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बैंड बाजे के साथ आएगी बारात, लेकिन नहीं होंगे दूल्हा और दुल्हन

Sanjay Bhatnagar
Published on: 29 May 2016 8:23 AM GMT
बैंड बाजे के साथ आएगी बारात, लेकिन नहीं होंगे दूल्हा और दुल्हन
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बहराइच: करीब पांच सौ बारातें। हजारों बाराती। ढेर सारा दहेज। आतिशबाजी, सजावट, सामूहिक भोजन और शादी की सभी रस्मों की अदायगी। लेकिन बिना दुल्हन और दूल्हे के। है न अचरज की बात!

लेकिन ये शादियां हर साल होती हैं। और इन शादियों के दौरान सभी पारंपरिक रस्मों की अदायगी होती है। मगर प्रतीकात्मक तौर पर।

हजार वर्षों की परंपरा

-प्रतीकात्मक रूप से शादी की ये रस्म हर साल जेठ मेले में निभाई जाती है।

-विवाह का मुख्य आयोजन सोमवार के दिन होता है।

-पूरे देश में करीब 250 बारातें पंजीकृत हैं, लेकिन करीब 500 बरातें आयोजन में शामिल होती हैं।

-ये आयोजन बहराइच के सैयद सालार मसऊद गाजी की दरगाह पर होता है।

marriage ceremony-without groom bride बहराइच में सैयद सालार गाजी की दरगाह

ये है इतिहास

-बारातें बैंड-बाजे और आतिशबाजियों के साथ दरगाह पहुंचती हैं।

-मुख्य बारातें रुदौली,टांडा, बस्ती, जौनपुर और नासिक की होती हैं

-मान्यता है कि बाराबंकी के रुदौली कस्बा निवासी जोहराबीबी की याद में ये विवाह होता है।

-करीब 1012 साल पहले जोहरा बबीबी दुल्हन बनी थीं और उनकी बारात गाजी की दरगाह तक आई थी।

किन्नरों की बारात

-सैयद सालार मसऊद गाजी की दरगाह पर इस साल भी करीब साढ़े पांच सौ बारातें पहुंची हैं।

-इनमें मुंबई से आने वाले किन्नरों की बारात आकर्षण का केंद्र रहती है।

-इस बारात की रौनक बाकी बारातों से अलग होती है।

-बाराती किन्नर मंजीरे व ढोलक की थाप पर थिरकते हुए गाजी की मजार पर पहुंचते हैं।

-हर बारात की तरह किन्नरों की बारात दरगाह पर सलाम करने पहुंचती है।

साम्प्रदायिक सौहार्द की प्रतीक

-सैयद सालार मसऊद गाजी की दरगाह हिंदू-मुस्लिम सौहार्द का प्रतीक है।

-इसबार भी दोनों समुदायों की सैकड़ों बारातें दरगाह पर पहुंची हैं।

-जेठ मेला इस बार 26 मई से शुरू हुआ है।

-इसमें देश भर से बाराती और लाखों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।

marriage ceremony-without groom bride बारात में शामिल होते हैं हजारों लोग

आने लगीं बारातें

-शनिवार शाम से ही बारातों दरगाह की तरफ जाना शुरू हो गया था।

-इन बारातियों के हाथों में निशान, चादर, पलंगपीढ़ी और दहेज का अन्य सामान है।

-बारातें जंजीरी गेट से प्रवेश कर चमन ताड़, नाल दरवाजा होते हुए गाजी की दरगाह पर हाजिरी लगाएंगी।

-दरगाह पर पलंगपीढ़ी और दहेज का सामान रखा जाएगा।

-बाराती पूरे दिन उपवास रख कर कन्यादान की परंपरा निभाएंगे।

जोरदार तैयारियां

-बारातियों का स्वागत दरगाह प्रबंध समिति के साथ जिला प्रशासन के अधिकारी करते हैं।

-दरगाह प्रबंध समिति के अध्यक्ष सैयद शमशाद ने बताया कि सभी बारातियों और श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था है।

-मेला परिसर में लाइट, 250 हैंडपंप और दो दर्जन जेनरेटर लगाए गए हैं।

-इस बार बाराबंकी और लखनऊ के आतिशबाज रौनक बढ़ाएंगे।

Sanjay Bhatnagar

Sanjay Bhatnagar

Writer is a bi-lingual journalist with experience of about three decades in print media before switching over to digital media. He is a political commentator and covered many political events in India and abroad.

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