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गोरखपुर में मछलियों ने किया 3 दिन में 300 को बीमार, संक्रामक बीमारियों का बढ़ा खतरा
गोरखपुर में जैसे जैसे बाढ़ का पानी गांवों से उतर रहा है वैसे वैसे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। गोरखपुर में संग्रामपुर गांव में पिछले तीन दिन से डायरिया एक महामारी की तरह से फैल रही है
गोरखपुर: जैसे जैसे बाढ़ का पानी गांवों से उतर रहा है वैसे वैसे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। गोरखपुर के संग्रामपुर गांव में पिछले तीन दिन से डायरिया एक महामारी की तरह से फैल रह है। इसकी वजह से पिछले तीन दिन में 300 से अधिक मरीज यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर आ चुके हैं, जिसमें से 200 से अधिक को गोरखपुुर के जिला अस्पताल या फिर मेडिकल कालेज में रिफर किया जा चुका है। इस बीमारी की वजह से इस गांव में तीन की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस महामारी के पीछे वो मछलियां है जो प्रदूषित पानी से पकड़कर लाई जा रही हैं और गांव के लोग इनको खा रहे हैं।
गोरखपुर के उनवल गांव की रहने वाली 17 साल की पूजा परसों तक बिल्कुुल स्वस्थ थी। कल दोपहर बाद उसकी तबीयत खराब होने लगी और उसे उल्टी दस्त होने लगी। गांव के डाक्टर से लेकर शहर के अस्पताल तक इलाज कराने के बाद भी पूजा नही बच पाई। बाढ़ से घिरे उनवल गांव में लगभग हर घर की यही कहानी है डायरिया ने पूरे गांव में अपना कहर बरपा दिया है। परसों 100 मरीज, कल 146 मरीज और आज शाम तक 160 मरीज सिर्फ बीमारी की चपेट में आकर यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंच गये हैं जिसमें से अब तक 3 की मौत हो गई है। इस गांव में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मरीजों की एकाएक बढ़ी भीड की वजह से जिला प्रशासन चौंक गया है और जिलाधिकारी के निर्देश पर सीएमओ और
तहसीलदार ने कल यहां का निरीक्षण किया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर व्यवस्था को देखा। मरीजों को जिला अस्पताल भिजवाने के लिए एम्बुलेंस लगा दी गई है और दवाओं के साथ बांसगांव क्षेत्र से डाक्टरों की टीम को यहां पर भेजा गया है लेकिन हालात इतने खराब हैं कि स्थिति काबू में नही आ पा रही है। इस महामारी के पीछे की वजह जो अब तक सामने आई है वह काफी चौंकाने वाली है क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह बीमारी यहां पर उन मछलियों को खाने के कारण फैल रही है जो आमी नदी के प्रदूषित पानी से पकड़कर लाई और बेची जा रही हैं। बाढ़ के प्रदूषित पानी की वजह से यहां की मछलियां विषाक्त हो चुुकी हैं और गांव के लोग बेहद कम कीमत में मिलने वाली इन मछलियों का सेवन ज्यादा कर रहे हैं।
सीएमओ रवींद्र कुमार से इस वजह के बारे मेंं जब हमने पड़ताल की तो पता चला कि अधिकतर लोग जो बीमार हुये हैं या फिर जिनके घरों में मौत हुई है, वहां पर बाढ के पानी में पाई जाने वाली छोटी मछलियां पकाई गई थीं और उन्होने इसको खाया था जिसके बाद ही इनके परिवार में बीमारी और मौत हुई। गांव में काम करने वाली आशा कार्यकत्री का कहना है कि वह गांव के लोगों से कई बार मछलियों को नही खाने के लिये कहती रहीं, पर लोगों ने उनकी बात को नही माना और लगातार जो बीमार यहां पर आ रहे हैं, उसकी सबसे बडी वजह यही है।
हालांकि यहां पर भी स्वास्थ्य विभाग मौतों के आंकडों में हेरफेर करने और इन मौतो को दूसरी बीमारी से हुई मौत बताने मेंं जुटा है। कल से यहां पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के दौरे तो हो रहे हैं पर स्वास्थ्य सेवायें अभी भी यहां पर पूरी तरह से मुहैया नही कराये जा सके हैं । अधिकारियों ने गांव के चौराहों पर जाकर जनता से अपील की है कि हर हाल में मछली का सेवन बंद करें और मछली की कई दुकानों को बंद भी कराया है। स्थानीय मछुआरों को छोटी मछली बेंचने पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया है लेकिन इन सारे प्रबंधों के बाद भी मछली का बिकना और लोगों का इसे खाना जारी है। ऐसे में अगर इस गांव में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से मुस्तैदी नही दिखाई तो मरीजों की संख्या और बढेगी और इसके साथ ही मौतों का आंकडा भी।