Mathura: 60 फुट ऊंचे, 20 फुट लंबे रथ पर सवार होकर निकले भगवान रंगमन्नार, भक्तों का उमड़ा सैलाब

Mathura Latest News: 60 फीट ऊंचे विशाल रथ में विराजित होकर ठाकुर गोदा रंगमन्नार निकले। इस दौरान भगवान के दर्शन के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।

Nitin Gautam
Report Nitin GautamPublished By Shreya
Published on: 26 March 2022 12:33 PM GMT
Mathura: 60 फुट ऊंचे, 20 फुट लंबे रथ पर सवार होकर निकले भगवान रंगमन्नार, भक्तों का उमड़ा सैलाब
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रथ मेला (फोटो- न्यूजट्रैक)

Mathura Latest News: वृन्दावन में आज दक्षिणात्य शैली के विशालतम श्री रंग मन्दिर (Shri Rang Mandir) में रथ मेले (Rath Mela) का आयोजन हुआ, जिसमें 60 फीट ऊंचे चंदन निर्मित विशाल रथ में विराजित होकर ठाकुर गोदा रंगमन्नार (Lord Goda Rangamannar) निकले। इस दौरान भगवान के दर्शनार्थ भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। हर कोई साठ फीट ऊंचे ठाकुर जी के भव्य रथ को खींचने के लिये लालायित दिखाई दिया। श्री रंग मन्दिर दिव्यदेश के ब्रम्होत्सव में चैत्र कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि पर ठाकुर गोदा रंगमन्नार भगवान चन्दन निर्मित विशालकाय रथ पर विराजमान होकर भक्तों को कृतार्थ करने निकलते हैं। यह परंपरा आज भी बड़े आस्था के साथ निभाई जाती है ।

उसी परमपराओं के मुताबिक, ठाकुर रंगनाथ भगवान श्री देवी, भूदेवी के साथ निज गर्भगृह से पालकी में विराजमान होकर ज्योतिष गणनानुसार मीन लग्न में दिव्याकर्षक रथ में विराजित हुए तो रंगनाथ भगवान के जयजयकार से सम्पूर्ण क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। तदोपरांत गणपति आह्वान के साथ दसो दिशाओं को सुरक्षित कराये जाने के उपरांत पेठे की बलि दी गयी और जैसे ही सात कूपे का धमाका व काली के स्वर ने रथ के चलने का संकेत किया। भक्तों का उत्साह दोगुना हो गया।

(फोटो- न्यूजट्रैक)

रंगनाथ भगवान के जयकारे लगा विशालकाय रथ को खीचने की होड़ सी लग गयी। करीब 15 फुट चौड़े, 20 फुट लंबे व 60 फुट ऊंचे रथ की छवि देखते ही बनती थी। उच्चश्रेवा नामक चार श्वेत घोड़ो की लगाम थामे पार्षद, मुख्य पार्षद जय विजय,दिग्पाल, विश्वकसेन जी आदि देवताओं से सुसज्जित रथ पर सजी रंगबिरंगी पताकाये, देशी विदेशी सुगन्धित पुष्प, केलि के तने, हरे पत्तों से रथ का आकर्षण अपनी दिव्यता से भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था।

3 घंटे में 100 गज का सफर

लगभग तीन घण्टे में रथ ने करीब सात सौ गज का सफर तय किया। मध्यान्ह रथ बड़ा बगीचा पहुंचा। जहाँ विश्राम के उपरांत रथ मन्दिर के लिए रवाना हुआ। इस दौरान ठाकुरजी की शीतल पेय पदार्थ, मिष्टान्न, फल आदि भक्तो ने अर्पित किए तो वही भगवान कि ओर से पुजारियों ने भक्तों को प्रसाद वितरित किया।

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