है। आम के अपेक्षित आर्डर नहीं मिल पा रहे हैं। रसूलपुर धौलड़ी गांव के आम उत्पादक नसीम अहमद का कहना है कि पहले नेपाल तक उनका आम जाता था। इस बार बॉर्डर सील होने के कारण भारत से वहां पर आम नहीं जा पा रहा। इससे भी क्षेत्र के आम उत्पादकों को करोड़ों का नुकसान होने का अनुमान है।

आम उत्पादकों को नुकसान होना तय

आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष डॉ.मैराजुद्दीन कहते हैं,कोरोना का संक्रमण पर यदि जल्दी ही काबू नही पाया गया तो घरेलू बाजार में भी आम की मांग कमजोर रहने के आसार है। इससे घरेलू बाजार में भी आम के दाम बहुत कम हो जाएंगे। गांव बनखंड़ा निवासी आम उत्पादक हरेन्द्र कहते हैं,बाजार में फुटकर ग्राहक कम होने की वजह से मंडियों में भी मांग कम आ रही है। भारत के दूसरे राज्यों से भी मांग कम आ रही है। इससे आम उत्पादकों को नुकसान होना तय है।

इस बार आम बागवानों को बहुत सारी समस्याओं से जूझना पड़ा। लॉकडाउन की वजह से सही समय पर सही रसायनों पर छिड़काव नहीं हो पाया। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन कहते हैं कि मार्च से हो रही रुक रुक कर बारिश के कारण बीमारियों और कीटों से संबंधित समस्याओं में बढ़ोतरी हुई। शुरू में थ्रिप्स के आक्रमण से फलों पर धब्बे पड़ गए। उसके बाद फल भेदक ने फलों को नुकसान पहुंचाया, जिससे कि फल फटने साथ काले होने लगे। लगातार हो रही बारिश के कारण फल मक्खी का भी प्रकोप अधिक हुआ, जिससे ऊपर से दिख रहे सही आम अंदर से खराब हो गए।

प्रदेश के पूर्व सिंचाई मंत्री एवं आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष डॉ.मैराजुद्दीन कहते हैं, उत्तर प्रदेश के प्रमुख आम उत्पादक जिले मेरठ, बागपत, अमरोहा, सम्भल, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और लखनऊ हैं। लगभग ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभि‍न्न कि‍स्में उगायी जाती हैं। इनमें दशहरी, चौसा, लंगड़ा, फाजली, मल्लिका, गुलाब खस और आम्रपाली प्रमुख हैं

लॉकडाउन पर बड़ा ऐलान: इस राज्य में जारी हुए निर्देश, जल्द ही आएगी गाइडलाइन

Newstrack

Newstrack

Next Story