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Meerut : नगर निगम 'लोकंत्रत की नर्सरी', इसमें से निकले...विधानसभा और संसद तक पहुंचे

Meerut: पश्चिमी यूपी के मेरठ नगर निगम होकर कई राजनेता विधानसभा तक पहुंचे। इसी वजह से नगर निगम को लोकतंत्र की नर्सरी कहा जाता है। कई माननीय इसी रास्ते विधानसभा और संसद तक पहुंचे।

Sushil Kumar
Written By Sushil Kumar
Published on: 27 Sep 2022 2:30 PM GMT
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मेरठ नगर निगम 

Meerut News : नगर निगम को शहर की राजनीति का 'पाठशाला' कहा जाता है। इसी वजह इसमें दाखिले को लेकर हमेशा लोग लालायित रहते हैं। गली-मोहल्लों के तमाम छोटे-बड़े नेताओं ने यहां राजनीति सीख अपनी पहचान बनाई है। यहां की नर्सरी से राजनीति सीखकर निकलने वाले कई नेता सांसद, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री व प्रदेश में कैबिनेट मंत्री बने। कुछ अब भी महत्वपूर्ण पदों पर हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता तो प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने।

मेरठ जिले की बात करें तो पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी (Haji Yakub Qureshi), पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक (Former MP Haji Shahid Akhlaq), विधायक रफीक अंसारी (MLA Rafiq Ansari), पूर्व विधायक परमात्मा शरण (Former MLA Paramatma Sharan) आदि ऐसे ही नेताओं में शामिल हैं।

निगम होकर गुजरा विधानसभा का रास्ता

परमात्मा शरण मित्तल 1989 में पार्षद का चुनाव जीतकर निगम के पहले बोर्ड में पहुंचे थे। वह उसी वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में बतौर बीजेपी प्रत्याशी मेरठ कैंट सीट से तत्कालीन कांग्रेस विधायक अजीत सिंह सेठी को हराकर विधायक बने थे। निगम के पहले बोर्ड में पार्षद रहे हाजी अखलाक 1993 का विधानसभा चुनाव मेरठ शहर सीट से जनता दल के टिकट पर जीता था। हाजी अखलाक के नक्शे कदम पर चलते हुए उनके बेटे पूर्व सांसद शाहिद अखलाक ने भी अपना राजनीतिक सफर निगम से ही शुरू किया। शाहिद अखलाक 2000 में बसपा से चुनाव लड़कर मेरठ महापौर बने थे। 2004 में बसपा से लोकसभा चुनाव लड़कर मेरठ के सांसद बने।


पूर्व मंत्री हाजी याकूब का राजनीतिक सफर

बसपा नेता व पूर्व मंत्री हाजी याकूब (Former Minister Haji Yakub) ने भी अपना राजनीतिक सफर नगर निगम की राजनीति से शुरू किया था। साल 1995 में पहले पार्षद चुने गए हाजी याकूब और फिर डिप्टी मेयर बने। 2002 में खरखौदा विधानसभा सीट से हाजी याकूब कुरैशी बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने। यूडीएफ प्रत्याशी के रूप में 2007 का विधानसभा चुनाव मेरठ शहर सीट से लड़ा और विधायक बन गए। फिर बसपा में चले गए।



अमित अग्रवाल भी निगम होकर ही शीर्ष पर पहुंचे

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कैंट विधायक विधायक अमित अग्रवाल (BJP MLA Amit Agarwal) का राजनीतिक सफर भी नगर निगम से ही शुरू हुआ। वर्ष 1989 में वह पार्षद का चुनाव हार गए थे। हालांकि, बाद में वे भाजपा से 1993 और 1996 में मेरठ कैंट सीट से दो बार विधायक निर्वाचित हुए। वर्ष 2022 में अमित अग्रवाल तीसरी बार विधायक बने।


सपा MLA रफीक अंसारी

इसी तरह, मेरठ शहर सीट से सपा के विधायक रफीक अंसारी (SP MLA Rafiq Ansari) ने भी निकाय चुनावों से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। रफीक लगातार तीन बार 1995, 2000 और 2006 में पार्षद चुने गए। रफीक अंसारी ने 2012 में सपा प्रत्याशी के रूप में मेरठ शहर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। इसी वर्ष महापौर का चुनाव भी लड़ा, लेकिन विफल रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर से इसी सीट से चुनाव लड़कर विधायक बने। इसी साल यानी 2022 में रफीक अंसारी मेरठ शहर सीट से ही दूसरी बार विधायक बने हैं।

निगम से सदन तक का इतिहास बहुत पुराना

पूर्व मेयर अय्यूब अंसारी 1955 से मेरठ की राजनीति में सक्रिय रहे। 1964 में अय्यूब अंसारी नगरपालिका के सदस्य चुने गए थे। 1966 में नगरपालिका चेयरमैन बने। प्रथम मेयर अरुण जैन के बोर्ड में उन्हें डिप्टी मेयर बनाया गया था। 1990 में वह शहर के मेयर चुने गए। 1990 से 1995 तक वह मेयर रहे। 2002 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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