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जिला प्रशासन का फैसला, BOB-SBI सहित छह बैंकों की 19 शाखाएं ब्लैकलिस्ट
शाहजहांपुर: जिला प्रशासन ने बैंकों पर अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही की है। सीडीओ पुलकित खरे ने योजनाओं में लाभार्थियों को परेशान करने वाली लगभग दो दर्जन बैंकों को ब्लैक लिस्टेट कर दिया है। साथ ही बैंक से सभी सरकारी खातों और उसका करोड़ों रुपए दूसरी बैंकों में ट्रांसफर करने के सख्त आदेश जारी कर दिये है। जिला प्रशासन की इस कड़ी कार्यवाही के बाद से बैंकों में हड़कंप मचा हुआ है।
क्या कहना है सीडीओ का
सीडीओ पुलकित खरे के मुताबिक, प्रदेश सरकार की प्राथमिकता वाली राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, कामधेनु योजना सहित कई ऐसी सरकार की योजनाए हैं जिनके लाभार्थियों को पिछले कई महीनों से टरकाया जा रहा था। हालांकि पहले जिला प्रशासन ने बैकों को चेतावनी दी लेकिन कोई फर्क न पड़ने पर बैंकों पर जिला प्रशासन की गाज गिरी है।
सीडीओ पुलकित खरे
इन बैंकों पर गिरी है गाज
जिला प्रशासन ने छह बैंकों की 19 ब्रांचों में से सरकारी खाते बंद करके दूसरी बैंकों में ट्रांसफर करने के सख्त आदेश दिये है। जिन बैंकों मे सरकारी खाते बंद किय गए हैं उनमे बैंक ऑफ़ बड़ोदा (बीओबी) मोहन, एडीबी पुवायां बङागांव, बीओबी नाहिल, बीओबी कलान, बीओबी मिर्ज़ापुर, बीओबी सिंगहा, बीओबी नभीची बंडा, बीओबी हरनाई खुटार, एसबीआई कपसेढा, बीओबी जलालाबाद, बीओबी बरतारा मिश्रीपुर, बीओबी मदनापुर, बीओबी डाडिया बाजार समेत 19 बैंक शाखाएं शामिल हैं। जिला प्रशासन ने बैंकों को चेतावनी दी है कि वो अपने रवैये में बदलाव लाए वरना वो कानूनी कार्यवाही के घेरे में लाई जा सकती है।
क्या कहना है बीओबी के लीड बैंक अधिकारी का
वहीं बैंक आफ बङौदा, लीड बैंक अधिकारी आशुतोष तिवारी का कहना है कि बैंक जब तक अपनी लोन की वापसी को लेकर संतुष्ट नहीं हो जाती तब तक किसी भी बिना जांच के लोन देना उनके लिए भारी पड़ सकता है। कई बार लोन देने के बाद उसकी अदायगी नहीं हो पाती है। जिसके बाद बैंक अधिकारी घरों के चक्कर लगाते हैं। इससे बैंकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है लेकिन बैंक अधिकारियों की कोशिश रहती है कि वह जिला प्रशासन के साथ तालमेल बनाकर काम करें।
बैंक आफ बङौदा, लीड बैंक अधिकारी आशुतोष तिवारी
ब्लैक लिस्टेड बैंकों से ट्रासफर किया जाने लगा है सरकारी पैसा
अब प्रशासन के आदेश के बाद सभी ब्लैक लिस्टेट बैंक में जमा सरकारी करोड़ों रुपए दूसरी बैंकों में ट्रांसफर होना शुरू हो गया है। नए वित्तीय वर्ष के शुरूआती दौर में दागी बैंकों से पैसा और खाते बंद होने से बैंकों के अधिकारियों की परेशानी को बढ़ा दिया हैं। जिला प्रशासन सरकारी योजनाओं में रोड़ा बनने वाली किसी भी अधिकारी और उससे जुड़े संस्थानों को माफी देने के मूड में नजर नहीं आ रहा है।