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Holi 2022: श्री प्रियाकान्त जू मंदिर में भक्तों ने खेली सतरंगी 'हाइड्रोलिक होली', राधे राधे के स्वरों से हुआ गुंजायमान वातावरण

Holi 2022: छटीकरा स्थित ठा. श्रीप्रियाकान्तजू मंदिर में 17 मार्च को ब्रज की सम्पूर्ण होली के दर्शन हुए। यहां ठाकुर जी पर चांदी की पिचकारी से टेसू का सुगंधित रंग डाला जायेगा। वहीं, राधे राधे के स्वरों से वातावरण गुंजायमान हुआ।

Nitin Gautam
Report Nitin GautamPublished By Deepak Kumar
Published on: 17 March 2022 5:44 PM IST
Devotees played Hydraulic Holi in Sri Priyakant Zoo Temple
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श्री प्रियाकान्त जू मंदिर में भक्तों ने खेली सतरंगी ‘हाइड्रोलिक होली।

Holi 2022: ब्रज के मंदिरों में होली की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। विभिन्न मंदिर-आश्रमों में होने वाले होली महोत्सव (Holi Festival) में ब्रज के साथ दूर-दराज के श्रद्धालु भक्त राधा-कृष्ण विग्रह संग होली खेल रहे है। छटीकरा स्थित ठा. श्रीप्रियाकान्तजू मंदिर में 17 मार्च को ब्रज की सम्पूर्ण होली के दर्शन हुए। यहां ठाकुर जी पर चांदी की पिचकारी से टेसू का सुगंधित रंग डाला जायेगा। वहीं, राधे राधे के स्वरों से वातावरण गुंजायमान हुआ।

श्रद्धालुओं के लिए हाईड्रोलिक पिचकारी की व्यवस्था

वहीं, मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं को रंग में भिगोने के लिए हाईड्रोलिक पिचकारी की व्यवस्था की जा रही है। देश के कोने-कोने से आए भक्तों ने लड्डू, जलेबी, फूल सहित तरह तरह की होली का आनंद लिया और कान्हा के रंग में रंगतर नजर आए ।

ठाकुरजी विग्रह सुबह श्वेत पौशाक में किए भक्तों को दर्शन

इस संबंध में प्रसिद्ध कथा वाचक देवकीनंदन महाराज (Narrator Devkinandan Maharaj) ने बताया कि ठाकुरजी विग्रह सुबह श्वेत पौशाक में भक्तों को दर्शन दिए। श्रीकृष्ण-राधा के लिए चांदी की बाल्टी में टेसू का रंग घोला गया। चांदी की पिचकारी से युगल सरकार एक दूसरे पर रंग डाले गए और दोपहर 12 बजे से ब्रज की अनूठी सतरंगी होली खेली। 3 घंटे तक खेली गई। पूर्व की भांति इस बार भक्तों के लिए हाईड्रोलिक पिचकारी का इंतजाम किया गया था। होली से तीन दिन पहले सवा 2 मन टेसू के फूलों को भिगोकर रंग तैयार किया गया।

श्रद्धालु ने ब्रज की सम्पूर्ण होली का लिया आनंद

देवकीनंदन महाराज के साथ श्रद्धालु भक्त ब्रज की सम्पूर्ण होली का आनंद लिया। इसके साथ ही भक्तों ने फूलों की होली, लड्डु-जलेबी होली, ब्रजभाषा में रसिया गायन होली, भजन नृत्य होली, लठामार होली, गुलाल की होली और अंत में टेसु के रंगों की होली खेली जाती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसके साक्षी बनते हैं।

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Deepak Kumar

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