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Shri Krishna Janmabhoomi Dispute: शाही ईदगाह ही श्रीकृष्ण का जन्मस्थान, कोर्ट में पेश किए गए ASI के सबूत

Shri Krishna Janmabhoomi Dispute: आज सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट में एएसआई द्वारा दिए गए प्रमाण को कोर्ट में पेश किया।

Sidheshwar Nath Pandey
Published on: 7 May 2024 10:11 PM IST (Updated on: 7 May 2024 10:40 PM IST)
Mathura News
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Shri Krishna Janmabhoomi Dispute (Pic: Social Media)

Shri Krishna Janmabhoomi Dispute: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह के मामले में आज अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष ने पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर होने के सबूत को अदालत के समक्ष पेश किया। मंदिर पक्ष की अधिवक्ता रीना एन सिंह ने अदालत में सबूत रखा। उन्होंने कहा कि शाही ईदगाह ही श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है। अधिवक्ता रीना एन सिंह ने एएसआई की जांच का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि पुरातात्विक खनन के दौरान शाही ईदगाह में मौजूद कुएं में मंदिर होने के सबूत मिले हैं। कोर्ट में मंदिर पक्ष की अधिवक्ता ने बताया कि शाही ईदगाह में मौजूद कुएं के भीतर श्रीकृष्ण के मूल गर्भ गृह होने के सबूत हैं। पुरातत्व विभाग के खनन का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि कुएं के भीतर श्रीकृष्ण जन्मभूमी के मूल गर्भगृह के मंदिर की आठ फुट की चौखट मिली है।

चौखट पर नक्काशी

कोर्ट में अधिवक्ता रीना एन सिंह ने बताया कि कुएं के भीतर मिली चौखट के आगे वाले भाग पर नक्काशी की गई है। चौखट के पिछले भाग में ब्राह्मी लिपि में श्रीकृष्ण की जन्मभूमि होने के सबूत अंकित हैं। उन्होंने बताया कि चौखट के पिछले भाग में साफ साफ लिखा है कि यह भगवान वासुदेव का महास्थान है। साथ ही उन्होंने बताया कि खनन के दौरान पुरातत्व विभाग को राधा और कृष्ण की मूर्तियां भी मिली हैं। अपने सबूत को और प्रमाणिक बनाने के लिए उन्होंने बताया कि शाही ईदगाह के कुएं में मिली आठ फुट की चौखट मथुरा के सरकारी म्यूजियम में रखी हुई है। इसके साथ ही उन्होंने कई महत्तवपूर्ण संदर्भों का भी उल्लेख किया। आज की सुनवाई में उन्होंने इस बात को सिद्ध करने का प्रयास किया कि शाही ईदगाह ही श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है।

उपासना स्थल अधिनियम के तहत नहीं आता शाही ईदगाह

कोर्ट में दलील देते हुए अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि एएसआई अधिनियम 1904 के तहत विवाद स्थल का रख-रखाव (अनुरक्षित) किया जा रहा है। इस अधिनियम के तहत स्मारकों पर विशेष रूप से उन स्मारकों पर प्रभावी संरक्षण और अधिकार प्रदान किया गया है जो व्यक्तिगत या निजी स्वामित्व के संरक्षण में थे। इस वजह से यह स्थल उपासना स्थल अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता है। कोर्ट में उन्होंने बताया कि पुरातात्विक सबूतों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कंस के कारागार को ही आंशिक रूप से बदल कर और वहां मौजूद भगवान की मूर्तियों को हटाकर शाही ईदगाह बनाया गया है।

अगली सुनवाई 15 मई को

कोर्ट ने आज की सुनावई के बाद अगली सुनावई की तारीख दे दी है। मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी। आज की सुनवाई में मंदिर पक्ष की बात रखने के लिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिवक्ता हरेराम त्रिपाठी सहित अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह, अधिवक्ता विनय शर्मा, राणाप्रताप सिंह उपस्थित रहे। इनके साथ ही सुनवाई के दौरान पक्ष रखने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वरिष्ठ अधिवक्ता तसनीम अहमदी सहित अन्य अधिवक्ता जुड़े रहे। 15 मई को अगली सुनावई का ऐलान किया गया है। इस दिन एक बार फिर कोर्ट में मंदिर पक्ष अपने दलील और सबूत पेश करेगा।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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